गांधी गोडसे - एक युद्ध (Gandhi Godse Ek Yudh) एक हिंदी फिल्म है, जिसके निर्देशक और लेखक राजकुमार संतोषी हैं और मनीला संतोषी इसके निर्माता हैं. फिल्म में दीपक अंतानी और चिन्मय मंडलेकर ने मुख्य भूमिका निभाई हैं. फिल्म 23 जनवरी 2023 को रिलीज हुई.
फिल्म में को एक अलग सोच के साथ बनाया गया है. फिल्म में दिखाया गया है कि महात्मा गांधी अपनी हत्या से बच जाते हैं और उसके बाद न केवल नाथूराम गोडसे को क्षमा करने का फैसला करते हैं बल्कि उनके साथ मिल कर कार्य करते हैं.
फिल्म मे ए आर रहमान (A R Rahman) ने संगीत दिया है. राजकुमार संतोषी के साथ ए आर रहमान की ये तीसरी फिल्म है (Gandhi Godse Ek Yudh Music).
फिल्म की कहानी भारत विभाजन पर आथारित है. गोडसे विभाजन और उसके बाद की दुर्दशा के लिए गांधीजी को जिम्मेदार मानता है. उन्होंने 30 जनवरी 1948 को गांधी को गोली मार दी लेकिन गांधी चमत्कारिक रूप से बच जाते हैं और गोडसे को क्षमा कर देते हैं. कांग्रेस से अपना नाता तोड़ने के बाद, गांधीजी ने गांवों को आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करने के लिए अपना ग्राम स्वराज आंदोलन शुरू करते है. इस बीच, गोडसे के लेखन उजागर हो जाते हैं जिसके कारण गांधी के खिलाफ जनभावना में बदलाव आता है (Gandhi Godse Ek Yudh Soty line).
बीजेपी उम्मीदवार अभिजीत गांगुली ने गांधी-गोडसे पर आजतक के डिबेट शो में एक बयान दिया जिसके बाद सियासी घमासान मच गया. बता दें, बीजेपी ने कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गांगुली को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उम्मीदवार बनाया है. उनकी एक टिप्पणी पर कांग्रेस ने उन्हें घेरा है. देखें क्या बोले अभिजीत गांगुली.
आजादी के कुछ महीनों बाद ही महात्मा गांधी की हत्या की साजिश रचनी शुरू हो गई थी. 1947 के नवंबर और दिसंबर में ही हथियार जुटाए जाने लगे थे. 20 जनवरी 1948 को बिरला हाउस में एक धमाका भी हुआ था, लेकिन उस समय बापू पर गोली नहीं चला सके थे. 10 फरवरी 1949 को अदालत के फैसले से समझिए हत्यारों ने कैसे रची थी गांधी की हत्या की साजिश?
महात्मा गांधी के जीवन के सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक था ब्रह्मचर्य. वे लगातार इसे लेकर प्रयोग करते रहे. यहां तक कि युवा महिलाओं के साथ सोने और सामूहिक स्नान करने जैसी बातों पर कथित तौर पर कस्तूरबा के अलावा आश्रम के बाकी लोग भी नाराज रहने लगे थे.
सियासी मंच सज चुका है मुद्दों को तैयार किया जा रहा है. चाहे फिर धर्म को लेकर सियासत हो या फिर इतिहास को लेकर ऐसे में महाराष्ट्र की सियासत में इतिहास के पन्ने एजेंडे के हिसाब से पलटे जा रहे हैं. कल तक औरंगजेब पर जारी जंग अब गोडसे तक पहुंच गई है. जिस पर टीपू सुल्तान का तड़का भी लग चुका है.
फिल्म रैप में देखें गुरुवार के दिन क्या हुआ खास. फिल्म गांधी वर्सेज गोडसे के साथ राजकुमार संतोषी ने लगभग एक दशक बाद डायरेक्शन में वापसी की थी, पर फिल्म फ्लॉप रही. इसका जिम्मेदार राजकुमार 'पठान' को ठहराते हैं. इसके अलावा Saas Bahu Aur Flamingo सीरीज अब रिलीज के तर्ज पर है. इसनमें डिंपल कपाड़िया नजर आने वाली हैं.
फिल्म गांधी वर्सेज गोडसे के साथ राजकुमार संतोषी ने लगभग एक दशक बाद डायरेक्शन में वापसी की थी. संतोषी ने इस मुलाकात में बताया कि उन्हें इस फिल्म से कई उम्मीदें थीं लेकिन पठान के ओवर हाइप्ड होने की वजह से उनकी फिल्म कहीं गुम सी हो गई.
Gandhi Godse Ek Yudh: बॉलीवुड फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' की रिलीज को करीब दो हफ्ते हो चुके हैं. लेकिन फिल्म में वैसा परफॉर्म नहीं किया जितनी की आस फिल्ममेकर्स को थी. इसलिए अब हिंदू महासभा ने इस फिल्म का प्रचार करने और लोगों तक पहुंचाने का फैसला किया है. देखें संजय शर्मा की ये रिपोर्ट.
Gandhi Godse Ek Yudh: बॉलीवुड फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' की रिलीज को करीब दो हफ्ते हो चुके हैं. फिल्म के डायरेक्टर राजकुमार संतोषी ने आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन से लेकर उसकी कहानी तक, कई मुद्दों पर बात की. देखें ये वीडियो.
30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गांधी की हत्या हुई, तब देश को आज़ाद हुए सिर्फ 5 महीने और 15 दिन हुए थे और बहुत सारे लोगों को शायद ये बात पता नहीं होगी कि जब गांधीजी की हत्या की साज़िश रची गई, तब शुरुआत में ये तय नहीं हुआ था कि ये हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा की जाएगी. गांधीजी की अंतिम यात्रा में करीब 15 लाख लोग शामिल हुए थे. देखें ये दुर्लभ वीडियो.
जीडी खोसला गोडसे के ख़िलाफ़ फैसला देने वाले तीन जजों में से एक थे. उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी, जिसका नाम था The Murder of the Mahatma. इसमें उन्होंने बताया कि जिस गोडसे ने अपना पक्ष अदालत में रखा, उस दिन वहां मौजूद लोगों की आंखों मे आंसू थे और अगर अदालत में उपस्थित दर्शकों को ज्यूरी का दर्जा दिया जाता तो नाथूराम गोडसे निर्दोष करार दिए जाते. देखें पूरी रिपोर्ट.
30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है. इसी दिन वर्ष 1948 में नाथूराम गोडसे ने 3 गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी थी. लेकिन आपको पता है कि महात्मा गांधी की हत्या से 10 दिन पहले 20 जनवरी 1948 को एक जानलेवा हमला हुआ था. देखिए उस हमले का दुर्लभ वीडियो.
गोडसे ने गांधी को क्यों मारा? इस पर गोडसे ने अदालत में खुद अपना पक्ष रखा था और ये पक्ष रखने में गोडसे ने पांच घंटे का समय लिया था और जब इस पूरे बयान को लिखने की प्रक्रिया पूरी हुई तो इससे 112 पन्ने भर गए थे. गोडसे के इस बयान के पांच भाग हैं. देखें सुधीर चौधरी का पूरा विश्लेषण.
30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गांधी की हत्या हुई, तब देश को आज़ाद हुए सिर्फ 5 महीने और 15 दिन हुए थे. जब गांधीजी की हत्या की साज़िश रची गई, तब ये तय नहीं हुआ था कि ये हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा की जाएगी. देखें बापू की हत्या पर ये पूरा विश्लेषण.
नाथूराम गोडसे और उसके साथियों ने महात्मा गांधी की हत्या की साजिश आजादी मिलने के कुछ महीनों बाद ही शुरू कर दी थी. नवंबर और दिसंबर 1947 में ही हथियार जुटाए जाने लगे थे. 20 जनवरी 1948 को बिरला हाउस में एक धमाका भी किया गया था, लेकिन उस समय बापू पर गोली नहीं चला सके थे. 10 फरवरी 1949 को अदालत के फैसले से समझिए हत्यारों ने कैसे रची थी गांधी की हत्या की साजिश?
कहना गलत नहीं होगा कि 'पठान' के तूफान ने राजकुमार संतोषी की फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' को धूल चटा दी. थिएटर्स में इनकी फिल्म देखने बहुत कम लोग पहुंचे. सारा सैलाब 'पठान' की टिकट विंडो की ओर उमड़ा. वो तो छुट्टी का दिन था, इसलिए राजकुमार संतोषी की फिल्म दो दिनों में एक करोड़ भी पार कर पाई. वरना तो इतनी भी उम्मीद नहीं थी.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच कुछ लोगों ने फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' के खिलाफ आवाज उठाते हुए विरोध प्रदर्शन किया. मुंबई पुलिस यह देखकर तुरंत एक्शन में आई. प्रेस कॉन्फ्रेंस के वेन्यू पर पुलिस ने लोगों को गिरफ्तार किया.
बदलाव की लाइट एंड विवादों का साउंड! लालकिले पर शुरू हए लाइंट एंड साउंड शो के नए अवतार पर विवाद हो रहा है. विवाद इसलिए क्योंकि उसमें बापू और नेहरू से जुड़े कुछ संदर्भों में बदलाव किया गया है. पहले के शों में वो संदर्भ मौजूद थे लेकिन नए शो में उन्हें जगह नहीं दी गई. इस बदलाव को लेकर बापू के पड़पोते तुषार गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला किया है. देखें हल्ला बोल.
'गांधी गोडसेः एक युद्ध' फिल्म पिछले कुछ समय से चर्चा में आई हुई है. आए भी क्यों न फिल्म महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे की विचारधारा पर जो यह आधारित है. फिल्म रिपब्लिक डे यानी 26 जनवरी के दिन थिएटर्स में रिलीज के लिए तैयार है.