देव दीपावली 2022
देव दीपावली (Dev Deepawali) यानी देवताओं की दिवाली कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) को मनाया जाने वाला त्योहार है. यह त्योहार उत्तर प्रदेश के वाराणसी में विशेष रूप से मनाया जाता है (Dev Deepawali in Varanasi, UP). यह त्योहार पांच दिनों तक चलता है. इस श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करते हैं और नदी के घाटों पर दिए जलाते हैं. साथ ही, अधिष्ठात्री देवी के सम्मान में एक लाख से अधिक मिट्टी के दीएं जलाए जाते हैं, जिसे दीपदान (Deep Dan) भी कहा जाता है.
पुराणों की माने तो इस दिन शिव जी ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था और विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी लिया था. इसलिए इसे देव दिवाली भी कहते हैं. इतिहास के अनुसार माना जाता है कि इस दिन देवताओं को गंगा में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित किया जाता था. यह त्यौहार त्रिपुरा पूर्णिमा स्नान के रूप में भी मनाया जाता है. देव दीपावली उत्सव के दिन दीप जलाने की परंपरा सबसे पहले 1991 में पंडित किशोरी रमन दुबे (बाबू महाराज) ने दशाश्वमेध घाट पर शुरू किया था (Dev Deepawali History).
देव दीपावली के दौरान, घरों के सामने के दरवाजों पर तेल का दीया और रंगोली से सजाया जाता है. वाराणसी में तो कई स्थानों पर सजे-धजे देवताओं की शोभायात्रा भी निकाली जाती है और शाम गंगा आरती की जाती है (Dev Deepawali Rituals).
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नमो घाट पर दीप जलाकर देव दीपावली की शुरुआत की. उनके दीप जलाने के साथ ही भव्य आतिशबाजी शुरू हुई. देव दीपावली का त्योहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.
देव दीपावली का पर्व उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा पर बड़े धूमधाम से मनाया गया. पिछले चार दशकों में यह कार्यक्रम एक लोकपर्व और महोत्सव के रूप में उभरा है. इस साल वाराणसी में लाखों दीये जलाकर देव दीपावली को भव्य रूप से मनाया गया. गंगा के घाटों पर दीप जलाए गए.
कार्तिक पूर्णिमा का व्रत और पूजन हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. इसे देव दीपावली भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन देवताओं ने राक्षस त्रिपुरासुर का संहार कर स्वर्ग को सुरक्षित किया था.
वाराणसी के मंडल आयुक्त कौशलराज शर्मा ने खास बातचीत में बताया कि देव दीपावली विश्वप्रसिद्ध त्योहार बन चुका है. जब से पीए मोदी ने 2020 में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, तब से 4 वर्ष में देव दीपावली कई गुना ज्यादा बढ़ गई है.
दीपावली, जिसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है, अच्छाई की बुराई पर, प्रकाश की अंधकार पर और खुशी की निराशा पर विजय का प्रतीक है. यह प्रमुख हिंदू त्योहार कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है, भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या वापसी का स्मरण करते हुए, जब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था.
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पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राजेंद्र कुमार रावत ने बताया कि 12 लाख दीयों में 2.5 से 3 लाख गाय के गोबर से बने होंगे. देव दीपावली पर दीये जलाने के लिए काशी के 84 से अधिक घाटों, कुंडो और तालाबों पर योगी सरकार के कई विभाग काम करेंगे.
योगी सरकार देव दीपावली को भव्य बनाने के लिए 12 लाख दीपों से घाटों को रोशन करेगी. इनमें एक लाख दीप गाय के गोबर के बने होंगे. चेत सिंह घाट पर लेजर शो होगा. काशी के घाटों के किनारे सदियों से खड़ी ऐतिहासिक इमारतों पर धर्म की कहानी लेजर शो के माध्यम से जीवंत होती दिखेगी.
साल का आखिरी चंद्रग्रहण देव दीपावली के दिन पड़ रहा है. इस दौरान आपको कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए, जो आपको बेहद लाभ देंगे. देखें इस बारे में धर्म के जानकार क्या कहते हैं.
इस बार कार्तिक पूर्णिमा दो दिन 7 और 8 नवंबर 2022 को है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली भी मनाई जाती है. इस प्रकार इस बार की देव दिवाली चंद्र ग्रहण की साया में मनाई जायेगी. देखें ये वीडियो
Dev Diwali 2022: देव दीपावली 7 नवंबर 2022, सोमवार को मनाई जा रही है. मान्यता के मुताबिक, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. राक्षस से मुक्ति मिलने की खुशी मनाने देवी-देवता इस दिन काशी के गंगा घाट पर दिवाली मनाने उतरे थे. कब से इस त्योहार को मनाया जा रहा है. देव दीपावली की पौराणिक कथा, मुहूर्त, महत्व, दीपदान करने का तरीका आर्टिकल में जानेंगे.
अयोध्या की तरह ही बनारस की देव दिवाली को भी अब ज्यादा पहचान दिलाने की तैयारी है. UP की योगी सरकार ने अयोध्या के दीपोत्सव के बाद काशी की देव दीपावली को भी भव्यतम रूप में मनाने की योजना बनाई है. इस साल पहली बार काशी के ऐतिहासिक घाट की दीवार पर 3D प्रोजेक्शन मैपिंग के जरिए धर्म का व्याख्यान होगा.