बैक्टीरिया
बैक्टीरिया (Bacteria) सर्वव्यापी है, जो फ्री लीविंग ओर्गेनिज्म (free-living organisms) होता है और अक्सर एक जैविक कोशिका (one biological cell) से बना होता है. आमतौर पर इनकी लंबाई महज कुछ माइक्रोमीटर होती है. बैक्टीरिया पृथ्वी पर पाए जाने वाले पहले जीवन रूपों में से थे (Length of Bacteria).
बैक्टीरिया मिट्टी, पानी, झरनों, रेडियोधर्मी कचरे और पृथ्वी की पपड़ी (Earth's crust) के गहरे जीवमंडल में रहते हैं. वातावरण में पोषक तत्वों (nutrient cycle) का पुनर्चक्रण के कई चरणों में बैक्टीरिया महत्वपूर्ण होते हैं. बैक्टीरिया, किसी भी वस्तु या जीव में सड़न पैदा करता है (decomposition). हाइड्रोथर्मल वेंट और कोल्ड सीप के आसपास के जैविक समुदायों में, एक्सट्रोफाइल बैक्टीरिया हाइड्रोजन सल्फाइड और मीथेन को ऊर्जा में परिवर्तित करके जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं. बैक्टीरिया पौधों और जानवरों के साथ सहजीवी और परजीवी संबंधों में भी रहते हैं.
जीवाणुओं के अध्ययन को बैक्टीरियोलॉजी कहा जाता है (Bacteriology, branch of microbiology).
मनुष्य और जानवर दोनों ही लाखों बैक्टीरिया कैरी करते हैं, जो अधिकांश आंत में और त्वचा पर पाए जाते हैं. ये बैक्टीरिया हानिरहित होते हैं साथ ही इनमें कई इम्यून सिस्टम को बनाते हैं, जिन्हें गुड बैक्टीरिया भी कहा जाता है (Good Bacteria).
हालांकि, बैक्टीरिया की कई प्रजातियां रोगजनक हैं और संक्रामक रोगों का कारण बनती हैं, जिनमें हैजा, सिफलिस, एंथ्रेक्स, कुष्ठ, तपेदिक, टेटनस और बुबोनिक प्लेग शामिल हैं (Bacterial Disease ). एंटीबायोटिक्स का उपयोग बैक्टीरिया के संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है, खेती में भी फसलों को बचाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है (Antibiotics for Bacteria).
तिब्बत के पिघलते ग्लेशियर में 15 हजार साल पुराना वायरस मिला है. यह इंसानियत के लिए खतरनाक हो सकता है. ये किसी हॉरर फिल्म का सीन नहीं सच्चाई है. बढ़ती गर्मी की वजह से बाहर आ रहे इन जीवों से इंसानों, जीव-जंतुओं और पूरी धरती को खतरा है. ये हजारों-लाखों सालों की नींद के बाद बाहर आकर तबाही मचाएंगे.
Mount Everest अब रोगाणुओं यानी Germs का पहाड़ बनता जा रहा है. दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ पर चढ़ने वाले पर्वतारोहियों की छींक और खांसी से निकले जर्म्स माउंट एवरेस्ट पर जमा हो रहे हैं. वहां की सतह पर बैक्टीरिया और फंगस तेजी से अपना घर बना रहे हैं. बर्फीले मौसम में ये कई सदियों तक जीवित रह सकते हैं.
वायरस और बैक्टीरिया हर जगह हैं. ये मोबाइल पर भी है, टीवी के रिमोट में भी और लैपटॉप पर भी. घर में सबसे ज्यादा बैक्टीरिया आपके हिसाब से कहां होंगे! टॉयलेट सीट पर. लेकिन नहीं. इससे लगभग 40 हजार गुना ज्यादा बैक्टीरिया हमारी पानी की बोतल में रहते हैं. बिल्कुल साफ दिखने वाली रीयूजेबल पानी की बॉटल बैक्टीरिया के सबसे बड़े ठिकानों में से है.
अब तक आंतों के बैक्टीरिया के बारे में खूब अच्छी-अच्छी बातें होती रहीं. गट बैक्टीरिया को बढ़ाने वाली डायट और एक्सरसाइज भी सुझाई जाती रहीं. लेकिन अब पता लगा है कि पेट के ये बैक्टीरिया सिर्फ खाना पचाने या इम्यूनिटी बढ़ाने का काम नहीं करते, वे चुपके-चुपके हमारे दिमाग को भी कंट्रोल कर रहे हैं. इसे गट-ब्रेन एक्सिस कहा जाता है.
WHO ने चेतावनी दी है कि प्राचीन बैक्टीरिया, वायरस और पैथोजेन्स दुनिया के लिए बड़ा खतरा हो सकते हैं. कई ऐसी प्राचीन बीमारियां हैं, जो दुनिया के लिए बड़ा खतरा हैं. जैसे- इस समय दुनिया पर खसरा (Measles) का खतरा फैल रहा है. लोगों के इससे बचने की जरुरत है. जागरूक रहने की जरुरत है.
विषाणुओं पर जितने शोध हो रहे हैं, उससे बहुत कम जानकारी बैक्टीरिया पर है. वैज्ञानिक इसका कारण ये देते हैं कि बहुत से बैक्टीरिया लैब में विकसित नहीं हो पाते. ऐसे में उन्हें संरक्षित करके सालों तक स्टडी मुमकिन नहीं. इधर ब्रिटेन में एक ऐसी इमारत है, जहां 100 सालों से भी ज्यादा समय से बैक्टीरिया जमा किए जा रहे हैं.
साइंस जर्नल लैंसेट ने एक स्टडी में दावा किया है कि 2019 में दुनियाभर में बैक्टीरिया की वजह से 1.37 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इनमें से 6.78 लाख से ज्यादा मौतें अकेले भारत में हुई थी. लैंसेट ने उन 5 बैक्टीरिया के नाम भी बताए हैं जो भारत में जानलेवा बन रहे हैं.
कोरोना से भयानक महामारी अब ऐसी जगह से आएगी, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. कोरोना के सारे वैरिएंट्स से खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया ग्लेशियरों में छिपे हैं. इनका सबसे बड़ा भंडार उत्तरी ध्रुव के आर्कटिक झीलों में है. जलवायु परिवर्तन की वजह से पिघलते ग्लेशियरों से न जाने कैसी-कैसी महामारियां फैलेंगी. नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है.
बैक्टीरिया की ज्यादातर प्रजातियां ज़मीन की सतह पर नहीं, ज़मीन के अंदर पाई जाती हैं. हाल ही में वैज्ञानिकों को भूमिगत गुफाओं से नए बैक्टीरिया मिले हैं. इनसे ग्लूटेन एलर्जी के इलाज में मदद मिल सकती है, जिससे दुनिया की करीब 6% आबादी को राहत मिलेगी. साथ ही, ये मंगल पर जीवन की खोज में मदद कर सकते हैं.