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दही हांडी

दही हांडी

दही हांडी

दही हांडी (Dahi Handi) का त्योहार हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन आता है. दही हांडी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित है. इस त्योहार में दही की एक हांडी को ऊपर टांग दिया जाता है. फिर एक टोली में शामिल गोविंदा बारी-बारी एक दूसरे के कंधों पर चढ़कर ऊंचे स्थान पर बंधी दही हांडी को फोड़ने की कोशिश करते हैं. इस दही हांडी के ऊपर एक नारियल भी रखा जाता है. गोविंदा इसी नारियल से दही की हांडी फोड़ते हैं.

दही हांडी का पर्व द्वापर युग से मनाने की परंपरा चली आ रही है. यह त्योहार भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की याद दिलाता है. जैसे भगवान श्रीकृष्ण अपने बाल स्वरूप में माखन चुराने के लिए मटकी फोड़ देते थे. उसी तरह उनके भक्त कन्हैया की चंचल लीलाओं को याद करते हुए दही की हांडी फोड़कर यह त्योहार मनाते हैं.
 

 

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