किसान आंदोलन, Farmers’ Protest
भारत में किसानों का विरोध अगस्त 2020 में तीन कृषि बिलों को पहली बार सामने रखे जाने के बाद शुरू हुआ. भारतीय संसद ने सितंबर 2020 में किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) (Promotion and Facilitation Bill) समझौता और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पारित किया (Essential Commodities,Amendment Bill).
सितंबर 2020 में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने संसद द्वारा पारित तीनों विधेयकों पर अपनी सहमति दी. इसके बाद, किसानों ने इस बिल के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सिंघू और टिकरी बॉर्डर (Singhu and Tikri border) पर आंदोलन शुरु किया और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की (Farmers’ Protest in Delhi).
किसानों ने आशंका व्यक्त की कि कृषि क्षेत्र के नए कानून से उनकी निर्भरता कॉरपोरेट सेक्टर पर बढ़ जाएगी और ये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) (MSP) को खत्म कर देंगे. समय के साथ बढ़ती इस विरोध ने विश्व स्तर पर भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया. हालांकि, सरकार ने कहा कि नए कानून उद्योग को उदार बनाकर खेती का आधुनिकीकरण करेंगे.
विवादास्पद कृषि कानूनों पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए केंद्र सरकार और किसान संघ ने एक दूसरे से ग्यारह दौर की वार्ता की, लेकिन निष्कर्ष पर पहुंचने में विफल रहे. 30 दिसंबर 2020 को छठे दौर की बातचीत के दौरान, सरकार ने किसानों को बिजली संशोधन विधेयक, 2020 में पराली जलाने और गिराने के बदलावों के पूर्वावलोकन से बाहर रखने पर सहमति व्यक्त की.
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 12 जनवरी 2021 को तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी और सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच गतिरोध को समाप्त करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया. 26 जनवरी 2021 को किसान संघ द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारियों ने लाल किला (Farmers’ Protest at Red Fort) के अंदर जाकर प्रदर्शन किया और हंगामे के दौरान दिल्ली पुलिस से भिड़ गए. पंजाब, छत्तीसगढ़, दिल्ली, राजस्थान, केरल और पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारें पहले ही तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं. 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून को वापस लेने का एलान किया (PM Modi Announced Withdrawal of Farm Bills).
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान और किसानों के बीच एक अहम बैठक हुई, जिसमें किसानों की समस्याओं पर गंभीरता से चर्चा की गई. किसानों और केंद्र ने बताया कि यह बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुई और किसानों की मांगों को ठीक से सुना गया.
चंडीगढ़ में एक बार फिर MSP की लीगल गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर किसान नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच वार्ता हुई. करीब साढ़े तीन घंटे तक चली इस मीटिंग में भी किसानों और केंद्र सरकार के बीच मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बनी. वहीं मीटिंग शुरु होने से पहले किसानों की तरफ से चेतावनी दी गई. देखें पंजाब आजतक.
केंद्र सरकार और किसानों के बीच अहम बैठक शुक्रवार को संपन्न हुई. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी कर रहे थे, जिन्होंने कृषि कानूनों पर किसानों की विभिन्न मांगों पर चर्चा की, जिसमें फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी भी शामिल थी. बैठक में पंजाब के कृषि मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
ये मीटिंग चंडीगढ़ के सेक्टर 26 में 14 फरवरी 2025 को किसानों और केंद्र सरकार के बीच होगी. बैठक चंडीगढ़ स्थित महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट में शाम साढ़े पांच बजे होगी.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने मंगलवार को घोषणा की कि वह 12 फरवरी को एकता वार्ता के लिए एसकेएम द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग नहीं लेगा. उन्होंने कहा कि उसका नेतृत्व खनौरी विरोध स्थल पर 'किसान महापंचायत' के अपने कार्यक्रम में व्यस्त रहेगा. उन्होंने कहा कि उन्हें 28 जनवरी को एकता वार्ता की बैठक के बारे में एसकेएम से सूचना मिली थी.
2020-21 में भारत की राजधानी दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ प्रदर्शन किया था, और अब ब्रिटेन की राजधानी लंदन में भी ऐसा ही नजारा देखा जा रहा है. ब्रिटिश किसान कीर स्टार्मर सरकार की नई इनहेरिटेंस टैक्स योजना के खिलाफ सैकड़ों ट्रैक्टर और टैंक्स के साथ विरोध कर रहे हैं, जिसमें कृषि उत्पादों पर 20% टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा गया है.
अपनी विभिन्न मांगों को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसानों ने गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया. पंजाब में किसानों ने ट्रेक्टर मार्च निकाला. इस पर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने क्या कहा? देखें ये वीडियो.
किसान नेता ने कहा कि आज पूरे देश के किसानों ने बता दिया है कि अन्नदाता एमएसपी की कानूनी गारंटी चाहता है और वह जगजीत सिंह डल्लेवाल के साथ हैं. उन्होंने कहा कि राजस्थान और हरियाणा में किसानों को ट्रैक्टर मार्च करने से रोका गया. वहीं, मध्य प्रदेश में किसान नेताओं को हाउस अरेस्ट किया गया है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब और हरियाणा में बड़े स्तर पर ट्रैक्टर मार्च निकालने का आह्वान किया है. पंजाब में ट्रैक्टर मार्च तहसील स्तर पर होगा. इस दौरान ट्रैक्टर अपने-अपने गांव से एक निश्चित रास्ते के जरिए तहसील में एक पॉइंट तक जाएंगे और फिर अपने-अपने गांव लौट जाएंगे. ये प्रदर्शन कम से कम 100 तहसीलों में किया जाएगा.
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वह देशव्यापी आंदोलन करेंगे. किसानों ने दावा किया कि ये आंदोलन 2020-21 में दिल्ली की सीमाओं पर हुए विरोध प्रदर्शन से भी बड़ा होगा. एसकेएम ने अपनी राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक में संघर्ष को तेज करने का फैसला किया.
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर और जिला प्रधान रंजीत सिंह कलेर बाला ने सभा को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण लाखों किसानों और मजदूरों को सड़कों पर बैठने को मजबूर किया गया है. आंदोलन के दौरान कई लोगों ने अपनी जान गंवाई और अभी भी सरकार ने सिर्फ बातचीत का आश्वासन दिया है.
किसान नेता काका सिंह कोटड़ा ने कहा कि मेरी डॉक्टर बलबीर सिंह से बात हुई है, मैंने उनसे कहा है कि आप जो 12 घंटे की शिफ्ट में डॉक्टर भेज रहे हैं. भले ही आप डॉक्टर कम भेजिए, लेकिन ऐसी टीम बनाएं कि 24 घंटे डॉक्टर यहां पर रहे.
डॉक्टरों की टीम ने किसानों पर अपने साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की देखरेख करने से इनकार कर दिया है. वहीं किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के प्रमुख डल्लेवाल के इलाज में गंभीर चूक का आरोप लगाया है.
हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों ने 21 जनवरी को प्रस्तावित दिल्ली कूच को फिलहाल टाल दिया है. किसानों के दिल्ली कूच के ऐलान के बाद केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत का न्योता दिया है. इसके साथ ही केंद्र सरकार MSP समेत अन्य मांगों पर भी किसानों से बातचीत करने को मान गई है. देखें पंजाब आजतक.
प्रस्तावित बैठक की घोषणा के बाद, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जिनका आमरण अनशन शनिवार को 54 दिन का हो गया, चिकित्सा सहायता लेने पर सहमत हो गए. हालांकि, किसान नेता सुखजीत सिंह हरदोझांडे ने कहा कि जब तक फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी नहीं दी जाती, तब तक वह अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त नहीं करेंगे.
किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने गुरुवार को खनौरी बॉर्डर पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, डल्लेवाल का वजन एक डिजिटल वजन करने वाली मशीन से तोला गया. जिससे पता चला है कि उनके शरीर के वजन में अब तक 23.59 प्रतिशत की कमी आई है. जब उन्होंने अनशन शुरू किया तो उनका वजन 86.9 किलोग्राम था जो अब घटकर 66.4 किलोग्राम हो गया है.
किसान नेता जगजीत डल्लेवाल के आमरण अनशन के 51 दिन पूरे होने पर एक बार फिर खनौरी बॉर्डर पर हलचल तेज हो गई है. दरअसल 111 किसानों के एक समूह ने अपने नेता डल्लेवाल के साथ एकजुटता दिखाते हुए बुधवार को आमरण अनशन शुरू कर दिया. किसान फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक डल्लेवाल पिछले साल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. किसान अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. डल्लेवाल ने अपने अनशन के दौरान किसी भी तरह की चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है, जिससे उनकी तबीयत और खराब हो गई है.
एक किसान नेता ने जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को खनौरी बॉर्डर पर जगजीत डल्लेवाल के समर्थन में 111 किसान आमरण अनशन पर बैठेंगे. ये सभी किसान काले कपड़े पहनकर पुलिस बैरिकेडिंग के पास धरना देंगे.
मोगा में हुई महापंचायत के बाद अब किसान आंदोलन मजबूत होने लगा है. MSP की मांग को लेकर खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को संयुक्त किसान मोर्चा का साथ मिला है. इसी कड़ी में पटियाला के पातड़ां में SKM और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान नेताओं की मीटिंग हुई. देखें पंजाब आजतक.
किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि एसकेएम (नॉन पॉलिटिकल) और किसान मजदूर मोर्चा ने डल्लेवाल द्वारा साइन किया हुआ एक पत्र कई धार्मिक नेताओं और संतों को भेजा है. पत्र लिखकर केंद्र सरकार पर किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव डालने की अपील की है. पत्र में बताया गया कि किसान पिछले 11 महीनों से अपनी कई मांगों के समर्थन में खनौरी और शंभू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.