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बसंत पंचमी

बसंत पंचमी

बसंत पंचमी

वसंत पंचमी (Vasant Panchami), एक ऐसा त्योहार है जो वसंत के आगमन का प्रतीक है. वसंत पंचमी हर साल माघ के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है, जो आम तौर पर जनवरी या फरवरी के अंत में पड़ता है (Vasant Panchami Date). वसंत को 'सभी मौसमों का राजा' कहा जाता है. भारत में कई स्थानों पर, वसंत पंचमी देवी सरस्वती को समर्पित त्योहार है (Vasant Panchami Saraswati Puja). मां सरस्वती को ज्ञान, भाषा, संगीत और सभी कलाओं की देवी कहा गया है. वसंत ऋतु को मौसम और कृषि से भी जोड़कर देखा  जाता है. इस समय खेतों में सरसों की फसल लहराती रहती हैं.

सरसों के पीले फूलों की तरह वसंत ऋतु में पीले रंग का उपयोग शुभ माना गया है. इसे मां सरस्वती का पसंदीदा रंग भी कहा गया है. वसंत पंचमी के दिन बड़े पैमाने पर सरस्वती पूजा की जाती है, जिसमें पीले रंग की फूल, पीले रंग फलऔर मीठाई मां को अर्पित की जाती है. इस दिन लोग पीले रगं कपड़े, साड़ी पहनते हैं. कुछ लोग तो चावल में केसर मिलाते हैं और फिर उसे सरस्वती मां को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं (Vasant Panchami Rituals). 

कई परिवार इस दिन घर के छोटे बच्चों को अपनी उंगलियों से अपना पहला शब्द लिखाते और पहले शब्द का अध्ययन कराते हैं ताकि विद्या की देवी सरस्वती की विशेष अनुकंपा बनी रहे. वसंत पंचमी के एक दिन दिरों और शैक्षणिक संस्थानों में, सरस्वती की मूर्तियों को पीले रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है. कई समुदाय में देवी सरस्वती के सम्मान में काव्य और संगीत सभाएं आयोजित की जाती हैं (Vasant Panchami Festival).

पूर्वी भारत में, मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, त्रिपुरा और असम के साथ-साथ नेपाल में भी लोग वसंत पंचमी में सरस्वती मंदिरों में जाते हैं और घर पर देवी सरस्वती की खास पूजा करते हैं. पश्चिम बंगाल में तो यह प्रमुख त्योहारों में से एक है और कई परिवारों द्वारा मनाया जाता है. अधिकांश स्कूल अपने परिसर में अपने छात्रों के लिए सरस्वती पूजा की व्यवस्था करते हैं (Vasant Panchami Saraswati Puja in Temple and Scholl Colleges). 

बाली द्वीप और इंडोनेशिया के हिंदू इसे 'हरि राया सरस्वती' (सरस्वती का महान दिन) के रूप में मनाते हैं (Vasant Panchami in Bali and Indonesia) . 

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