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इलेक्टोरल बॉन्ड

इलेक्टोरल बॉन्ड

इलेक्टोरल बॉन्ड

2018 में भारतीय सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) की शुरुआत की थी. ताकि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा. इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती हैं और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं. 

भारतीय स्टेट बैंक की 29 शाखाओं को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने और उसे भुनाने के लिए अधिकृत किया गया. ये शाखाएं नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गांधीनगर, चंडीगढ़, पटना, रांची, गुवाहाटी, भोपाल, जयपुर और बेंगलुरु की हैं. अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री के 12 चरण पूरे हो चुके हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड फाइनेंस एक्ट 2017 के द्वारा लाए गए थे. यह बॉन्ड साल में चार बार जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किए जाते हैं. इसके लिए ग्राहक बैंक की शाखा में जाकर या उसकी वेबसाइट पर ऑनलाइन जाकर इसे खरीद सकता है. 

कोई भी डोनर अपनी पहचान छुपाते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक करोड़ रुपए तक मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीद कर अपनी पसंद के राजनीतिक दल को चंदे के रूप में दे सकता है. ये व्यवस्था दानकर्ताओं की पहचान नहीं खोलती और इसे टैक्स से भी छूट प्राप्त है. आम चुनाव में कम से कम 1 फीसदी वोट हासिल करने वाले राजनीतक दल को ही इस बॉन्ड से चंदा हासिल हो सकता है. 

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