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जातिगत जनगणना

जातिगत जनगणना

जातिगत जनगणना

भारत में जातिगत जनगणना (Caste Census) की मांग हमेशा से रही है. जनगणना से अलग-अलग जातियों की संख्या के आधार पर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की कोशिश रहती है. लोगों के बीच असमानताओं को दूर करने के लिए जातिगत जनगणना की जरूरत होती है. 

बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण की प्रक्रिया 7 जनवरी, 2023 से शुरू हुई. बिहार में इस सर्वेक्षण को कराने की जिम्मेदारी सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी गई है. बिहार सरकार एक मोबाइल फोन ऐप- बिजगा (बिहार जाति आधारित गणना) के माध्यम से हर परिवार का डेटा डिजिटल रूप से एकत्र करने की योजना बना रही है. बिहार सरकार ने बिहार में जाति सर्वेक्षण कराने के लिए 6 जून 2022 को एक अधिसूचना जारी की थी (Caste Census 2023 in Bihar).

बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण का पहला चरण 7 जनवरी 2023 से शुरू हुआ, जो 21 जनवरी को समाप्त हुआ. सर्वेक्षण के दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू हुआ और 15 मई को समाप्त हुआ. इसमें फेज में परिवारों, उनकी जातियों, उपजातियों, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों आदि को एकत्र किया गया. सर्वेक्षण 31 मई 2023 को समाप्त हुआ (Caste Census in two Phases in Bihar).

केंद्र सरकार ने बिहार में किए गए जातिगत जनगणना के खिलाफ थी. सरकार का कहना था- केंद्र के अलावा किसी और सरकार को जनगणना प्रकिया कराने का अधिकार नहीं है. इसके खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा भी धाखिल कराया था, लेकिन कुछ ही घंटों में इसे वापस भी ले लिया था (Central Government on Bihar Caste Census 2023).

जाति जनगणना (Caste Census in India) में भारत की जनसंख्या को जाति-वार तालिका में दिखाया जाता है. भारत ने 1872 से अपने लोगों की गिनती शुरू की और 1952 से, देश ने अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) पर अलग-अलग डेटा भी गिना और प्रकाशित किया.

 

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