भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारत में मूल आपराधिक कानून के प्रशासन की प्रक्रिया का मुख्य कानून है. इसे 11 अगस्त 2023 को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया था (Bharatiya nagarik suraksha sanhita).
12 दिसंबर 2023 को इस विधेयक को वापस ले लिया गया. उसी दिन भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया. 20 दिसंबर 2023 को इसे लोकसभा में पारित किया गया. 21 दिसंबर 2023 को बीएनएसएस विधेयक को राज्यसभा में पारित किया गया. 25 दिसंबर 2023 को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली थी.
दुनिया का सबसे बड़ा मेला सज चुका है. ये वो मेला है जिसमें 140 करोड़ भारतियों में से लगभग 45 करोड़ हिस्सा लेने जा रहे हैं. लगभग डेढ़ महीने के इस मेले का नाम है महाकुंभ. वो महाकुंभ जो 12 साल बाद आता है. अब जहां डेढ़ महीने में करीब एक तिहाई भारतीय यानि 45 करोड़ हिंदुस्तानी एक ही शहर की सरजमीन पर होंगे.
BNSS: यह प्रावधान पुलिस अधिकारी को ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने और मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने या मामूली मामलों में व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर जल्द से जल्द रिहा करने की अनुमति देता है.
नए कानूनों पर विपक्ष क्या सवाल उठा रहा है? जानें- क्यों उसे भारत के 'पुलिस स्टेट' बनने का है डर.
एक जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू हो गए हैं. 1860 में बनी आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता लागू हो गई है. आईपीसी 164 साल पहले बनकर तैयार हुई थी. आईपीसी ने भारत में ब्रिटिश शासन को और प्रभावी बना दिया था. ऐसे में जानते हैं कि आईपीसी किस तरह बनकर तैयार हुई थी?
अब देश में ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ने ले ली है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को बताया कि नए आपराधिक न्याय कानूनों के तहत पहला मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आधी रात को करीब 12 बजकर 10 मिनट पर दर्ज किया गया है. जो कि एक बाइक चोरी का मामला है. गृह मंत्री ने यह भी कहा कि मैं सबसे पहले देश के लोगों को बधाई देना चाहता हूं कि आजादी के करीब 77 साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी हो गई है.
1 जुलाई से देशभर में तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू हो गए हैं. विपक्ष ने इन कानूनों पर सवाल उठाए हैं. विपक्ष के कई नेताओं का आरोप है कि इन कानूनों के जरिए सरकार देश को पुलिस स्टेट में बदलने की कोशिश कर रही है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर इन कानूनों पर विपक्ष सवाल क्यों उठा रहा है? और सरकार का क्या है कहना?
देश के आपराधिक कानून में कुछ बदलाव हुए हैं. इसके तहत, अब CRPC की जगह, अब BNSS यानी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू की जाएगी.
एक जुलाई 2024 से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होंगे. फिर 1860 के आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, 1898 के सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम ले लेंगे. इसके बाद कई चीजे़ं बदलेंगी.
एक जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जा रहे हैं. सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू हो जाएगी. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं, जिसका असर छोटे-मोटे अपराधियों से लेकर बड़े जुर्म करने वाले दोषियों तक पर पड़ेगा.
एक जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जा हैं. आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता और सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू हो जाएगी. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में गिरफ्तारी से लेकर कस्टडी समेत कई बड़े बदलाव हुए हैं. जानते हैं कि पहली तारीख से क्या-क्या बदल जाएगा?
लगातार तीसरी बार केंद्र में आई मोदी सरकार अब अपराधियों पर नकेल कसने जा रही है. मोदी सरकार ने 2,250 करोड़ रुपये की एक ऐसी योजना को मंजूरी दी है, जिससे देशभर में फॉरेंसिक जांच के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया जाएगा.
कौन सा कृत्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होगी? आईपीसी में इसका प्रावधान है. अब 1 जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता लागू हो जाएगी. इसमें कई सारी नई धाराएं जोड़ी गई हैं और कई सजाओं को सख्त किया गया है. जानते हैं कि महिलाओं के लिए बीएनएस में क्या-क्या है?