ताइवान पर चीन का कब्जा करने का इरादा वर्षों पुराना है, लेकिन यूक्रेन युद्ध को देखकर चीन को भी सही मौका दिखाई देने लगा, इसलिए चीनी सेना बार-बार ताइवान में घुसपैठ करने की कोशिश कर रही है. अप्रैल 2024 में चीन के 4 लड़ाकू विमान ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में घुसपैठ करने की कोशिश की. इससे पहले जनवरी में चीन 12 बार ताइवान की वायु सीमा के अंदर घुसपैठ की कोशिश कर चुका है. 2021 में चीन के सैन्य विमानों ने 239 दिनों में 961 बार ताइवान के वायुरक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया (China Taiwan Conflict).
चीन और ताइवान के इतिहास के बारे में बात करें तो, ताइवान के पहले ज्ञात निवासी ऑस्ट्रोनेशियन आदिवासी लोग थे, जिनके बारे में माना जाता है कि वे आधुनिक दक्षिणी चीन से आए थे. चीनी अभिलेखों में इस द्वीप का पहली बार उल्लेख 239 ई. में मिलता है, जब एक सम्राट ने इस पर एक अभियान दल भेजा था. डच उपनिवेश के रूप में अपेक्षाकृत संक्षिप्त अवधि के बाद, ताइवान पर चीन के किंग राजवंश का शासन था, इससे पहले कि जापान द्वारा प्रथम चीन-जापानी युद्ध जीतने के बाद इसे टोक्यो को सौंप दिया गया. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया और चीन से लिए गए क्षेत्र का नियंत्रण छोड़ दिया. उसके बाद, ताइवान को आधिकारिक तौर पर चीन गणराज्य (आरओसी) द्वारा कब्जा कर लिया गया, जिसने अपने सहयोगियों,अमेरिका और ब्रिटेन की सहमति से शासन करना शुरू किया. लेकिन अगले कुछ वर्षों में चीन में गृहयुद्ध छिड़ गया और तत्कालीन नेता चियांग काई-शेक की सेना माओत्से तुंग की कम्युनिस्ट सेना से हार गई. चियांग, उनकी कुओमिन्तांग (केएमटी) सरकार के अवशेष और उनके समर्थक - लगभग 1.5 मिलियन लोग - 1949 में ताइवान भाग गए.
चियांग की मृत्यु के बाद, ताइवान ने लोकतंत्र में परिवर्तन शुरू किया और 1996 में अपने पहले चुनाव आयोजित किए. इसका अपना संविधान है, लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेता हैं, और इसके सशस्त्र बलों में लगभग 300,000 सक्रिय सैनिक हैं.
चियांग की निर्वासित आरओसी सरकार ने पहले पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने का दावा किया, जिस पर उसका फिर से कब्ज़ा करने का इरादा था. इसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन की सीट पर कब्ज़ा किया और कई पश्चिमी देशों ने इसे एकमात्र चीनी सरकार के रूप में मान्यता दी.
लेकिन 1970 के दशक तक कुछ देशों ने तर्क देना शुरू कर दिया कि ताइपे सरकार को अब मुख्य भूमि चीन में रहने वाले लोगों का वास्तविक प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता.
1971 में, संयुक्त राष्ट्र ने बीजिंग को राजनयिक मान्यता दे दी. 1978 में जब चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को खोलना शुरू किया, तो अमेरिका ने व्यापार के अवसरों और संबंधों को विकसित करने की आवश्यकता को पहचाना. इसने 1979 में बीजिंग के साथ औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध स्थापित किए
तब से आरओसी सरकार को मान्यता देने वाले देशों की संख्या में भारी गिरावट आई है और आज केवल 12 देश ही द्वीप को मान्यता देते हैं. चीन ताइवान को मान्यता न देने के लिए अन्य देशों पर काफी कूटनीतिक दबाव डालता रहा है.
चीन के इस कदम के जवाब में ताइवान ने हालात में पर बारीकी से नजर रखने और अलर्ट जारी करने के लिए नेवी, एयरफोर्स और आर्मी को भेजा है. ताइपे ने बीजिंग पर बलपूर्वक सैन्य रणनीति अपनाने का आरोप लगाया, जिससे द्वीप पर कब्जा करने की आशंका और बढ़ गई है.
चीन और ताइवान के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है. चीन की ओर से ताइवान के पास 'लाइव फायर' ड्रिल के ऐलान के बाद द्वीपीय देश ने बुधवार को अपनी सेना तैनात कर दी. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने चीन के इन अभ्यासों को 'खतरनाक' करार देते हुए कड़ी निंदा की है.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का बड़ा बयान सामने आया है. जिनपिंग ने कहा कि चीन-ताइवान के एकीकरण को रोकना नामुमकिन है. AI एंकर के साथ देखें बड़ी खबरें.
पिछले कुछ वर्षों में चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ गया है, खासकर लाई चिंग-ते के मई 2024 में ताइवान के राष्ट्रपति बनने के बाद. लाई चिंग-ते को चीन 'अलगाववादी' नेता मानता है, जो स्वतंत्र एवं संप्रभु ताइवान की वकालत करते हैं. चीन साफ तौर पर कहता रहा है कि वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लेने के लिए बल प्रयोग से पीछे नहीं हटेगा.
अमेरिका ने चीन के हमले से बचने के लिए प्रशांत महासागर में मौजूद अपने गुआम एयर बेस से इंटरसेप्टर मिसाइल का परीक्षण किया. इस मिसाइल ने हवा से जमीन पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को आसमान में ही नष्ट कर दिया. परीक्षण में एंडरसन एयर बेस के पूरे डिफेंस सिस्टम की भी टेस्टिंग की गई.
रूस की यूक्रेन से, मिडिल ईस्ट में अलग, इजरायल की जंग अलग, चीन ताइवान पर कब्जा करने की कोशिश में है. उत्तर कोरिया रूस की मदद कर रहा है. दक्षिण कोरिया से जंग के लिए तैयारी कर रहा है. यूक्रेन, गाजा लेबनान और सीरिया भी वॉर जोन में ही हैं. तीसरे विश्व युद्ध से कितना करीब है दुनिया?
ताइवान ने अपने आस-पास 7 चीनी विमान और नौसेना के 5 युद्धपोत देखे हैं. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने चीन की सैन्य गतिविधि की जानकारी दी जिसमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 7 विमान और नौसेना के 5 पोत शामिल थे, ताइवान ने कहा कि चीन के दो विमान मध्य रेखा को पार कर ताइवान के रक्षा क्षेत्र में दाखिल हो गए। चीन ताइवान के आसपास लगातार आक्रामक सैन्य ड्रिल कर रहा है.
China गुआम किलर के नाम से मशहूर परमाणु मिसाइल DG-26 की संख्या बढ़ा रहा है. यह एक इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो प्रशांत महासागर में मौजूद अमेरिकी सेना को आसानी से टारगेट कर सकती है. चीन किस पर इसका इस्तेमाल करेगा ये जानकारी तो नहीं है, लेकिन अमेरिका के समर्थन वाले देश निशाना बन सकते हैं. आइए जानते हैं इस मिसाइल की ताकत...
China लगातार ताइवान के खिलाफ मिलिट्री ड्रिल कर रहा है. समंदर, हवा और जमीन तीनों जगहों पर हथियारों और ताकत का प्रदर्शन कर रहा है. इस बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने सैनिकों से कहा कि 'जंग के लिए तैयार रहो'. साथ ही सेना की ताकत बढ़ाने का निर्देश दिया.
चीन जब चाहे चुटकियों में पूरे ताइवान को कब्रिस्तान में बदल सकता है. उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी लैंड-बेस्ड मिसाइल फौर्स है. यानी ऐसी जिसमें बैलिस्टिक, क्रूज और हाइपरसोनिक मिसाइलें शामिल हैं. बड़ी मिसाइलों की तो जरूरत ही नहीं पड़ेगी. कम रेंज की मिसाइलों से ही ताइवान का काम तमाम हो जाएगा.
चीन में ऐसी ऑटमैटिक फैक्ट्री है, जो एक दिन में 1000 से ज्यादा क्रूज मिसाइलें बना सकती है. वहां की सरकारी मीडिया CCTV इसका एक वीडियो भी जारी किया है. यानी अगले कुछ सालों में चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी मिसाइल फोर्स होगी. इतनी तेजी से तो कोई देश मिसाइलें नहीं बना सकता.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने सैनिकों से जंग के लिए तैयार रहने को कहा है. साथ ही सेना को और मजबूत बनाने की बात भी कही है.
भारत में ताइवान का नया ऑफिस खोले जाने पर चीन ने नाराजगी जताई है. वहां की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा है कि हम इसका राजनयिक विरोध करते हैं. दरअसल भारत में ताइपे का आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र ने बुधवार को मुंबई में अपनी एक शाखा खोली है.
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और ताइवान के साथ किसी भी देश के स्वतंत्र रिश्ते को लेकर आपत्ति जताता रहा है. मुंबई में ताइवान का रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस खुला है जिसे लेकर चीन ने नाराजगी जताई है. भारत में मुंबई से पहले दिल्ली और चेन्नई में ताइवान के रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस खोले गए हैं.
चीन ने ताइवान के समुद्री इलाकों के पास अपनी चहलकदमी बढ़ा दी है चीन ताइवान के चारों तरफ ज्वाइंट स्वार्ड 2024बी युद्धाभ्यास कर रहा है. इसके चलते वों ताइवान को चारों तरफ से घेर चुका हैं. ताइवान के उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में युद्धपोत और लड़ाकू विमान तैनात किए हैं. ताइवान में इस समय वॉर अलर्ट है.
चीन ने सोमवार को ताइवान के आसपास में एक बार फिर बड़े स्तर पर सैन्य अभ्यास किया. चीन ने ताइवान की सीमा के आसपास आर्मी, नौसेना, एयर फोर्स और मिसाइल कोर की भी तैनाती कर दी है. कैप्टर ली शी ने एक बयान में कहा कि इस अभ्यास का उद्देश्य ताइवान की स्वतंत्रता के अलगाववादी की आवाज को सख्त संदेश देना और ये राष्ट्रीय प्रभुत्व व एकता की रक्षा करने के लिए जरूरी ऑपरेशन है.
ताइवान पर चीन का संकट मंडरा रहा है. ताइवान को घेरने के लिए चीनी सेना का ऑपरेशन ज्वाइंट स्वॉर्ड 2024बी शुरू हो चुका है. ताइवानी सेना पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार है. इतना ही नहीं ताइवान में वॉर अलर्ट घोषित हो गया है. यानी किसी भी समय जंग हो सकती है. ताइवानी के सपोर्ट में अमेरिका भी है.
वीडियो में पीएलए के लड़ाकू जेट और युद्धपोतों को एक साथ ऑपरेट करते हुए दिखाया गया है. चीन की तरफ से यह वीडियो तब जारी किया गया है जब ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि लियाओनिंग वाहक के नेतृत्व में एक चीनी नौसेना समूह ने बाशी चैनल के पास पानी में प्रवेश किया था, जो दक्षिण चीन सागर और प्रशांत महासागर को जोड़ता है और ताइवान को फिलीपींस से अलग करता है.
जैसे एनाकोंडा धीरे-धीरे अपने शिकार के चारों तरफ घेरा बनाता है. यहीं रणनीति चीन इस समय ताइवान के खिलाफ अपना रहा है. यह बात ताइवान के नौसैनिक कमांडर तांग हुआ ने भी कही. उन्होंने कहा कि यह एनाकोंडा स्ट्रैटेजी है.
Taiwan के नौसेना कमांडर ने कहा है कि China इस समय Anaconda Strategy का इस्तेमाल कर रहा है. ताकि वह ताइवान को डरा सके. दबा सके. इस रणनीति के तहत वह चाहता है कि हम कोई गलती करें और वो हमला कर दे. चीन बेहद धीमी गति से लेकर पुख्ता तौर पर इसी रणनीति का इस्तेमाल करके हम पर हमला करेगा.
ताइवान को चीन का अभिन्न अंग बताते हुए शी ने कहा, 'ताइवान चीन का पवित्र क्षेत्र है और दोनों ओर के लोग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.' उन्होंने ताइवान की स्वतंत्रता की गतिविधियों का कड़ा विरोध करने का संकल्प लिया.