चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा नियोजित तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है. चंद्रयान-2 के बाद, सॉफ्ट लैंडिंग गाइडेंस सॉफ्टवेयर में आखिरी मिनट की गड़बड़ी के कारण लैंडर के सॉफ्ट लैंडिंग प्रयास को सफल ऑर्बिटल इंसर्शन के बाद विफल कर दिया गया था. सॉफ्ट लैंडिंग को प्रदर्शित करने के लिए एक और चंद्र मिशन प्रस्तावित किया गया था. चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का मिशन रिपीट किया गया (Repeat Mission of Chandrayaan -2), लेकिन इसमें चंद्रयान-2 की तरह ही एक लैंडर और रोवर शामिल है. इसमें कोई ऑर्बिटर नहीं है. इस अंतरिक्ष यान को 2023 में प्रक्षेपित करने की योजना की पूरी तैयारी कर 2022 में कर ली गई थी. अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए रॉकेट भी तैयार कर लिया गया था, इसे 14 जुलाई 2023 में लॉन्च किया गया (Chandrayaan will Launched in 2023).
चंद्रयान-3 के लैंडर में केवल चार थ्रॉटल-सक्षम इंजन हैं, चंद्रयान-2 पर विक्रम के विपरीत, जिसमें पांच 800 न्यूटन इंजन हैं, जिसमें पांचवें को एक निश्चित जोर के साथ केंद्रीय रूप से लगाया गया था (Four Throttle-able Engines in Chandrayaan-3). इसके अतिरिक्त, चंद्रयान-3 लैंडर एक लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर (LDV) से लैस है.
चंद्रयान 3 की सफलता के बाद PM मोदी ने 23 अगस्त को नेशनल स्पेस डे घोषित किया था. अब पहले स्पेस डे के मौके पर अहमदाबाद में भी तैयारियां की गई हैं. दरअसल चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग में अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर ने बड़ी भूमिका निभाई थी. देखें गुजरात आजतक.
दुनिया में ISRO की शान बढ़ाने वाले Chandrayaan-3 के डेटा से नया खुलासा हुआ है. पता चला है कि चंद्रमा पर गर्म लावा का समंदर था. पूरे चंद्रमा पर पिघले हुए गर्म पत्थरों का महासागर था. ये कई तरह के केमिकल की जांच के बाद पता चला है. इन रसायनों का डेटा चंद्रयान-3 ने भारतीय वैज्ञानिकों को दिया.
ISRO प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने 23 अगस्त 2024 को National Space Day घोषित किया है. पिछले साल इसी दिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास Chandrayaan-3 की लैंडिंग हुई थी. इसरो चीफ ने देश के सभी लोगों को इसरो के कार्यक्रमों और सेलिब्रेशन में भाग लेने की अपील की है.
पाकिस्तान की मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान पार्टी के सांसद सैयद मुस्तफा कमाल ने पाकिस्तानी संसद को संबोधित करते हुए कहा कि कराची की स्थिति ऐसी है कि जब दुनिया चांद पर जा रही है. हमारे यहां बच्चे खुले गटर में गिरकर मर रहे हैं. टीवी स्क्रीन पर एक तरफ भारत के चांद पर पहुंचने की खबर आती है तो दो सेकंड बाद दूसरी स्क्रीन में खबर आती है कि कराची में एक बच्चा खुले गटर में गिरकर मर गया. ये हर तीसरे दिन की खबर है.
दुर्घटना से देर भली... अगर इसरो वैज्ञानिकों ने थोड़ी सी देर न की होती. तो चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा पर पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाता. वो भी लॉन्चिंग के कुछ समय बाद ही. यह खुलासा इसरो की एक नई रिपोर्ट में हुआ है. आइए जानते हैं कि कैसे इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 मिशन को न सिर्फ बचाया बल्कि उसे सफल बनाया.
रमेश कुन्हिकन्नन का नाम फोर्ब्स बिलियनेयर की लिस्ट में पहली बार शामिल हुए हैं. दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में रमेश कुन्हिकन्नन (Ramesh Kunhikannan) ने अपना स्थान बनाया है, जिसमें मुकेश अंबानी और एलन मस्क जैसे कई दिग्गज शामिल हैं.
Japan के SLIM मून प्रोब ने वो काम कर दिखाया जो ISRO का Chandrayaan-3 भी नहीं कर पाया था. स्लिम मून प्रोब ने चांद की भयानक सर्दी वाली लंबी रात को सर्वाइव कर लिया है. इसके बाद उसने पृथ्वी से संपर्क भी किया है. जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा ने इस बात की पुष्टि की है.
चंद्रमा के जिस दक्षिणी ध्रुव पर दुनिया की महाशक्तियां नहीं पहुंच सकीं, वहां हिंदुस्तान पहुंचा है. भारत का राष्ट्रीय चिह्न चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर चस्पा हुआ है. भारत का तिरंगा चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लहराया है. आज की तारीख दुनिया में इतिहास बन चुकी है. हिंदुस्तान ने बता दिया है कि अंतरिक्ष का सिकंदर भारत है, अब चांद हमारा है.
तारीख 23 अगस्त 2023... समय शाम के 6 बजकर 4 मिनट...और भारत के चंद्रयान-3 ने चांद पर टचडाउन कर दिया. ये तारीख दुनिया में इतिहास बन गई. भारत के चांद पर पहुंचने के आखिरी 17 मिनट ऐसे थे, जिनको लेकर वैज्ञानिकों की भी सांसें थम गईं. लैंडिंग की प्रक्रिया में इन लम्हों में लैंडर को खुद उतरना होता है. इसरो के पास कोई कमांड नहीं थी. सॉफ्ट लैंडिंग हुई तो पूरा देश जश्न में डूब गया.
यहां फोटो में जो लाल और नीले घेरे दिख रहे हैं, यही वो घेरे हैं जहां पर ISRO ने Chandrayaan-3 और Chandrayaan-2 की टेस्टिंग की थी. इन घेरों में अलग-अलग आकार के गड्ढे यानी आर्टिफिशयल क्रेटर्स हैं. जिनमें रोवर को चलाकर देखा गया था. अब इनकी तस्वीर सामने आई है.
Japan का SLIM मून मिशन सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतर चुका है. इसके साथ ही जापान ये सफलता हासिल करने वाला दुनिया पांचवां देश बन गया है. जापान के अंतरिक्षयान ने धरती से चांद तक पहुंचने के लिए 5 महीने की यात्रा की.
भारत का चंद्रयान-3 मिशन चल रहा है. उधर, Chandrayaan-4 की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. इस मिशन में भारत के साथ जापानी स्पेस एजेंसी भी काम करेगी. फिलहाल बेहद शुरुआती स्तर पर बातचीत चल रही है. जापानी वैज्ञानिक इस साल इसरो दौरे पर भी आए थे. आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में...
Chandrayaan-3 से जुड़ी इसरो की वैज्ञानिक कल्पना कालाहस्ती ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन भविष्य के मून मिशनों का लॉन्च पैड है. इससे मिले डेटा और एक्सपेरिमेंट्स हमें कई और मिशन करने के लिए प्रेरित करेंगे. उसमें मदद करेंगे. हम जिस तकनीक और रास्ते से चल रहे हैं, उसमें सफलता हासिल करना तय है.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि तुलना नासा से करते थे, लेकिन आज नासा वाले हमें फॉलो कर रहे हैं. हम साइंस के मामले में फ्रंटलाइन नेशन बनकर बैठे हैं. पिछले दस सालों में 400 विदेशी सैटेलाइट लॉन्च किए हैं. हमारे पास ओशन रिसोर्स है. हिमालयन रिसोर्स है. स्पेस रिसोर्स है. भारत इनके दम पर शिखर तक जाएगा.
Chandrayaan-3 और Aditya-L1 मिशन की सफलता ने भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का परचम पूरी दुनिया में लहराया है. कई तरह के लॉन्च व्हीकल्स का परीक्षण हुआ. सैकड़ों सैटेलाइट्स छोड़े गए. गगनयान के टेस्ट चल रहे हैं. आइए जानते हैं इसरो ने कैसे इस साल भारत का सीना गर्व से चौड़ा किया है.
PM Modi ने Chandrayaan-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को धरती की ऑर्बिट में लाने पर ISRO को बधाई दी. साथ ही यह भी कहा कि इससे हमारे स्पेस स्टेशन और चांद पर भारतीयों को पहुंचाने का लक्ष्य पूरा होगा. पर असल में इसरो का प्लान क्या है? चांद की सतह पर भारतीयों को पहुंचाने का रोडमैप क्या होगा? कैसे पहुंचेंगे वहां पर?
इसरो ने बताया कि प्रोपल्शन मॉड्यूल को चांद की कक्षा से वापस पृथ्वी की कक्षा में लाने के प्रयोग का मुख्य फायदा आगामी मिशनों की योजना तैयार करने के दौरान होगा. खासकर मिशन को चांद से वापस पृथ्वी तक लाने में.
Chandrayaan-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) जो चांद का चक्कर लगा रहा था, उसे ISRO धरती की कक्षा में वापस ले आया है. यानी इसरो अपने यान को वापस बुलाने की क्षमता रखता है. इसके पहले चांद की सतह पर विक्रम लैंडर की छलांग लगवाकर इसरो ने पूरी दुनिया को सरप्राइज किया था.
अमेरिका 50 साल बाद चंद्रमा पर वापस जा रहा है. अगले महीने की 25 तारीख को NASA एक लैंडर को लॉन्च करेगा. आखिरी अपोलो मिशन के बाद पहली बार अमेरिकी स्पेस एजेंसी कोई मून मिशन करने जा रही है. वह पहली बार किसी निजी कंपनी के लैंडर को चांद की सतह पर उतारने जा रही है.
ISRO ने चांद और धरती की नई तस्वीर जारी की है. ये फोटोग्राफ्स और वीडियो 17 अगस्त की दोपहर तब ली गई थीं, जब विक्रम लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो रहे थे. ये ठीक उनके अलग होने के बाद विक्रम में लगे लैंडर इमेजर L1 कैमरा-1 से ली गई थीं. आप भी देखिए ये अद्भुत Photos...
चंद्रयान-3 का अपर स्टेज वाला हिस्सा (क्रायोजेनिक) 5 महीने बाद धरती पर गिरा है. इस हिस्से ने ही चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को ऊपर बताई गई कक्षा में डाला था. तब से उसी ऊंचाई पर धरती के चारों तरफ चक्कर लगा रहा था. देखें वीडियो