गाजी सैयद सालार मसूद (Ghazi Saiyyad Salar) एक प्रसिद्ध मुस्लिम योद्धा और संत थे, जिनका नाम भारतीय इतिहास में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार के क्षेत्रों में प्रसिद्ध है. वे महमूद गजनवी के भतीजे और एक महान इस्लामी सेनापति माने जाते हैं. उनका जीवन वीरता, धार्मिकता और चमत्कारी कथाओं से जुड़ा हुआ है.
गाजी सैयद सालार मसूद का जन्म 1014 ईस्वी में हुआ था. उनके पिता सैयद सालार साहू गाज़ी और माता मलिका सैयदा थे. उनकी शिक्षा और सैन्य प्रशिक्षण कम उम्र में ही शुरू हो गया था, और वे अपने चाचा महमूद गज़नवी के अधीन कई सैन्य अभियानों में शामिल हुए. महज 16 वर्ष की आयु में, सालार मसूद ने भारत की ओर कूच किया और अपनी सेनाओं के साथ पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में विजय अभियान चलाया. उनकी सेना ने मेरठ, बहराइच, मलिहाबाद और कई अन्य स्थानों पर लड़ाई लड़ी.
उत्तर प्रदेश के बहराइच का युद्ध उनकी सबसे प्रसिद्ध लड़ाइयों में से एक था. इस युद्ध में वे हिंदू राजाओं के एक संयुक्त मोर्चे से लड़े, जिसमें राजा सुहेलदेव पासी विशेष रूप से प्रमुख थे. यह युद्ध 1034 ईस्वी में हुआ था, जिसमें सालार मसूद को पराजय का सामना करना पड़ा और वे वीरगति को प्राप्त हुए.
गाजी सैयद सालार मसूद को एक संत के रूप में भी पूजा जाता है. उनकी मजार बहराइच में स्थित है, जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु उर्स के अवसर पर आते हैं. उन्हें गाज़ी मियां के नाम से भी जाना जाता है और उनकी कहानियां भारतीय लोक-संस्कृति का हिस्सा बन चुकी हैं.
उत्तर प्रदेश के संभल में सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर होने वाले मेले पर प्रशासन ने रोक लगा दी है. पुलिस का कहना है कि किसी लुटेरे के नाम पर मेला नहीं होगा. सालार गाजी को लेकर इतिहास और वर्तमान के बीच टकराव देखने को मिल रहा है. कुछ लोग उन्हें सूफी मानते हैं, तो कुछ लूटेरा.
संभल के बाद सैयद सालार मसूद गाजी को लेकर बहराइच में भी हलचल बढ़ गई है. दरअसल, 1034 ईस्वी में बहराइच जिला मुख्यालय के समीप बहने वाली चित्तौरा झील के किनारे महराजा सुहेलदेव ने अपने 21 अन्य छोटे-छोटे राजाओं के साथ मिलकर सालार मसूद गाजी से युद्ध किया था और उसे युद्ध में पराजित कर मार डाला था. उसके शव को बहराइच में ही दफना दिया गया था, जहां सालाना जलसा होता है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराजा सुहेलदेव और ऋषि बालार्क को बहराइच की पहचान बताते हुए कहा कि अधिकारी कर्मचारियों को अब अपने पोस्टिंग स्थल पर रात्रि निवास करना होगा.
सैयद सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाले नेजा मेले पर रोक के बाद राजनीति तेज हो गई है. संभल से सपा के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर मसूद गाजी को सूफी संत बताया है.