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भारत बंद

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सुप्रीम कोर्ट (SC) के अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर और कोटा के भीतर कोटा लागू करने के फैसले के खिलाफ दलित- आदिवासी संगठनों ने 21 अगस्त 2024 को 14 घंटे के लिए भारत बंद का आह्वान किया. नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है. साथ ही, केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है (Bharat Band).

भारत बंद का मुख्य उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देना और इसे वापस लेने की मांग करना और सरकार पर दबाव डालना है. संगठन द्वारा सरकारी नौकरियों में पदस्थ एससी, एसटी और ओबीसी कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा जारी करने और भारतीय न्यायिक सेवा के जरिए न्यायिक अधिकारी और जज नियुक्त करने की मांग रखी है. NACDAOR का कहना है कि सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति आधारित डेटा को तत्काल जारी किया जाए ताकि उनका सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके. समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और जजों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा आयोग की भी स्थापना की जाए ताकि हायर ज्यूडिशियरी में SC, ST और OBC श्रेणियों से 50 फीसदी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए. 

विरोध करने वालों का मानना है कि इससे आरक्षण व्यवस्था के मौलिक सिद्धांतों पर प्रश्नचिह्न लग गया है. विरोध करने वालों का तर्क है कि अनुसूचित जाति और जनजाति को यह आरक्षण उनकी तरक्की के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से उनके साथ हुई प्रताड़ना से न्याय दिलानेके लिए है. और अस्पृश्यता यानी छुआछूत के भेद का शिकार हुईं इन जातियों को एक समूह ही माना जाना चाहिए. 

 

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