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बद्रीनाथ मंदिर

बद्रीनाथ मंदिर

बद्रीनाथ मंदिर

बद्रीनाथ मंदिर

बद्रीनाथ (Badrinath) या बद्रीनारायण मंदिर (Badrinarayana Temple) एक हिंदू मंदिर है जो भगवान विष्णु को समर्पित है. हिंदुओं के चार धामों में एक, यह मंदिर उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले (Chamoli District) में अलकनंदा नदी (Alaknanda River) के तट पर स्थित है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्य देशमों (108 Divya Desams Dedicated to Vishnu) में से एक है, जिन्हें बद्रीनाथ के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर हिमालय पर्वत श्रंखला के बीच 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है लिहाजा यह साल में छह महीने (अप्रैल के अंत और नवंबर की शुरुआत के बीच) के लिए खुला रहता है. यह भारत के सबसे अधिक व्यस्त तीर्थस्थलों (Busiest Pilgrimage) में से एक है जहां हर साल 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. 

बद्रीनाथ मंदिर में विष्णु भगवान के बद्रीनारायण रूप की पूजा होती है. शालीग्राम (Shaligram) यानी काले पत्थर (Black Stone) से बनी बद्रीनारायण की मूर्ति की ऊंचाई 1 मीटर है. माना जाता है कि इस मूर्ति की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) ने की थी. मान्यता है कि यह विष्णु के स्वयं प्रकट हुई आठ मूर्तियों में से एक है. हालांकि यह मंदिर उत्तरी भारत में स्थित है लेकिन यहां के पुजारी भारत के दक्षिणी राज्य केरल के नम्बूदरी ब्राह्मण ( Nambudiri Brahmin from Kerala) होते हैं जिन्हें रावल कहा जाता है. 

इस मंदिर को उत्तर प्रदेश राज्य सरकार अधिनियम संख्या 30/1948 में अधिनियम संख्या 16,1939 ( Uttar Pradesh state government Act No. 30/1948 as Act no. 16,1939) के रूप में शामिल किया गया था, जिसे बाद में, श्री बद्रीनाथ और श्री केदारनाथ मंदिर अधिनियम ( Shri Badarinath and Shri Kedarnath Mandir Act) के रूप में पहचान मिली. राज्य सरकार द्वारा नामित समिति इन दोनों मंदिरों का प्रशासन संभालती है, इसके बोर्ड में सत्रह सदस्य हैं.

इस मंदिर का उल्लेख विष्णु पुराण (Vishnu Purana) और स्कंद पुराण (Skand Purana) जैसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. 8वीं शताब्दी में रचित दिव्य प्रबंध (Divya Prabandha) (6ठी-9वीं शताब्दी के आजवार (Azhwar) संतों का एक प्रारंभिक मध्ययुगीन तमिल सिद्धांत) में भी इसका महिमामंडन किया गया है. 

बद्रीनाथ मंदिर में प्रवेश पाने के लिए पहचान पत्र (Proof of Identity) अनिवार्य है. इस मंदिर तक ऋषिकेष (Rishikesh) के रास्ते पहुंचा जा सकता है. यहां तक आवागमन की सुविधा को बेहतर बनाने के लिए चार धाम महामार्ग (Chaar Dham Expressway) और चार धाम रेलवे (Chaar Dham Railway) जैसी कई योजनाओं पर भारत सरकार द्वारा कार्य किया जा रहा है.
 

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