कोवैक्सीन
Covaxin एक निष्क्रिय वायरस-आधारित COVID-19 वैक्सीन है (Inactivated virus-based COVID-19 vaccine) जिसे भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के सहयोग से विकसित किया है (Covaxin developed by Bharat Biotech). अक्टूबर 2021 तक, भारत में 110.6 मिलियन लोगों ने कोवैक्सीन टीका लगवाया है. 3 नवंबर 2021 को, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आपातकालीन उपयोग के लिए इस टीके को मान्यता दी.
25,798 प्रतिभागियों के साथ तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण में पाया गया कि यह टीका एसिम्पटोमैटिक मामलों के खिलाफ 64% (95% सीआई, 29-82%) प्रभावी है, सिम्पटोमैटिक कोविड-19 के खिलाफ 78% (65-86%) प्रभावी, गंभीर बीमारी के खिलाफ 93% (57-100%) प्रभावी, और डेल्टा संस्करण के खिलाफ 65% (33-83%) प्रभावी है (Covaxin efficacy).
इस वैक्सीन का उत्पादन भारत बायोटेक के इन-हाउस वेरो सेल निर्माण प्लेटफॉर्म के तहत होता है, जिसकी लगभग 300 मिलियन खुराक देने की क्षमता है. कंपनी कोवैक्सीन बनाने के लिए हैदराबाद में अपनी जीनोम वैली फैसिलिटी में दूसरा प्लांट लगाने की प्रक्रिया में है. यह फर्म ओडिशा सरकार के सहयोग से भुवनेश्वर में ओडिशा बायोटेक पार्क में जून 2022 तक कोवैक्सीन उत्पादन शुरू करने के लिए एक और प्लांट लगा रही है (Covaxin manufacturing).
दिसंबर 2020 में, Ocugen ने अमेरिकी बाजार में Covaxin को बेचने के लिए भारत बायोटेक के साथ एक साझेदारी की थी. जून 2021 में, कनाडा को कवर करने के लिए साझेदारी को और व्यापक बनाया गया था. जनवरी 2021 में, प्रीसीसा मेड ने ब्राजील को कोवैक्सीन की आपूर्ति करने के लिए भारत बायोटेक के साथ एक समझौता किया था (Covaxin global tie ups).
6 दिसंबर 2020 को, भारत बायोटेक ने भारत के औषधि महानियंत्रक प्राधिकरण (DCGI) के पास कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए आवेदन दिया. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और फाइजर के बाद इस तरह का आवेदन करने वाली यह तीसरी फर्म थी. 2 जनवरी 2021 को, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने अनुमति की सिफारिश की, नतीजतन अगले दिन इसके उपयोग की अनुमति दे दी गई (Covaxin authorizations).
आईसीएमआर की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी ने 18-45 वर्ष की उम्र के उन व्यक्तियों पर यह स्टडी की, जो स्वस्थ थे और उन्हें कोई बीमारी नहीं थी और 1 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2023 के बीच अस्पष्ट कारणों से अचानक उनकी मृत्यु हो गई. यह रिसर्च 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में कंडक्ट किया गया.
सभी जानते हैं कि मलेरिया कैसे फैलता है. कैसे होता है. मच्छरों की वजह से. पर अगर वही मच्छर आपको मलेरिया से बचाने लगे तो कैसे लगेगा. वैज्ञानिकों ने ऐसी वैक्सीन बना ली है, जो मच्छरों में डाली जा सकती है. इस वैक्सीन से लैस मच्छर आपको काटेगा तो मलेरिया होगा नहीं बल्कि उससे बचाव मिलेगा.
क्या कोरोना वैक्सीन से लोगों में बढ़ा हार्ट अटैक का खतरा? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब खोजने में अब ICMR जुट गया है.
WWE के पहलवान रैंडी ऑर्टन (Randy Orton) एक विवादास्पद ट्वीट को लाइक करने के बाद बुरी तरह फंस गए हैं. रैंडी ने COVID-19 वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया विवादित ट्वीट को लाइक करने से बवाल मच गया.
डॉक्टर एनके अरोड़ा ने कहा- ओमीक्रॉन के अन्य सब-वेरिएंट की तरह ही जेएन.1 से संक्रमण के लक्षण भी हैं. इनमें बुखार, सर्दी और खांसी, दस्त और शरीर दर्द हैं. आमतौर पर ये दो से पांच दिन में ठीक हो जाते हैं.
अमेरिका में 18 और 19 नवंबर को होने वाले इस साहित्यिक फेस्टिवल की खास बात ये है कि इसमें मेड इन इंडिया कोविड-19 वैक्सीन की जर्नी को प्रवासी भारतीयों से रूबरू कराया जाएगा. इस कार्यक्रम की मेजबानी भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों का सांस्कृतिक संगठन इंडो अमेरिकन आर्ट्स काउंसिल (आईएएसी) करने जा रहा है.
विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द वैक्सीन वॉर' का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है. इसमें दिखाया गया है कि कोरोना के दौरान वैक्सीन बनाने के लिए किस तरह से संघर्ष किया गया था. नाना पाटेकर, अनुपम खेर और पल्लवी जोशी अभिनित ये फिल्म 28 सितंबर को रिलीज होगी. ऐसे में विवेक के सामने अपनी ही फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के बनाए इतिहास को दोहराने या उससे आगे निकल जाने की चुनौती रहेगी.
दिल्ली में कोरोना केस 300 के करीब बने हुए हैं. पॉजिटिविटी रेट भी 10 फीसदी के पार पहुंच गया है. केस बढ़ता देख दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो करने की अपील की है. वहीं सीएम अरविंद केजरीवाल ने कोरोना पर हाईलेवल मीटिंग की है. देखें पूरी खबर.
30 जनवरी 2020 को भारत में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. तब चीन के वुहान शहर से लौटा एक मेडिकल छात्र कोरोना से संक्रमित मिला था. तब से अब तक भारत में कोरोना के करीब साढ़े चार करोड़ मरीज सामने आ चुके हैं. अच्छी बात ये है कि लगभग 99 फीसदी कोरोना से ठीक भी हो गए. बीते तीन साल में कोरोना ने भारत को क्या-क्या दिखाया? जानें...
दुनिया की पहली नाक से दी जाने वाली वैक्सीन iNCOVACC भारत में लॉन्च हो गई है. इसे भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाया है. ये वैक्सीन फिलहाल निजी अस्पतालों में ही लगाई जाएगी. वैक्सीन कैसे और कहां से लगवा सकते हैं? बाकी वैक्सीन से ये कितनी अलग है? वैक्सीन की कीमत कितनी है? जानें...
कोरोना अलर्ट को लेकर एक हफ्ता भी नहीं बीता है कि मास्क की मांग में 100 फीसदी तक का उछाल दर्ज किया जा रहा है. यही नहीं ट्रैवलर्स के पसंदीदा 2000 रुपये से ज्यादा कीमत के प्रीमियम मास्क की डिमांड में तो 300 फीसदी तक का उछाल है.
दुनिया के कई देशों में बढ़ रहे कोरोना के मामलों के बीच अब भारत में जल्द ही नाक से दी जाने वाली वैक्सीन लगाई जाएगी. इस वैक्सीन का नाम iNCOVACC है, जिसे भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाया है. वैक्सीन कैसे और कहां से लगवा सकते हैं? बाकी वैक्सीन से ये कितनी अलग है? वैक्सीन के ट्रायल के नतीजे कैसे रहे थे? जानें...
कोरोना की पहली नेजल वैक्सीन को मंजूरी देने के चार दिन बाद केंद्र सरकार ने इसकी कीमत तय कर दी है. भारत बायोटेक की ये वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में 325 रुपए में लगवाई जा सकेगी. वहीं प्राइवेट अस्पतालों में इसके लिए 800 रुपए चुकाने होंगे. केंद्र ने दुनिया की पहली नेजल कोरोना वैक्सीन को 23 दिसंबर को मंजूरी दी थी. देखें खबरें सुपरफास्ट.
कोरोना की नई लहर के खतरे के बीच भारत में अब जल्द ही नाक से दी जाने वाली कोविड वैक्सीन को प्रयोग में लाया जाएगा. इस वैक्सीन का नाम iNCOVACC है, जिसे भारत बायोटेक ने बनाया है. इस वैक्सीन का इस्तेमाल बूस्टर डोज के तौर पर होगा. ऐसे में जानना जरूरी है कि वैक्सीन कितनी सेफ है? कौन लगवा सकता है? और इसमें बाकी वैक्सीन से क्या अलग है?
भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन नाक से दी जाएगी. इसे पहले BBV154 नाम दिया गया था. अब इसे iNCOVACC नाम दिया गया है. ये दुनिया की पहली नेजल वैक्सीन है. भारत के ड्रग्स रेगुलेटर ने 6 सितंबर को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. ये वैक्सीन 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को दी जाएगी. इस वैक्सीन को भारत बायोटेक और अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी ने मिलकर बनाया है.
भारत में अब जल्द ही नाक से दी जाने वाली वैक्सीन भी लगाई जा सकती है. इस वैक्सीन का नाम iNCOVACC है, जिसे भारत बायोटेक ने बनाया है. वैक्सीन की सबसे खास बात यही है कि इसे नाक के जरिए दिया जाएगा. इसकी ड्रॉप नाक में डाली जाएगी. ये वैक्सीन काम कैसे करती है? कितनी असरदार है? जानें सबकुछ...
चीन में एक तरफ कोरोना तांडव मचा रहा है, दूसरी ओर लोग अंडरग्राउंड रेस्त्रां और डिस्को जा रहे हैं. असल में महीने के आखिरी सप्ताह में वहां डोंग्शी त्योहार है, जो काफी बड़ा है. सरकार चिंता में है कि छिप-छिपाकर त्योहार मनाने के चलते कोविड और बढ़ेगा. वैसे अंडरग्राउंड का कंसेप्ट वहां नया नहीं. शीत युद्ध के दौरान एक पूरा शहर जमीन के नीचे बस गया था.
ब्रिटिश डॉक्टरों ने कहना शुरू किया कि टीका लेने पर महिलाएं जानवरों, खासकर सांड की तरफ आकर्षित होंगी. इस संबंध से जन्मे बच्चे न तो इंसान होंगे, न ही जानवर. लंदन समेत पूरे इंग्लैंड में पर्चे छपवा दिए गए. यहां तक कि डॉक्टर घूम-घूमकर लोगों को स्मॉलपॉक्स का टीका लेने से रोकने लगे. ये एंटी-वैक्सर्स थे.
कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है. दुनिया की बड़ी आबादी को बचाने में कोरोना वैक्सीन ने काफी मदद की है, लेकिन इसे बनाने वाली दुनिया की 3 बड़ी दवा कंपनियां अब आपस में उलझ गई हैं. Moderna का आरोप है कि उसकी कोरोना वैक्सीन टेक्नीक को दो अन्य कंपनियों ने कॉपी किया है.
कोरोना वैक्सीनेशन में भारत ने नया कीर्तिमान बनाया है. भारत ने 200 करोड़ यानी कि 2 अरब डोज का आंकड़ा पार कर लिया है. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का दूसरा देश बन गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया समेत कई अन्य मंत्रियों और नेताओं ने इस कीर्तिमान पर खुशी जताई है.
अब सरकारी केंद्रों पर 18 से 59 साल की उम्र के लोगों को भी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज फ्री में लगाई जाएगी. अब तक 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को ही फ्री में बूस्टर डोज लगाई जा रही थी. एक्सपर्ट मानते हैं कि हर 6 महीने में बूस्टर डोज देनी चाहिए.