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देवेंद्र झाझरिया

देवेंद्र झाझरिया

देवेंद्र झाझरिया

देवेंद्र झाझरिया, पैरालंपियन 

देवेंद्र झाझरिया (Devendra Jhajharia) एक भारतीय पैरालंपिक भाला फेंक खिलाड़ी हैं जो F46 स्पर्धाओं में भाग लेते हैं (Paralympic Javelin Thrower). वह पैरालंपिक में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ी हैं. उन्होंने एथेंस में 2004 के पैरालंपिक में भाला फेंक में विश्व रिकॉर्ड (World Record) के साथ अपना पहला स्वर्ण जीता (Gold Medal in Athens Paralympics). रियो डी जनेरियो में 2016 के पैरालंपिक में, उन्होंने अपने पिछले रिकॉर्ड को बेहतर करते हुए उसी स्पर्धा में दूसरा स्वर्ण पदक जीता (Gold Medal in Rio de Janeiro Paralympics). उन्होंने टोक्यो में 2020 पैरालंपिक में रजत के रूप में अपना तीसरा पदक जीता (Silver Medal in Tokyo Paralympics). 

झाझरिया को खेल के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत सरकार ने देश के तीसरे सर्वोच्च नागिरक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया (Padma Bhushan). 

झाझरिया का जन्म 10 जून 1981 में हुआ था (Devendra Jhajharia Age). वह राजस्थान के चुरू जिले के रहने वाले हैं. आठ साल की उम्र में एक पेड़ पर चढ़कर एक बिजली के तार को छुने के चलते डॉक्टरों को उनके बाएं हाथ को काटना पड़ा था (Left Hand Amputated). झाझरिया ने 1997 में द्रोणाचार्य अवार्डी कोच आरडी सिंह से प्रशिक्षण लेना शुरू किया. बाद में, उन्होंने अपने निजी कोच आर. डी. सिंह से कोचिंग ली. उन्हें 2015 से सुनील तंवर कोचिंग दे रहे हैं (Devendra Jhajharia Coach).
 
2002 में झाझरिया ने दक्षिण कोरिया में 8वें FESPIC खेलों में स्वर्ण पदक जीता. 2013 में फ्रांस के ल्योन में IPC एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने F46 भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद, उन्होंने दक्षिण कोरिया के इंचियोन में 2014 एशियाई पैरा खेलों में रजत पदक जीता. दोहा में 2015 आईपीसी एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप में, झाझरिया ने रजत पदक अपने नाम किया. उन्होंने दुबई में 2016 IPC एथलेटिक्स एशिया-ओशिनिया चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता (Devendra Jhajharia Sports Career). 

देवेंद्र झाझरिया राजस्थान वन विभाग में कार्यरत हैं. उनकी पत्नी, मंजू, राष्ट्रीय स्तर की पूर्व कबड्डी खिलाड़ी हैं (Devendra Jhajharia Wife) और दंपति के दो बच्चे हैं, जिया और काव्यान (Devendra Jhajharia Daughter and Son).

झाझरिया को 2017 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार मिला. वह 2014 में फिक्की पैरा-स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर चुने गए. 2012 में, वह पद्म श्री से सम्मानित होने वाले पहले पैरालंपियन बने. वर्ष 2004 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार मिला. जनवरी 2022 में उन्हें पद्म भूषण दिया गया (Devendra Jhajharia Awards).
 

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