अटल बिहारी बाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) भारत के प्रधानमंत्री थे. वे पहली बार 1996 में 13 दिनों की अवधि के लिए पीएम बने, फिर 1998 से 1999 तक 13 महीने की अवधि के लिए, उसके बाद 1999 से 2004 तक पूर्ण कार्यकाल के लिए पीएम बने. वे बतौर प्रधानमंत्री, पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे. बाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के सह-संस्थापकों में से एक और वरिष्ठ नेता थे. वे हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी संगठन आरएसएस के सदस्य थे. वे हिंदी कवि और लेखक भी थे.
वे पांच दशकों से अधिक समय तक भारतीय संसद के सदस्य रहे, वे दस बार लोकसभा, निचले सदन और दो बार राज्यसभा, उच्च सदन के लिए चुने गए. उन्होंने लखनऊ निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य के रूप में कार्य किया. 2009 में स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था. वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से थे, जिसके वे 1968 से 1972 तक अध्यक्ष रहे. BJS ने कई अन्य दलों के साथ विलय करके जनता पार्टी बनाई, जिसने 1977 के आम चुनाव में जीत हासिल की.
मार्च 1977 में, बाजपेयी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की कैबिनेट में विदेश मंत्री बने. उन्होंने 1979 में इस्तीफा दे दिया और इसके तुरंत बाद जनता गठबंधन टूट गया. भारतीय जनसंघ के पूर्व सदस्यों ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया, जिसके पहले अध्यक्ष बाजपेयी बने.
प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, भारत ने 1998 में पोखरण-II परमाणु परीक्षण किया. बाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को सुधारने की कोशिश की. प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने के लिए बस से लाहौर गए थे. पाकिस्तान के साथ 1999 के कारगिल युद्ध के बाद, उन्होंने राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ बातचीत के माध्यम से संबंधों को बहाल करने की कोशिश भी की था. उन्हें आगरा में एक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आमंत्रित किया.
बाजपेयी की सरकार ने कई घरेलू आर्थिक और ढांचागत सुधार पेश किए, जिनमें निजी क्षेत्र और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना, सरकारी अपव्यय को कम करना, अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना और कुछ सरकारी स्वामित्व वाले निगमों का निजीकरण शामिल है.
उनके कार्यकाल के दौरान, 2001 में भारतीय संसद पर हमले और 2002 के गुजरात दंगों सहित कई हिंसक घटनाओं से भारत की सुरक्षा को खतरा था, जिसके कारण अंततः 2004 के आम चुनाव में उनकी हार हुई.
बाजपेयी को 1992 में भारत सरकार द्वारा भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में घोषणा की कि बाजपेयी के जन्मदिन, 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में चिह्नित किया जाएगा.
बाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक कन्याकुब्ज ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनकी मां कृष्णा देवी और पिता कृष्ण बिहारी बाजपेयी थे. उनके पिता ग्वालियर में एक स्कूल शिक्षक थे. वाजपेयी जीवन भर कुंवारे रहे.
उन्होंने नमिता भट्टाचार्य को गोद लिया और उनका पालन-पोषण अपने बच्चे के रूप में किया. नमिता उनके लंबे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और उनके पति बी एन कौल की बेटी थी.
अटल बिहारी बाजपेयी को 2009 में स्ट्रोक आया था, जिससे उनकी बोलने की क्षमता प्रभावित हुई थी. रिपोर्टों की माने तो वह व्हीलचेयर पर निर्भर थे और लोगों को पहचानने में कठिनाई हो रही थी. उन्हें लंबे समय से डायबटीज भी था. 16 अगस्त 2018 को शाम 5 बजे उन्हें आधिकारिक तौर पर मृत घोषित कर दिया गया था. 93 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.
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