चिन्मय प्रभु (Chinmay Prabhu) बांग्लादेश (Bangladesh) सनातन जागरण मंच के प्रमुख नेता हैं. वे इस्कॉन चटगांव (ISKCON) के पुंडरीक धाम के अध्यक्ष भी हैं. उनको 25 नवंबर 2024 को ढाका के हजरत शाहजलाल हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया. अदालत में पेश किए जाते समय चिन्मय दास ने मीडिया से कहा कि बांग्लादेश के हिंदुओं से उनकी अपील है कि वे अपने आंदोलन की प्रक्रिया को योजना के मुताबिक जारी रखें. ढाका पुलिस के मुताबिक चिन्मय दास के खिलाफ दायर एक शिकायत के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई. उनपर बांग्लादेश के राष्ट्र ध्वज को अपमानित करने का आरोप लगाया गया हैं.
वह बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. बांग्लादेश में लगभग 75 इस्कॉन मंदिर हैं. इस संगठन से 50,000 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं.
पूर्व ISKCON साधु चिन्मय कृष्ण दास के वकीलों ने देशद्रोह मामले में उनके लिए बांग्लादेश की एक हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है. इस बीच, चिटगांव कोर्ट ने 63 हिंदू वकीलों को अंतरिम जमानत दी है, जिन्हें मुस्लिम वकील की मौत से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया था.
बांग्लादेश के हिंदू संत को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है. बता दें कि चिन्मय दास को 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था. बांग्लादेश पुलिस ने उनके ऊपर झंडे का अपमान करने का आरोप लगाते हुए राजद्रोह का केस दर्ज किया है.
बांग्लादेश में गिरफ्तार हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास के वकील रबिन्द्र घोष अचानक बीमार पड़ गए और उन्हें कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वह चिन्मय दास के मामले की सुनवाई से पहले सीने में दर्द के कारण अस्पताल में एडमिट हुए. घोष बांग्लादेश में हिंदू समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे.
स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन ने बांग्लादेश में गिरफ्तार हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई के लिए अपनी आवाज उठाई है. मिशन के बांग्लादेश शाखा के प्रमुख स्वामी पूर्णात्मानंद ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को पत्र लिखकर सरकार से चिन्मय दास की जल्द रिहाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया है.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमलों और हिंदू धर्मगुरु चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद भारत-बांग्लादेश का रिश्ता अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच गया है. बांग्लादेश ने भारत के साथ कूटनीतिक टकराव को बढ़ा दिया है. कोलकाता और त्रिपुरा में तैनात अपने दो राजनयिकों को तत्काल ढाका बुला लिया है. देखें रणभूमि.
मोहम्मद यूनुस ने धार्मिक गुरुओं से मुलाकात कर कहा कि अल्पसंख्यकों पर हमले का मामला फिर सामने आया है. लेकिन वास्तविकता और विदेशी मीडिया में छप रही खबरों में जमीन-आसमान का अंतर है.
बांग्लादेश के नेता सालेहुद्दीन अहमद ने कहा है कि राजनीतिक तनाव का असर भारत-बांग्लादेश व्यापार पर नहीं होगा. उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश गुणवत्ता और कीमतों को आधार बनाकर ही किसी भी देश के साथ व्यापार करेगा, इसमें राजनीति आड़े नहीं आएगी.
मथुरा से सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि बांग्लादेश में जो हो रहा है, वो विदेश नीति का मुद्दा नहीं है बल्कि हमारे धर्म का मुद्दा है. हम ऐसे चुप नहीं बैठ सकते.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले बढ़ गए हैं. इस बीच जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश नाम का संगठन एक बार फिर चर्चा में है. खुफिया रिपोर्ट से पता चला है कि इस संगठन से जुड़े आतंकी हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं.
बांग्लादेश के हिंदू संत और इस्कॉन के पूर्व सदस्य चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को एक सप्ताह बीत चुका है. ऐसे में अब उनकी जमानत की याचिका पर बांग्लादेश की एक अदालत में 3 दिसंबर को सुनवाई होगी.
प्रवर्तक संघ के प्रमुख स्वतंत्र गौरांग दास ने कहा कि मुझे एक वॉयस रिकॉर्डिंग से पता चला कि हमारे 2 सदस्यों को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वे जेल में चिन्मय कृष्ण को भोजन देने गए थे. गिरफ्तार भक्तों ने रिकॉर्डिंग के जरिए हमें बताया कि 'उन्हें' कोतवाली पुलिस स्टेशन द्वारा गिरफ्तार किया गया है. एक अन्य वॉयस मैसेज में कहा गया कि 'उन्हें जेल भेजा जा रहा है .
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बांग्लादेश सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार तत्काल बंद हों. आरएसएस ने चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई की मांग की है. संघ ने भारत सरकार से आह्वान किया है कि वह बांग्लादेश में हिंदुओं तथा अन्य सभी अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के प्रयासों को हरसंभव जारी रखे.
बांग्लादेश में चिन्मय दास समेत 17 लोगों के बैंक खाते फ्रीज, अब लेन-देन की होगी जांच.
बांग्लादेश बैंक की वित्तीय खुफिया इकाई (BFIU) ने गुरुवार को विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिए हैं, इसमें कहा गया है कि संबंधित खातों में एक महीने के लिए सभी प्रकार के लेन-देन पर रोक लगा दी जाए.
चटगांव में हिंसा के बाद इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का बयान सामने आया है. उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को जमकर निशाना साधा और हिंदू पुजारी चिन्मय दास का समर्थन करते हुए कहा कि सनातन धर्म समुदाय के एक शीर्ष नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए.
मोहनदास पाई का ये बयान विनोद खोसला के सात अगस्त के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने शेख हसीना के इस्तीफे और उनके देश छोड़ फरार होने के बाद मोहम्मद यूनिस को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाए जाने पर खुशी जाहिर की थी.
बांग्लादेश इस समय सांप्रदायिक आग में जल रहा है. हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं. ऐसे में अमेरिका से एक बड़ा बयान आया है, जिसमें कहा गया है कि बाइडेन सरकार ने बांग्लादेश पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है. लेकिन अब ट्रंप व्हाइट हाउस लौट रहे हैं.
बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में 25 नवंबर को गिरफ्तार किया था. बांग्लादेश की अदालत ने उन्हें जमानत नहीं देते हुए जेल भेज दिया था. इसके बाद चिन्मय दास के समर्थक सड़कों पर उतर आए और उग्र विरोध प्रदर्शन शुरू किया.
बांग्लादेश में इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर अब पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का बयान सामने आया है. उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर जमकर निशाना साधा और हिंदू पुजारी चिन्मय दास का समर्थन करते हुए कहा कि सनातन धर्म समुदाय के एक शीर्ष नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है.
बांग्लादेश में सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्माचारी की देशद्रोह मामले में गिरफ्तारी चर्चा का विषय बनी हुई है. चटगांव में पुंडरीक धाम नाम इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय दास को सोमवार दोपहर ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा ने हिरासत में लिया. मंगलवार को चटगांव की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया जिस कारण अदालत के बाहर विरोध-प्रदर्शन हुए.
बांग्लादेश के हिंदू पुजारी और इस्कॉन के पूर्व प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद बवाल मचा है. हिंदू अल्पसंख्यक और उनके मंदिर एक बार फिर निशाने पर हैं. वहां इस्कॉन मंदिरों पर बैन की मांग उठाई जा रही है. छात्र आंदोलन के दौरान एक्टिव रहे संगठन ने आज चेतावनी दी कि वो इस्कॉन को बांग्लादेश के अंदर भारत के एजेंडे को लागू करने की अनुमति नहीं देंगे.