डोकलाम (Doklam), एक उच्च पठार वाला क्षेत्र है. यह उत्तर में चीन की चुम्बी घाटी, पूर्व में भूटान के हा जिले और पश्चिम में भारत के सिक्किम राज्य के बीच स्थित है. इसे 1961 से भूटान के नक्शे में उसके हिस्से के रूप में दर्शाया गया है, लेकिन यह चीन द्वारा भी दावा किया जाता रहा है. भूटान और चीन के बीच कई दौर की सीमा वार्ताओं के बावजूद विवाद का समाधान नहीं हुआ है (Doklam Political Issues).
जून 2017 में चीन ने डोकलाम पठार पर दक्षिण की ओर डोका ला दर्रे के पास एक सड़क निर्माण के प्रयास से चीन और भारत के बीच एक सैन्य गतिरोध हुआ था. इस विवादित क्षेत्र में चीन के सड़क निर्माण पर भूटान ने औपचारिक रूप से आपत्ति जताई थी. 28 अगस्त 2017 को, यह घोषणा की गई थी कि भारत और चीन ने डोकलाम पठार पर तेजी से पीछे हटने के लिए परस्पर सहमति व्यक्त की थी. इस सहमति के बाद, लगभग तीन महीने तक चले सैन्य गतिरोध का अंत हुआ. चीन के विदेश मंत्रालय ने इस सवाल को टाल दिया कि क्या चीन सड़क निर्माण जारी रखेगा. चीनी सेना कथित तौर पर सितंबर 2018 में डोकलाम पठार पर लौट आई और जनवरी 2019 तक अन्य बुनियादी ढांचे के साथ सड़क निर्माण लगभग पूरा कर लिया था (Doklam Conflict with China).
सिक्किम की परंपरा के अनुसार, जब सिक्किम राज्य की स्थापना 1642 में हुई थी, तो इसमें डोकलाम पठार के आसपास के सभी क्षेत्र शामिल थे- उत्तर में चुम्बी घाटी, पूर्व में हा घाटी और साथ ही दक्षिण पश्चिम में दार्जिलिंग और कलिम्पोंग क्षेत्र (Doklam History).
चीन 1890 की एंग्लो-चीनी संधि के आधार पर डोकलाम क्षेत्र को चीनी क्षेत्र के रूप में दावा करता है, भारत में ब्रिटिश साम्राज्य और तिब्बत में चीनी निवासी के बीच बातचीत हुई थी. संधि के अनुच्छेद I के तहत, सिक्किम और तिब्बत के बीच की सीमा को दर्शया गया था और भूटान को केवल ऑफिंग में रखा गया था (China India on Doklam).
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट नलिन कोहली ने चीन के साथ समझौते पर कांग्रेस पार्टी की आलोचना की. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने हमेशा देश के हितों को प्रमुखता दी है. कांग्रेस पार्टी के उस आरोप को ठुकराते हुए कोहली ने कहा कि चीन समझौते पर पार्लियामेंट में चर्चा न होने का आरोप गलत है. उन्होंने कांग्रेस की राजनीति को नकारते हुए साफ किया कि जनता देश की सुरक्षा और एकता चाहती है और इसमें राजनीति का कोई स्थान नहीं होना चाहिए.
ब्रिक्स समिट में एक तरफ जहां पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की द्विपक्षीय वार्ता होगी. वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से पीएम मोदी की मुलाकात पर सभी की नजरें रहेंगी. हालांकि, पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.
भारत डोकलाम में चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध करता रहा है क्योंकि डोकलाम भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर के करीब है. लेकिन चीन के दबाव में आकर भूटान डोकलाम कॉरिडोर को लेकर समझौता कर रहा है. भूटान के इस कदम पर भारत ने आगाह किया है.
सीमा पर चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अमेरिकी रक्षा विभाग विभाग पेंटागन की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि चीन ने भारत से सटी एलएसी पर 2022 में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य किए हैं और अपनी सेना की तैनाती को भी बढ़ा दिया है. देखें वीडियो.
अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि एलएसी के पास चीन ने 2022 में जमकर निर्माण कार्य किए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी क्षेत्र में रिजर्व में चीन ने 2022 में चार संयुक्त आर्म्स ब्रिगेड के साथ झिंजियांग और तिब्बत सैन्य जिलों के दो डिवीजनों को भी तैनात किया.
क्या डोकलाम को लेकर भूटान पर दबाव बना रहा चीन?
चीन और भूटान के बीच 80 के दशक से सीमा विवाद है. दोनों के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन सीमा विवाद सुलझाने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है. अक्टूबर 2021 में दोनों के बीच एक समझौता भी हुआ था, लेकिन इससे भारत की टेंशन बढ़ गई है.
दार्जिलिंग जिले का पानी टंकी इलाका और नेपाल में ककरवीटा इलाके की लोकेशन डोकलाम चिकन नेक इलाके के पास की है. इतनी संवेदनशील जगह पर आखिरकार यह चीनी नागरिक क्या कर रहा था. भारत नेपाल सीमा 1850 किलोमीटर की है, लेकिन उसने दार्जिलिंग का यह इलाका क्यों चुना.
भूटान के नरेश जिग्मे खेसर नांग्याल वांगचुक भारत आ रहे हैं. अपनी इस यात्रा के दौरान वो पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिलेंगे. उनकी यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भूटान के पीएम लोटे शेरिंग ने चीन सीमा को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि चीन ने उनके देश में किसी तरह का अतिक्रमण नहीं किया है.
भूटानी पीएम ने क्यों दिया ऐसा बयान? मोदी सरकार की बढ़ेगी टेंशन
भूटान के पीएम लोटे शेरिंग ने कहा है कि चीन ने हमारे क्षेत्र में कोई घुसपैठ नहीं की है. जबकि 2019 में शेरिंग ने चीन के इस अवैध निर्माण का विरोध किया था. ऐसे में जानकार कयास लगा रहे हैं कि भूटान उस जमीन को चीन को सौंप सकता है.
डोकलाम विवाद पर भूटान के पीएम लोटे त्शेरिंग का कहना है कि इस विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन को भी साथ बैठना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी देश समान हैं. हालांकि 2019 में उन्होंने चीन के अवैध निर्माण का विरोध किया था. डोकलाम तीनों देशों के ट्राई जंक्शन पर है. चीन भूटान के हिस्से पर कब्जा करने के बाद दक्षिण में भारत के इलाके में घुसने की कोशिश कर रहा है.
बुधवार को संसद में विपक्ष ने जब चीन का मुद्दा उठाया तो माहौल संसद का माहौल गर्म हो गया. विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा चीन डोकलाम में अतिक्रमण करता है. वह भारतीय जमीन पर ही गश्त करने से रोकता है. लेकिन इसकी कोई चर्चा नहीं होती. इस पर गृहमंत्री अमीत शाह जवाब देते हैं कि ये एक सेंसिटिव मुद्दा, जिम्मेदारी के साथ बात करें.
भूटान ने एक हफ्ते पहले चीन के साथ एक बैठक की जिसमें सीमा विवाद को हल करने के लिए वार्ता को शुरू करने पर सहमति बनी है. इस खबर के सामने आने के बाद भारत के विदेश सचिव दो दिन की भूटान यात्रा पर गए जहां उन्होंने दोनों देशों के बीच पार्टनरशिप को बढ़ाने पर जोर दिया है.
भारतीय जवानों के 'ड्रैगन फिस्ट' से अब चीनी सैनिक बच नहीं पाएंगे. क्योंकि पंचकूला में उनके मुक्कों को फौलादी बनाया जा रहा है. चीनी सैनिक अक्सर लाठी, डंडों और कंटीले तारों वाले बल्लों से हमला करते हैं. उनका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय जवानों को अन-आर्म्ड क्लोज कॉम्बैट की ट्रेनिंग दी जा रही है.
पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने शुक्रवार को कहा कि तीन देशों के जंक्शन पर भूटान की रणनीतिक घाटी डोकलाम में चीन द्वारा कोई नया विकास नहीं किया गया है. इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्टस में कहा गया था कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा डोकलाम के पास तोरसा नाला में रोपवे का निर्माण किया जा रहा है.