नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली 'रंग दे बसंती' का आज रिलीज होना लोगों को मुश्किल क्यों लगता है? शायद इस बात का जवाब उस असर में छुपा है जो डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा की 'रंग दे बसंती' ने लोगों के दिल-दिमाग पर छोड़ा था. उस असर को तब खबरों में RDB (रंग दे बसंती) इफेक्ट कहा जाता था.
राज कपूर एक तरफ 'अंदाज' शूट कर रहे थे और दूसरी तरफ अपनी अगली फिल्म 'बरसात' की प्लानिंग शुरू कर चुके थे. फिल्म की कास्टिंग में सारी कड़ियां फिट हो चुकी थीं, लेकिन राज को सेकंड लीड रोल के लिए ऐसी एक्ट्रेस नहीं मिल रही थी, जिसमें 'गांव की गोरी' वाला नेचुरल भोलापन हो, जैसा 'बरसात' के किरदार में लिखा गया है.
'कच्चे धागे' को रिलीज के बाद रिव्यू बहुत अच्छे नहीं मिले थे लेकिन गानों, अजय की परफॉरमेंस और एक्शन ने इस फिल्म को धीरे-धीरे एक कल्ट फॉलोइंग दिला दी. 'कच्चे धागे' ने पर्दे पर जनता को जितना एंटरटेन किया, इसके बनने के वक्त की कुछ कहानियां भी उतनी ही दिलचस्प हैं.
क्या आपको पता है कि अमिताभ ने जिस तरह ये डायलॉग फिल्म में बोला, आवाज बदलने का उनका वो अंदाज शुरुआत में जनता को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था. आज बॉलीवुड की कल्ट-क्लासिक बन चुकी 'अग्निपथ' से जुड़ी कई ऐसी दिलचस्प बातें हैं जिन्हें जानने के बाद ये फिल्म दोबारा देखने में आपको और मजा आने लगेगा.