हरीश साल्वे (Harish Salve) एक वरिष्ठ वकील हैं जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करते हैं. उन्होंने 1 नवंबर 1999 से 3 नवंबर 2002 तक भारत के सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में कुलभूषण जाधव का मामला भी लड़ा. 16 जनवरी 2020 को उन्हें इंग्लैंड और वेल्स की अदालतों के लिए किंग्स काउंसल के रूप में नियुक्त किया गया था. वह लंदन में रहते हैं.
हरीश साल्वे वकालत के साथ-साथ अपने निजी जीवन के लिए भी चर्चा में रहते हैं. साल्वे ने 68 की उम्र में सितंबर 2023 को त्रायना से तीसरी शादी रचाई. उनकी दूसरी शादी कैरोलिन ब्रोसार्ड से 2020 में हुई थी और पहली शादी मीनाक्षी साल्वे से हुई थी, जो 38 साल तक चली. साल्वे ने जून 2020 में मीनाक्षी को तलाक दे दिया.
हरीश साल्वे का जन्म एक मराठी परिवार में हुआ था. उनके पिता, एन.के.पी. साल्वे कांग्रेस के प्रमुख राजनीतिज्ञ थे. उनकी मां अम्ब्रिति साल्वे एक डॉक्टर थीं. साल्वे एक ईसाई हैं और अपने घर में उदार धर्मनिरपेक्षता के साथ एक बहु-धार्मिक परिवार में पले-बढ़े हैं.
हरीश साल्वे ने कहा, 'जो लोग कह रहे हैं कि एक देश एक चुनाव संघीय ढांचे का उल्लंघन करता है, वे बिना सोचे-समझे बोल रहे हैं. इसमें हर भारतीय एक हितधारक है, यह केवल राजनेताओं के लिए नहीं है.' हरीश साल्वे 'एक देश-एक चुनाव' को लेकर बने राम नाथ कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल का हिस्सा थे. उन्होंने एक साथ पूरे देश में चुनाव की सिफारिश की थी.
लोकसभा चुनावों में कुछ ही समय बचा है और देश का सियासी पारा हाई है. इस बीच सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे सहित देश के 600 से अधिक वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर कहा है कि एक विशेष ग्रुप देश में न्यायपालिका को कमजोर करने में जुटा हुआ है. इस चिट्ठी पर अब पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है.
इन वकीलों ने चिट्ठी में लिखा है कि इस खास ग्रुप का काम अदालती फैसलों को प्रभावित करने के लिए दबाव डालना है, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जिनसे या तो नेता जुड़े हुए हैं या फिर जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. चिट्ठी में कहा गया है कि इनकी गतिविधियां देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास के लिए खतरा है.
नागरिकता संशोधन कानून पर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि ये कानून 'भेदभावपूर्ण है, धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है.' इनके अलावा सिर्फ तीन देशों के ही लोगों को क्यों नागरिकता दी जा रही है? इन तमाम सवालों पर इंडिया टुडे ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से बात की. उन्होंने कानून के पक्ष में कई अहम बातें बताईं.