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आसाराम

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आसाराम बापू (Asaram Bapu) का असली नाम आसुमल सिरुमलानी हरपालानी है (Asaram, Original Name). वह धार्मिक गुरु है जो बलात्कार के जूर्म में सजा काट रहा है. उसके खिलाफ अवैध अतिक्रमण, बलात्कार और एक गवाह से छेड़छाड़ के संबंध में कई कानूनी कार्यवाही शुरू की गई है. 2018 में, आसाराम को जोधपुर में एक विशेष न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने एक नाबालिग लड़की के बलात्कार का दोषी पाया था (Asaram Arrested in Rape Case).

आसाराम (Asaram) 1 सितंबर, 2013 से जेल में बंद है और अब करीब 11 साल बाद पैरोल पर बाहर आएगा. यह पहली बार है जब आसाराम की पैरोल मंजूर हुई है. वह पुलिस कस्टडी में इलाज के लिए महाराष्ट्र जाएगा. राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने उसकी अंतरिम पैरोल को मंजूर दी. यौन उत्पीड़न के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को राजस्थान हाई कोर्ट ने उपचार के लिए 7 दिन की पैरोल मंजूर की है. 

आसाराम की कुछ दिन पहले अचानक तबीयत बिगड़ गई थी. उसने सीने में दर्द की शिकायत की थी, जिसके बाद जेल प्रशासन ने उसे जोधपुर एम्स में भर्ती कराया था. यहां मेडिकल चेकअप के बाद उसे इलाज के लिए भर्ती कर लिया गया था. वह 10 अगस्त से जोधपुर एम्स में भर्ती है. आसाराम की तबीयत खराब होने और जोधपुर एम्स में भर्ती होने की खबर सार्वजनिक होते ही, अस्पताल के बाहर उसके समर्थकों की भीड़ लग गई थी. आसाराम को 2018 में जोधपुर की एक विशेष POCSO अदालत ने नाबालिग के साथ बलात्कार का दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

साल 2013 में, गुजरात में दुष्कर्म के एक और मामले में भी आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं (Narayan Sai) को दोषी ठहराया गया है. गांधीनगर की सेशन कोर्ट ने आसाराम को शिष्या के साथ दुष्कर्म करने और उसे बंधक बनाने के मामले में दोषी माना है. जिस शिष्या ने आसाराम पर केस दर्ज करवाया था, उसकी बहन ने ही उनके बेटे पर भी दुष्कर्म का केस दर्ज करवाया था (Asaram and son accused). 

दरअसल, 5 जुलाई 2008 को गुजरात के मोटेरा आश्रम के बाहर साबरमती नदी के सूखे इलाक में दो नाबालिग लड़कों के जले हुए शव मिले थे. बाद में पता चला कि दोनों चचेरे भाई थे. बच्चों के परिजनों का आरोप था कि उन दोनों का दाखिला गुरुकुल में करवाया गया था और तंत्र-मंत्र के लिए बच्चों की बलि दे दी गई. तब से आसाराम का पतन शुरू हुआ और आने वाले समय में कई आरोप, उनपर और उनके बेटे पर लगते गए (Asaram Motera Ashram Case). 

आसाराम का जन्म 17 अप्रैल 1941 को मौजूदा पाकिस्तान के नवाबशाह जिले के बेरानी गांव में हुआ था (Asaram Born). वह एक सिंधी परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनकी मां मेनगिबा और पिता थौमल सिरुमलानी थें. बंटवारे के बाद आसाराम का परिवार गुजरात के अहमदाबाद में बस गया. बचपन में घर चलाने के लिए आसाराम ने कभी चाय बेटा तो कभी तांगा चलाया और शराब के धंधे में भी काम किया था.

आसाराम हमेशा से एक गृहस्थ रहे और उसे कभी साधु नहीं ठहराया गया. उसके के दो बच्चे हैं. बेटा नारायण साईं और एक बेटी है. उनका बेटा नारायण आसाराम के साथ काम करता है (Asaram Family and Children). 

1970 के दशक की शुरुआत में आसाराम सुर्खियों में आने लगे. 1972 में आसाराम ने अहमदाबाद से 10 किलोमीटर दूर मोटेरा कस्बे में अपना पहला आश्रम खोला. धीरे-धीरे आसाराम लोगों का 'बापू'  बन गया. 2013 तक भारत और विदेशों में उनके 400 से अधिक आश्रम और 40 स्कूल हैं (Asaram's Ashram and Schools).

 

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