डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) एक टर्म है जो साइबर क्राइम के अंतर्गत आता है. साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है. उतनी ही तेजी से 'डिजिटल अरेस्ट' भी सामने आई है. ये एक प्रकार से किसी को मेंटली कंट्रोल करने जैसा होता है और एक फोन कॉल से इसके जाल में फंसा लेते हैं. ज्यादातर स्तिथि में इसमें क्रिमिनल खुद को पुलिस अधिकारी बताते हैं. और आपको किसी भी तरह के क्राइम में फेसा कर आपसे पैसा वसूलते है. डिजिटल अरेस्ट के कई विक्टिम ने अपने लाखों रुपये गंवा चुके हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ आपराधिक प्रवृति के लोग साइबर अपराधों में संलग्न होते हैं, जिनमें जासूसी, वित्तीय चोरी और अन्य सीमा पार अपराध शामिल हैं.
वॉरेन बफेट एक अमेरिकी बिजनेस मैग्नेट और निवेशक हैं. वह वर्तमान में बर्कशायर हैथवे के अध्यक्ष और सीईओ हैं. वारेन बफेट साइबर अपराध को 'मानवता के साथ नंबर एक समस्या' के रूप में वर्णित करते हैं और उनका कहना है कि यह 'मानवता के लिए वास्तविक जोखिम पैदा करता है' (Warren Buffett on Cyber Crime).
McAfee ने 2014 में एक रिपोर्ट प्रायोजित किया और अनुमान लगाया गया कि साइबर क्राइम के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 445 बिलियन डॉलर का वार्षिक नुकसान हुआ है जिसके उपयोग आमतौर पर सरकारों या संस्थाओं द्वारा किसी व्यक्ति की डिजिटल गतिविधियों को सीमित या बाधित करने के लिए किया जाता है. यह कई तरीकों से हो सकता है, जैसे-
सोशल मीडिया प्रतिबंध – किसी व्यक्ति के सोशल मीडिया अकाउंट को निलंबित करना या ब्लॉक करना.
इंटरनेट एक्सेस बंद करना – किसी व्यक्ति के इंटरनेट कनेक्शन को सीमित या बंद करना.
डिजिटल उपकरणों को जब्त करना – लैपटॉप, मोबाइल आदि को कानूनी तौर पर जब्त करना.
साइबर निगरानी – किसी व्यक्ति की ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी और उनकी अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाना.
डिजिटल ट्रांजैक्शन रोकना – ऑनलाइन बैंकिंग या क्रिप्टो वॉलेट एक्सेस को ब्लॉक करना.
उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स ने दो अपराधियों, रोहन अग्रवाल और हर्ष वर्धन गुप्ता, को साइबर फ्रॉड के आरोप में गिरफ्तार किया. ये अपराधी चीनी नागरिकों के साथ मिलकर डिजिटल अरेस्ट और ऐप्स के माध्यम से धोखाधड़ी करते थे. इनके पास से कई फर्जी दस्तावेज, मोबाइल फोन और नकदी बरामद हुई है. पुलिस ने इनके खिलाफ मामला दर्ज किया है.
ओडिशा की बरहामपुर यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर गीतांजलि दास को डिजिटल अरेस्ट कर साइबर अपराधियों ने 14 लाख की चपत लगा दी है. प्रोफेसर दास को ठगों ने उनके नाम के खाते में करोड़ों रुपये जमा होने की बात कह जांच के नाम पर ठगी का शिकार बनाया.
ओडिशा के बरहामपुर विवि की कुलपति गीतांजलि दाश से 14 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है. फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए जांच भी शुरू कर दी है.
उत्तर प्रदेश की नोएडा पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस टीम ने डिजिटल अरेस्ट करके ठगी करने वाले गैंग के तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.
आगरा में डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगी करने वाले गैंग का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. राजस्थान के कोटा से दो आरोपियों आरिफ और दिव्यांश को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के मुताबिक, दिव्यांश एक निजी बैंक में मैनेजर के रूप में कार्यरत था और उसने आरिफ की मदद से ठगी के लिए बैंक खाता खुलवाया था. यही वह खाता था, जिसमें पीड़ित महिला से पैसे ट्रांसफर कराए गए थे.
यूपी के नोएडा में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने गिरोह के तीन लोगों को भी गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान मोहन सिंह उर्फ रॉकी, अरमान और संयम जैन के रूप में हुई है. इन्हें नोएडा के सेक्टर 45 स्थित एक होटल से पकड़ा गया है. आरोपियों ने अपने शिकारों को डिजिटल अरेस्ट कर उन्हें पैसे जमा करने के लिए मजबूर किया था.
नोएडा पुलिस ने साइबर ठगों के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो फर्जी डिजिटल अरेस्ट के नाम पर भारतीय नागरिकों से ठगी कर रहा था. पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया और उनके पास से मोबाइल, आधार कार्ड, बैंक चेकबुक और नकदी बरामद की. ये ठग गेमिंग और ट्रेडिंग ऐप के जरिए लोगों को ठगते थे.
पुलिस उपायुक्त (साइबर क्राइम) प्रीति यादव ने बताया कि शिकायत करने वाले शख्स ने पांच दिन के अंदर आरोपियों को 1.10 करोड़ रुपये दिए. पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है.
दिल्ली पुलिस ने एक सिंडिकेट का भंडाफोड दिया है. इस नेटवर्क के चलते झांसी, उत्तर प्रदेश से पांच लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. ये लोग टेलीग्राम के जरिए एक चीनी कंपनी के लिए म्यूल बैंक अकाउंट की व्यवस्था करते हुए पाए गए, जो क्रिप्टोकरेंसी के जरिए ठगे गए पैसे को लूटने में मदद करते थे.
उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ को बड़ी सफलता मिली है. टीम ने डिजिटल अरेस्ट करके 48 लाख रुपये की ठगी करने वाले मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है.
उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने डिजिटल अरेस्ट के एक मामले में जयपुर से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. शख्स ने देहरादून की एक महिला को कुल 2.27 करोड़ रुपये का चूना लगाया था.
साइबर ठगों के चंगुल में फंसी टीचर ने अपनी सहेली से मदद मांगी थी. लेकिन मदद करने की बजाय सहेली ने भी धोखाधड़ी कर दी. डिजिटल अरेस्ट हुई महिला टीचर की मौत के बाद एक नया खुलासा हुआ है.
रांची के एक रिटायर्ड अधिकारी को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 2.27 करोड़ रुपये ठगे. ठगों ने खुद को TRAI और साइबर सेल का अधिकारी बताकर झूठे केस में फंसाने की धमकी दी. पीड़ित की शिकायत पर CID ने FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
लखनऊ में साइबर ठगों ने एक महिला डॉक्टर से लाखों की ठगी कर ली. ठगों ने खुद को ट्राई अधिकारी और पुलिसकर्मी बताकर महिला को 9 दिनों तक डर और दबाव में रखा. इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने और जेल भेजने की धमकी दी. इस तरह महिला डॉक्टर से 13.40 लाख रुपये ठग लिए. महिला डॉक्टर को जब ठगी का अहसास हुआ तो पुलिस से मामले की शिकायत की.
गुजरात के वडोदरा (Vadodara) में साइबर ठगी का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां पुलिस ने साइबर क्राइम (cyber crime) के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने एक बुजुर्ग व्यक्ति को धमकी देकर उनके खाते से 90 लाख रुपये ठग लिए. पुलिस ने आरोपियों को अहमदाबाद से पकड़ा है.
ठाणे में साइबर ठगों ने एक 24 साल की एयरहोस्टेस से 10 लाख रुपये ले लिए. अधिकतर मामलों की तरह इसमें भी फ्रॉड ने महिला को सरकारी अधिकारी बनकर फोन किया और कहा कि आप मनी लॉन्ड्रिंक मामले में फंस चुकी हैं. इसके बाद उसे धमकाकर उससे 10 लाख रुपये ठग लिए.
गोरेगांव में साइबर ठगों ने 68 साल की एक महिला से 1.25 करोड़ रुपये की ठगी कर ली. ठगों ने महिला पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप लगाकर उनपर पैसे देने के लिए दबाव डाला था.
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के अनुसार, 2024 के पहले छह महीनों में ही देश के लोगों से साइबर फ्रॉड के जरिए ₹11,000 करोड़ से अधिक की ठगी कर ली गई. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर हर रोज 6,000 शिकायतें दर्ज की गईं. औसतन, भारतीय पीड़ितों ने हर दिन ₹60 करोड़ के नुकसान की शिकायत दर्ज कराई.
सुशांत गोल्फ सिटी इलाके में रहने वाले रिटायर्ड भारतीय रेलवे यातायात सेवा (आईआरटीएस) अफसर कमल कुमार सक्सेना को साइबर जालसाजों ने 8 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा. जालसाजों ने उन्हें मनी लॉन्डरिंग में संलिप्तता की बात कहकर डराया और 12 लाख रुपये ठग लिए.
लखनऊ में साइबर ठगों द्वारा एक छात्र को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का मामला सामने आया है. यहां साइबर ठगों ने एक छात्र को मनी लॉन्ड्रिंग में दोषी बताकर उसे न सिर्फ चार दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा बल्कि उससे दो लाख रुपये भी वसूल लिए.
छत्तीसगढ़ के भिलाई स्थित एसबीआई रिसाली ब्रांच में महिला कर्मचारियों की सूझबूझ से एक विधवा महिला 45 लाख रुपये की ठगी का शिकार होने से बच गई. साइबर ठगों ने महिला को वीडियो कॉल के जरिए डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाया था. बैंक कर्मचारियों ने समय रहते महिला को सतर्क किया और उसकी जीवनभर की जमापूंजी बचा ली.