अशोक स्तंभ
अशोक स्तंभ (Pillars of Ashoka), पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए अखंड स्तंभों की एक श्रृंखला है, जो मौर्य सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल के दौरान बनाए गए हैं. 268 से 232 ई.पू. अशोक ने अपने स्वयं के स्तंभों का वर्णन करने के लिए धम्म थंभा अर्थात "धर्म के स्तंभ" अभिव्यक्ति का उपयोग किया. फिरोज शाह तुगलक ने दिल्ली में दो स्तंभों को स्थानांतरित कर दिया था. कई स्तंभों को बाद में मुगल साम्राज्य के शासकों ने स्थानांतरित कर दिया. इन स्तंभों की औसतन 12 से 15 मीटर की ऊंचाई है और प्रत्येक का वजन 50 टन तक है (History of Ashoka Stambh).
अशोक के स्तंभ भारत के सबसे पुराने ज्ञात पत्थर के मूर्तिकला अवशेषों में से हैं. अशोक के सभी स्तंभ बौद्ध मठों, बुद्ध के जीवन के कई महत्वपूर्ण स्थलों और तीर्थ स्थानों पर बनाए गए थे. कुछ स्तंभों में भिक्षुओं और भिक्षुणियों को संबोधित शिलालेख हैं. कुछ को अशोक की यात्राओं की स्मृति में बनवाया गया था. प्रमुख स्तंभ भारतीय राज्यों बिहार (Bihar), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और हरियाणा के कुछ हिस्सों में मौजूद हैं (Major pillars in States of India).
स्तंभ से अशोक की सिंह का एक प्रतिनिधित्व 1950 में भारत के आधिकारिक राज्य प्रतीक के रूप में अपनाया गया था (Ashoka Stambha, Emblem of India).
नए संसद भवन की छत पर लगाए गए अशोक स्तंभ के डिजाइन को लेकर छिड़ा विवाद खत्म नहीं हो रहा है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है. आरोप है कि इस अशोक स्तंभ में शेर आक्रामक दिखाई दे रहे हैं.
नए संसद भवन की छत पर लगे विशालकाय अशोक स्तंभ को लेकर विवाद खत्म नहीं हो रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. एक बार फिर डिजाइन को लेकर सवाल उठा दिए गए हैं.
नए संसद भवन की छत पर अशोक स्तंभ की प्रतिमा को लेकर विवाद जारी है. इस बीच संविधान के लिए मूल प्रतीक चिह्न डिजाइन करने वाले दीनानाथ भार्गव की पत्नी ने बताया कि उनके पति तीन महीने तक चिड़ियाघर जाते थे और वहां जाकर शेरों के हाव-भाव पर गौर करते थे.
Ashoka Stambh Controversy: नए संसद भवन की छत पर अशोक स्तंभ की स्थापना के बाद से विवाद शुरू हो गया है. अशोक स्तंभ देश का राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न है. कांग्रेस ने प्रतीक चिह्न का अपमान करने का आरोप लगाया है.
अशोक स्तंभ और उसकी डिजाइन को लेकर शुरू हुआ विवाद अब कानूनी रूप ले चुका है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या सरकार सही में अशोक स्तंभ में कोई बदलाव करवा सकती है?