फॉल्कन हेवी रॉकेट
फॉल्कन हेवी रॉकेट (Falcon Heavy Rocket) में दो के कारक का इस्तेमाल किया गया है जो इसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली परिचालन रॉकेट बनाता है. लगभग 64 मीट्रिक टन (141,000 एलबी) कक्षा में उठाने की क्षमता के साथ फॉल्कन हेवी अगले निकटतम परिचालन वाहन, डेल्टा IV हेवी के दोगुने से अधिक पेलोड उठा सकता है (Falcon Heavy, Most Powerful Operational Rocket).
फॉल्कन हेवी तीन फाल्कन 9 नौ-इंजन कोर से बना है, जिनके 27 मर्लिन इंजन एक साथ लिफ्टऑफ़ पर 5 मिलियन पाउंड से अधिक का थ्रस्ट उत्पन्न करते हैं, जो लगभग अठारह 747 विमानों के बराबर है (Falcon Heavy Engine).
लिफ्टऑफ पर 5 मिलियन पाउंड से अधिक के जोर के साथ, फॉल्कन हेवी सबसे सक्षम रॉकेट उड़ान है. तुलनात्मक रूप से, फाल्कन हेवी का लिफ्टऑफ जोर पूरी शक्ति पर लगभग अठारह 747 विमानों के बराबर होता है. फॉल्कन हेवी पूरी तरह से भरी हुई 737 जेटलाइनर के बराबर यात्रियों, सामान और ईंधन के साथ -भार उठा सकता है (Falcon Heavy, Most Capable Rocket).
NASA ने Europa Clipper नाम का स्पेसक्राफ्ट बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा की तरफ भेज दिया है. 290 करोड़ km की यात्रा पूरी करने में इस यान को करीब 6 साल लगेंगे. यानी यह 2030 में यूरोपा तक पहुंचेगा. वहां यूरोपा की सतह के नीचे मौजूद समंदर में जीवन की खोज करेगा.
ISRO के श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट में अभी दो लॉन्च पैड हैं. लेकिन वह तीसरे लॉन्च पैड को बनाने की तैयारी कर चुका है. इस लॉन्च पैड से वो रॉकेट छोड़े जाएंगे जो दूसरे ग्रहों और ह्यूमन स्पेसफ्लाइट की लिए जरूरी होंगे. जैसे- NGLV रॉकेट. इससे कई तरह के मिशन होंगे. ये रॉकेट लॉन्च पैड पर ही लिटाकर असेंबल किया जाएगा.
इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब चांद पर किसी निजी कंपनी का यान चंद्रमा की सतह पर उतरा है. अमेरिकी कंपनी इंट्यूशिव मशींस का मून लैंडर ओडिसियस चांद पर 22 फरवरी 2024 को लैंड कर गया. करीब 52 साल बाद अमेरिका ने अपना कोई स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह पर उतारा है.
अमरेका अपने सीक्रेट स्पेसप्लेन X-37B की लॉन्चिंग करने वाला था. लेकिन वह टल गई. यह इस सीक्रेट प्लेन की सातवीं उड़ान थी. पिछली बार की उड़ान में यह 908 दिन अंतरिक्ष में बिताकर लौटा था. इस प्लेन से दुनिया के सारे देश खौफ में रहते हैं. क्योंकि ये क्या करता है, इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता.