जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV)
जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित एक एक्सपेंडेबल लॉन्च सिस्टम है. जीएसएलवी का उपयोग 2001 से 2021 तक चौदह प्रक्षेपणों में किया गया था.
जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) प्रोजेक्ट की शुरुआत 1990 में जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट्स के लिए भारतीय लॉन्च क्षमता हासिल करने के उद्देश्य से की गई थी.
जीएसएलवी (MK I configuration) की पहली उड़ान 18 अप्रैल 2001 को शुरू की गई थी, जो विफल रही. दूसरी उड़ान के सफलतापूर्वक GSAT-2 उपग्रह के प्रक्षेपण के बाद लॉन्चर को ओपरेशनल घोषित किया गया था. प्रारंभिक लॉन्च से 2014 तक के शुरुआती वर्षों के दौरान 7 में से केवल 2 सफल लॉन्च हुए थे (2 successful Launches).
तीसरा चरण रूसी कंपनी Glavkosmos से लेना था, जिसमें 1991 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था, जिसके आधार पर इंजन की प्रौद्योगिकी और डिजाइन विवरण का हस्तांतरण शामिल था. मई 1992 में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) के उल्लंघन के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) ने इस सौदे पर आपत्ति जताई, जिसके बाद रूस इस सौदे से पीछे हट गया. परिणामस्वरूप, ISRO ने अप्रैल 1994 में क्रायोजेनिक अपर स्टेज परियोजना शुरू की और अपना क्रायोजेनिक इंजन विकसित करना शुरू किया. पहले के समझौते के अनुसार एक नए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे जिसमें प्रौद्योगिकी और डिजाइन के साथ 7 केवीडी-1 क्रायोजेनिक और 1 ग्राउंड मॉक-अप चरण के बिना इन इंजनों का उपयोग प्रारंभिक उड़ानों के लिए किया गया था और इन्हें GSLV Mk I नाम दिया गया था.
ISRO श्रीहरिकोटा से 100वें लॉन्च का 27 घंटे का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. 29 जनवरी 2025 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से NVS-02 मिशन की लॉन्चिंग होगी. नाविक सैटेलाइट सीरीज का दूसरा उपग्रह है. इसे GSLV-F15 रॉकेट से छोड़ा जाएगा.
ISRO श्रीहरिकोटा से 100वां लॉन्च करने जा रहा है. यह लॉन्च 29 जनवरी 2025 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से होगा. यह नाविक सैटेलाइट सीरीज का दूसरा उपग्रह है. इसे GSLV-F15 रॉकेट से छोड़ा जाएगा.
ISRO के श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट में अभी दो लॉन्च पैड हैं. लेकिन वह तीसरे लॉन्च पैड को बनाने की तैयारी कर चुका है. इस लॉन्च पैड से वो रॉकेट छोड़े जाएंगे जो दूसरे ग्रहों और ह्यूमन स्पेसफ्लाइट की लिए जरूरी होंगे. जैसे- NGLV रॉकेट. इससे कई तरह के मिशन होंगे. ये रॉकेट लॉन्च पैड पर ही लिटाकर असेंबल किया जाएगा.