scorecardresearch
 
Advertisement

छत्रपति शिवाजी

छत्रपति शिवाजी

छत्रपति शिवाजी

छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji) एक योद्धा और एक मराठा राजा थे जिन्होंने मुगलों के खिलाफ कई जंग लड़ी थी. उनकी वीरता, रणनीति और नेतृत्व के चलते उन्हें 'छत्रपति' की उपाधि मिली थी. वे मराठा संघ के पांचवें छत्रपति थे. एक कुशल शासक, सैन्य रणनीतिकार, एक वीर योद्धा, मुगलों और सभी धर्मों का सम्मान करने वाले शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को पुणे के पास स्थित शिवनेरी के दुर्ग में हुआ था. उनके पिता का नाम शाहजी और माता का नाम जीजाबाई था. 

बात करें सैन्य रणनीति की तो शिवाजी उसमें भी माहिर थे. उन्होंने अपने सैनिकों की तादाद को 2 हजार से बढ़ाकर 10 हजार किया था. भारतीय शासकों में वो पहले ऐसे थे जिसने नौसेना की अहमियत को समझा. उन्होंने सिंधुगढ़ और विजयदुर्ग में अपने नौसेना के किले तैयार किए. रत्नागिरी में उन्होंने अपने जहाजों को सही करने के लिए दुर्ग तैयार किया था.

उनकी सेना पहली ऐसी थी जिसमें गुरिल्ला युद्ध का जमकर इस्तेमाल किया गया. जमीनी युद्ध में शिवाजी को महारत हासिल थी, जिसका फायदा उन्हें दुश्मनों से लड़ने में मिला. पेशेवर सेना तैयार करने वाले वो पहले शासक थे.

छोटी उम्र में ही उन्हें मुगल बादशाह औरंगजेब ने रायगढ़ की घेराबंदी के दौरान हिरासत में लेकर बंदी बना लिया था. औरंगजेब की मृत्यु के बाद उन्हें ताराबाई और शाहू के मराठा गुटों के बीच आंतरिक संघर्ष की योजना बनाने की उम्मीद में कैद से रिहा कर दिया गया था. खेड़ के खूनी युद्ध में शिवाजी विजयी हुए और उन्हें छत्रपति का ताज पहनाया गया.

वह जबरन धर्मांतरण के सख्त खिलाफ थे. उनकी सेना में मुस्लिम बड़े पद पर मौजूद थे. इब्राहिम खान और दौलत खान उनकी नौसेना के खास पदों पर थे. सिद्दी इब्राहिम उनकी सेना के तोपखानों का प्रमुख था.

शिवाजी ने 1657 तक मुगलों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध कायम रखे थे. यहां तक कि बीजापुर जीतने में शिवाजी ने औरंगजेब की मदद भी की लेकिन शर्त ये थी कि बीजापुर के गांव और किले मराठा साम्राज्य के तहत रहे. दोनों के बीच मार्च 1657 के बीच तल्खी शुरू हुई और दोनों के बीच ऐसी कई लड़ाईयां हुईं जिनका कोई हल नहीं निकला.

बचपन में शिवाजी अपनी उम्र के बच्चों को इकट्ठा कर उनके नेता बनकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेला करते थे. जब वह बड़े हुए तो उनका ये खेल वास्तविक कर्म शत्रु बनकर शत्रुओं पर आक्रमण कर उनके किले आदि भी जीतने लगे. जैसे ही शिवाजी ने पुरंदर और तोरण जैसे किलों पर अपना अधिकार जमाया.

शिवाजी एक दयालु शासक के तौर पर भी याद किए जाते हैं. 

और पढ़ें

छत्रपति शिवाजी न्यूज़

Advertisement
Advertisement