मोबाइल फोन बैटरी
लिथियम-आयन बैटरी या ली-आयन बैटरी (Lithium-ion battery or Li-ion battery) एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी होती है जो सेल से बनी होती है. इसमें लिथियम आयन निगेटिव इलेक्ट्रोड से इलेक्ट्रोलाइट के माध्यम से डिस्चार्ज के दौरान पोजिटिव इलेक्ट्रोड में जाते हैं और चार्ज करते समय वापस आते हैं. ली-आयन कोशिकाएं पोजिटिव इलेक्ट्रोड पर एक मटेरियल के रूप में इंटरकलेटेड लिथियम यौगिक का उपयोग करती हैं और आमतौर पर नकारात्मक इलेक्ट्रोड पर ग्रेफाइट का उपयोग करती हैं. ली-आयन बैटरियों में हाई एनर्जी डेनसिटी, नो मेमरी इफेक्ट और और लो सेल्फ डिस्चार्ज होता है. ऊर्जा या शक्ति घनत्व को प्राथमिकता देने के लिए सेल्स का निर्माण किया जा सकता है. हालांकि वे सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं क्योंकि उनमें ज्वलनशील इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं और यदि क्षतिग्रस्त या गलत तरीके से चार्ज किया जाता है तो विस्फोट और आग लग सकती है (Charging Process).
1985 में अकीरा योशिनो (Akira Yoshino) ने एक प्रोटोटाइप ली-आयन बैटरी विकसित की गई थी, जॉन गुडएनफ, एम. स्टेनली व्हिटिंगम, रचिड याजामी और कोइची मिजुशिमा के पहले के शोध पर आधारित थी (Development of Mobile Charger). फिर एक 1991 में योशियो निशी (Yoshio Nishi) के नेतृत्व में सोनी (Sony) और असाही केसी (Asahi Kasei) टीम ने वाणिज्यिक ली-आयन बैटरी विकसित की. लिथियम-आयन बैटरी आमतौर पर पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपयोग की जाती हैं और सैन्य और एयरोस्पेस अनुप्रयोगों के लिए काफी इस्तेमाल की जाती है.
चार्जिंग के दौरान, एक बाहरी चार्जिंग सर्किट एक ओवर-वोल्टेज लागू करता है, जिससे चार्जिंग करंट को प्रत्येक सेल के भीतर पोजिटिव से निगेटिव इलेक्ट्रोड में प्रवाहित करने के लिए मजबूर करता है, यानी, सामान्य परिस्थितियों में डिस्चार्ज करंट की विपरीत दिशा में (Charging).
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी बैटरी बनाई है, जिससे आप किसी चीज को चार्ज कर सकते हैं. चार्जिंग खत्म हो जाए तो उसे खा भी सकते हैं. क्योंकि ये खाने वाले पदार्थों से बनी है. यह बैटरी शरीर के अंदर इस्तेमाल होने वाली मिनिएचर मेडिकल गैजेट्स को बिजली सप्लाई कर सकती है.
Lithium Reserve In India: भारत में लिथियम का बड़ा भंडार मिला है. अरबों रुपये की वैल्यू वाले इस लिथियम भंडार से देश को कई फायदे हो सकते हैं. जहां दुनिया ग्रीन एनर्जी पर शिफ्ट हो रही है, उस वक्त देश में लिथियम का भंडार मिलना किसी जैकपॉट से कम नहीं है. लिथियम का इस्तेमाल कार, फोन और दूसरे रिचार्जेबल बैटरी (लिथियम आयन बैटरी) में होता है.
इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर जहां एक तरफ नया क्रेज देखने को मिल रहा है. वहीं हाल-फिलहाल में EV Fire के केसेस ने इन्हें लेकर लोगों को संशय में भी डाला है. ऐसे में सरकार, कंपनियां कैसे ईवी की दुनिया में बदलाव ला रही हैं और एक ग्राहक के नाते आपको किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है, आज इस बारे में थोड़ी विस्तार से बात करेंगे.
Burman Family Takeover Eveready: साल 1993 से अब तक खेतान समूह में शामिल बैटरी निर्माता कंपनी Eveready Industry की कमान अब डाबर इंडिया के प्रमोटर बर्मन परिवार के हाथों में आ गई है. समूह की कंपनी में हिस्सेदारी बढ़कर 38 फीसदी से ज्यादा हो गई है.