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बिरसा मुंडा

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बिरसा मुंडा (Birsa Munda, Freedom Fighter of India) एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और लोक नायक थे. वह मुंडा जनजाति से आते थे. उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) में पैदा हुए एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया था. उस आंदोलन से वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए. यहलआंदोलन मुख्य रूप से खूंटी, तामार, सरवाड़ा और बंदगांव के मुंडा बेल्ट में केंद्रित था (Birsa Munda Movement).

बिरसा ने अपने शिक्षक जयपाल नाग के मार्गदर्शन में सलगा में अपनी शिक्षा प्राप्त की. बाद में, बिरसा जर्मन मिशन स्कूल में शामिल होने के लिए एक ईसाई में परिवर्तित हो गए, लेकिन जल्द ही यह पता चला कि अंग्रेज शिक्षा के माध्यम से आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का लक्ष्य बना रहे थे, उन्होंने स्कूल छोड़ दिया (Birsa Munda Challenged Christian Missionaries). बिरसा मुंडा ने 'बिरसैत' नाम से एक धर्म का निर्माण किया. मुंडा समुदाय के सदस्य जल्द ही इस विश्वास में शामिल होने लगे जो बदले में ब्रिटिश धर्मांतरण गतिविधियों के लिए एक चुनौती बन गया. मुंडा विद्रोह का कारण औपनिवेशिक और स्थानीय अधिकारियों द्वारा अनुचित भूमि हथियाने की प्रथा थी जिसने आदिवासी पारंपरिक भूमि व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया.

उन्हें 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर के जामकोपई जंगल में गिरफ्तार किया गया था (Birsa Munda Arrest). उपायुक्त रांची के अनुसार, पत्र के माध्यम से 15 विभिन्न आपराधिक मामलों में 460 आदिवासियों को आरोपी बनाया गया, जिनमें से 63 को दोषी ठहराया गया. एक को मौत की सजा, 39 को आजीवन कारावास और 23 को चौदह साल तक की कैद की सजा सुनाई गई थी. मुकदमे के दौरान जेल में बिरसा मुंडा सहित छह कैदियों की मौत हो गई. बिरसा मुंडा की भी मृत्यु 9 जून 1900 को जेल में हो गई (Birsa Munda Death).

उनका चित्र भारतीय संसद संग्रहालय में लगाया हुआ है (Birsa Munda picture in Parliament Museaum). 

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को बंगाल प्रेसीडेंसी के लोहरदगा जिले के उलिहातु गांव में हुआ था (Birsa Munda Born), जो अब झारखंड के खूंटी जिले में है. बिरसा के पिता सुगना मुंडा थे. उलिहातु गांव में रहने वाले बिरसा के बड़े भाई कोमता मुंडा का घर अभी भी जर्जर हालत में मौजूद है (Birsa Munda House).

बिरसा के पिता, माता कर्मी हाटू और छोटे भाई पासना मुंडा, उलिहातु को छोड़कर बीरबंकी के पास कुरुम्बडा चले गए, जहां वे रोजगार की तलाश में थ. कुरुम्बडा में, बिरसा के बड़े भाई, कोमटा और उनकी बहन, दासकिर का जन्म हुआ. वहां से परिवार बंबा चला गया जहां बिरसा की बड़ी बहन चंपा का जन्म हुआ (Birsa Munda Family).

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 नवंबर 2021 को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए 15 नवंबर, बिरसा मुंडा की जयंती, जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने के लिए तय किया. उनकी जयंती कर्नाटक के मैसूर और कोडागु जिलों में आदिवासी लोगों द्वारा पहले से ही मनाई जाती रही है. आधिकारिक उत्सव का आयोजन, झारखंड की राजधानी रांची के कोकर में उनके समाधि स्थल में होता है. आज उनके नाम पर कई संगठन, निकाय और बिल्डिंग्स हैं (Birsa Munda Jayanti).

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