चंद्रयान
चंद्रयान (Chandrayaan) या चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम (Indian Lunar Exploration Programme), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक अंतरिक्ष मिशनों के लिए सीरीज है. इस प्रोग्राम में चंद्र ऑर्बिटर (Lunar Orbiter), इंपैक्टर (Impactor), सॉफ्ट लैंडर (Soft Lander) और रोवर अंतरिक्षयान (Rover Spacecraft) शामिल हैं. इस मिशन का नाम संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ होता है 'Moon-craft'.
चंद्रयान प्रोग्राम एक बहु मिशन कार्यक्रम है (Chandrayaan, Multiple Mission Programme). सितंबर 2019 तक, इसरो के वर्कहॉर्स PSLV रॉकेट का उपयोग करते हुए, एक इंपैक्टर जांच के साथ एक ऑर्बिटर को चंद्रमा पर भेजा गया है. 22 जुलाई 2019 को GSLV Mk III रॉकेट का उपयोग करके ऑर्बिटर, सॉफ्ट लैंडर और रोवर से युक्त दूसरा अंतरिक्षयान लॉन्च किया गया था. एटी से एक पॉडकास्ट में, VSSC के निदेशक एस सोमनाथ (Director S Somanath) ने कहा कि चंद्रयान कार्यक्रम में चंद्रयान- 3 और अधिक अनुवर्ती मिशन होंगे. चंद्रयान- 3 मिशन के 2023 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है (Chandrayaan- 3 Mission 2023).
शुक्र यानी Venus की स्टडी करने जा रहे भारतीय स्पेस्क्राफ्ट में Chandrayaan-1 वाला फॉर्मूला लगाएगा ISRO. इसरो प्रमुख डॉ. सोमनाथ ने एक इंटरव्यू में इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि यान से एक यंत्र शुक्र ग्रह की सतह की ओर गिराया जाएगा. जैसा 2008 में चंद्रयान-1 के समय किया गया था.
Japan के SLIM मून प्रोब ने वो काम कर दिखाया जो ISRO का Chandrayaan-3 भी नहीं कर पाया था. स्लिम मून प्रोब ने चांद की भयानक सर्दी वाली लंबी रात को सर्वाइव कर लिया है. इसके बाद उसने पृथ्वी से संपर्क भी किया है. जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा ने इस बात की पुष्टि की है.
चंद्रमा के जिस दक्षिणी ध्रुव पर दुनिया की महाशक्तियां नहीं पहुंच सकीं, वहां हिंदुस्तान पहुंचा है. भारत का राष्ट्रीय चिह्न चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर चस्पा हुआ है. भारत का तिरंगा चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लहराया है. आज की तारीख दुनिया में इतिहास बन चुकी है. हिंदुस्तान ने बता दिया है कि अंतरिक्ष का सिकंदर भारत है, अब चांद हमारा है.
तारीख 23 अगस्त 2023... समय शाम के 6 बजकर 4 मिनट...और भारत के चंद्रयान-3 ने चांद पर टचडाउन कर दिया. ये तारीख दुनिया में इतिहास बन गई. भारत के चांद पर पहुंचने के आखिरी 17 मिनट ऐसे थे, जिनको लेकर वैज्ञानिकों की भी सांसें थम गईं. लैंडिंग की प्रक्रिया में इन लम्हों में लैंडर को खुद उतरना होता है. इसरो के पास कोई कमांड नहीं थी. सॉफ्ट लैंडिंग हुई तो पूरा देश जश्न में डूब गया.
यहां फोटो में जो लाल और नीले घेरे दिख रहे हैं, यही वो घेरे हैं जहां पर ISRO ने Chandrayaan-3 और Chandrayaan-2 की टेस्टिंग की थी. इन घेरों में अलग-अलग आकार के गड्ढे यानी आर्टिफिशयल क्रेटर्स हैं. जिनमें रोवर को चलाकर देखा गया था. अब इनकी तस्वीर सामने आई है.
ISRO की नजर अब चांद से पत्थर लाने पर टिकी है. इस काम को वह Chandrayaan-4 मिशन से अंजाम देगा. यह बात इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने राष्ट्रपति भवन कल्चरर सेंटर में एक लेक्चर के दौरान कही. उन्होंने बताया कि कैसे चांद से मिट्टी और पत्थर का सैंपल इसरो धरती पर लाएगा. साथ ही उन्होंने भविष्य के अन्य मिशनों के बारे में भी बताया.
भारत का चंद्रयान-3 मिशन चल रहा है. उधर, Chandrayaan-4 की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. इस मिशन में भारत के साथ जापानी स्पेस एजेंसी भी काम करेगी. फिलहाल बेहद शुरुआती स्तर पर बातचीत चल रही है. जापानी वैज्ञानिक इस साल इसरो दौरे पर भी आए थे. आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में...
PM Modi ने Chandrayaan-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को धरती की ऑर्बिट में लाने पर ISRO को बधाई दी. साथ ही यह भी कहा कि इससे हमारे स्पेस स्टेशन और चांद पर भारतीयों को पहुंचाने का लक्ष्य पूरा होगा. पर असल में इसरो का प्लान क्या है? चांद की सतह पर भारतीयों को पहुंचाने का रोडमैप क्या होगा? कैसे पहुंचेंगे वहां पर?
Chandrayaan-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) जो चांद का चक्कर लगा रहा था, उसे ISRO धरती की कक्षा में वापस ले आया है. यानी इसरो अपने यान को वापस बुलाने की क्षमता रखता है. इसके पहले चांद की सतह पर विक्रम लैंडर की छलांग लगवाकर इसरो ने पूरी दुनिया को सरप्राइज किया था.
अमेरिका 50 साल बाद चंद्रमा पर वापस जा रहा है. अगले महीने की 25 तारीख को NASA एक लैंडर को लॉन्च करेगा. आखिरी अपोलो मिशन के बाद पहली बार अमेरिकी स्पेस एजेंसी कोई मून मिशन करने जा रही है. वह पहली बार किसी निजी कंपनी के लैंडर को चांद की सतह पर उतारने जा रही है.
ISRO ने चांद और धरती की नई तस्वीर जारी की है. ये फोटोग्राफ्स और वीडियो 17 अगस्त की दोपहर तब ली गई थीं, जब विक्रम लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो रहे थे. ये ठीक उनके अलग होने के बाद विक्रम में लगे लैंडर इमेजर L1 कैमरा-1 से ली गई थीं. आप भी देखिए ये अद्भुत Photos...
Chandrayaan-3 को धरती से 36 हजार किलोमीटर दूर भेजने वाला हिस्सा अब जाकर वापस लौटा. पिछली रात ढाई बजे के करीब यह हिस्सा अमेरिका के पास उत्तरी प्रशांत महासागर में बेकाबू होकर गिरा. इस पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता था. यह LVM-3 M4 रॉकेट का क्रायोजेनिक अपर स्टेज था.
L&T Q2 Results : लार्सन एंड टुब्रो कंपनी की एयरोस्पेस यूनिट ने Chandrayaan-3 के लॉन्च व्हीकल के लिए जरूरी कंपोनेंट्स की सप्लाई की थी. इसके अलावा यान का Booster Segment इंजीनियरिंग सेक्टर की इसी बड़ी कंपनी के द्वारा तैयार किया गया था.
एनसीआईरटी ने 17 अक्टूबर को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में 'चंद्रयान उत्सव' नामक मॉड्यूल का सेट ऑनलाइन जारी किया था. ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क (AIPSN) ने इसे छात्रों को दी जाने वाली गलत जानकारी बताया है.
Chandrayaan-3 से फिर खुशखबरी आई है. चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) परमाणु तकनीक से ऊर्जा हासिल कर रहा है. यानी वह कई सालों तक चांद के चारों तरफ चक्कर लगाता रहेगा. अंतरिक्ष और चंद्रमा के नए रहस्यों को उजागर करता रहेगा.
इससे पहले इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ ने बताया था कि प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को जो काम दिया गया था. वह वो पूरा कर चुका है. अगर अब वो नींद से बाहर नहीं भी आते हैं, तो उससे कोई दिक्कत नहीं है. चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा है.
चंद्रयान 3 की सफलता का जश्न इस बार रामलीला समितियां भी मना रही हैं. दिल्ली में इस बार रावण चंद्रयान 3 पर सवार होकर सीता हरण करेगा. इस तरह के मंचन की तैयारी कर ली गई है.
Chandrayaan-3 मिशन अब खत्म होने वाला है. तीन-चार दिन में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर फिर रात हो जाएगी. शिव शक्ति प्वाइंट पर विक्रम-प्रज्ञान भयानक सर्दी वाली 14-15 दिन के अंधेरे में चले जाएंगे. ऐसे में उम्मीद तो सिर्फ चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module - PM) से है. जो एक्टिव है, अब भी डेटा भेज रहा है.
अमेरिकी दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंध अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं. वाशिंगटन में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा जयशंकर ने कहा कि ये द्विपक्षीय संबंध चंद्रयान की तरह चांद पर और उससे भी परे पहुंचेंगे.
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन पूरा हो चुका है. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जो काम दिया गया था, उन दोनों ने अपना काम सफलतापूर्वक पूरा कर दिया है. अब वो चैन की नींद सो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक सूरज-चांद रहेंगे तब तक चंद्रयान-3 रहेगा. देखें ये वीडियो.
ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा है कि Chandrayaan-3 मिशन पूरा हो चुका है. लैंडर और रोवर को जो काम दिया गया था. उन दोनों ने पूरा कर दिया है. यह एक शानदार और सफल मिशन था. अगर लैंडर-रोवर अब नींद से नहीं जगते, तो हमें उसका दुख नहीं है. क्योंकि वो अपना काम पूरा करके सोए हैं.