हरिद्वार
हरिद्वार (Haridwar) शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में गंगा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है. हरिद्वार हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान है, जो महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों की मेजबानी करता है और कई प्रमुख पूजा स्थलों के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है. हिंदुओं के सात पवित्र स्थलों में शामिल हरिद्वार हर 12 साल पर लगने वाले कुंभ मेला (Kumbha Mela) के लिए प्रसिद्ध है. कुंभ मेले के दौरान, लाखों तीर्थयात्री, भक्त और पर्यटक हरिद्वार में गंगा के तट पर स्नान करने के लिए एकत्र होते हैं. माना जाता है कि कुंभ में गंगा स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान पक्षी गरुड़ की गलती से एक कुंभ से हरिद्वार, उज्जैन (Ujjain), नासिक (Nashik) और प्रयागराज (Prayagraj) में अमृत की बूंदें गिरी थीं. हरिद्वार में जहां अमृत की बूंद गिरी थी वह जगह हर की पौड़ी (Har ki Pauri) है. इसे हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है. यह कांवड़ तीर्थयात्रा का प्राथमिक केंद्र भी है, जिसमें लाखों कांवड़िए गंगा से पवित्र जल इकट्ठा करते हैं और इसे शिव मंदिरों में प्रसाद के रूप में चढ़ाने के लिए सैकड़ों मील की दूरी पैदल तय करते हैं.
आज की तारीख में बहुत कम लोगों को पता है कि पिछली कई पीढ़ियों से हिंदू परिवारों की विस्तृत पारिवारिक वंशावली की पूरी जानकारी हरिद्वार के पंडों के पास हस्तलिखित पंजिकाओं में मौजूद है. देश के हर जिला की पंजिका के लिए यहां अलग पंडित उपलब्ध है. कई मामलों में आज के वंशज अब सिख हैं और कई शायद मुसलमान या ईसाई भी हैं. हरिद्वार के पंडों द्वारा रखे गए इन वंशावली रजिस्टरों में पिछली सात पीढ़ियों तक या उससे भी अधिक का विवरण मिलना आम बात है (Hindu Genealogy Registers at Haridwar).
हरिद्वार में कई दर्शनीय धार्मिक स्थल हैं, जिनमें हर की पौड़ी, चण्डी देवी मंदिर (Chandi Devi Temple), मनसा देवी मंदिर (Mansa Devi Temple), माया देवी मंदिर (Maya Devi Temple), भारतमाता मंदिर (Bharat Mata Mandir), सप्तर्षि आश्रम विशेष हैं.
सोमवार से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यात्रा का केंद्र बिंदु हरिद्वार होता है. इस यात्रा के लिए सरकार और प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से देवभूमि में आने वाले हर यात्री का स्वागत किया जाएगा और श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की जाएगी.