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हसन नसरल्लाह

हसन नसरल्लाह

हसन नसरल्लाह

हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah) हिज्बुल्लाह चीफ थे. 27 सितंबर की रात बेरूत में हिज्बुल्लाह के मुख्यालय पर किए गए हमले में हसन नसरल्लाह की मौत हो गई. वह एक शिया इस्लामवादी राजनीतिक दल और मिलिशिया के महासचिव था. 1960 में बेरूत के उपनगरीय इलाके में एक शिया परिवार में जन्मे नसरल्लाह ने टायर में अपनी शिक्षा पूरी की, जहां वे कुछ समय के लिए अमल आंदोलन में शामिल हुए और उसके बाद बालबेक में एक शिया मदरसा में दाखिला लिया. कुछ समय बाद हिज्बुल्लाह में शामिल हो गए. हिज्बुल्लाह का गठन 1982 में लेबनान पर इजरायली आक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए किया गया था. 

एक सब्जी बेचने वाले का बेटा हसन नसरल्लाह एक ऐसा नाम है जिसे हिज्बुल्लाह को एक ताकतवर सैन्य और राजनीतिक संगठन में बदले का श्रेय जाता है.

1960 में बेरूत के एक गरीब मोहल्ले में जन्मे नसरल्लाह नौ भाई-बहनों के बीच बड़े हुए. उसके पिता की एक छोटी सी सब्जी की दुकान थी. बचपन में ही नसरल्लाह ने धार्मिक अध्ययन के प्रति अपनी रुचि दिखाई. 16 साल की उम्र में वे अब्बास अल-मुसावी की नजर में आए, जो बाद में हिज्बुल्लाह के नेता बने. 1992 में जब इजरायल ने मुसावी की हत्या की, तो नसरल्लाह को हिज्बुल्लाह का नेतृत्व सौंपा गया.

नसरल्लाह का एक बेटा हादी था. जो 1997 में इजरायली सैनिकों से लड़ते हुए मारा गया था. उस समय हादी की उम्र महज 18 साल थी. 

उस समय नसरल्लाह सिर्फ 32 साल के थे, लेकिन उन्होंने हिज्बुल्लाह को एक और भी ज्यादा शक्तिशाली संगठन में बदल दिया. उनके नेतृत्व में हिज्बुल्लाह सिर्फ एक सैन्य संगठन नहीं, बल्कि लेबनान की राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा. 

2006 में इजरायल के साथ युद्ध के बाद नसरल्लाह ने अपना जीवन गुमनामी में बिताना शुरू कर दिया. वे ज्यादातर सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखते थे. सिर्फ स्क्रीन पर ही भाषण देते थे. सितंबर 19 को उसने अपने आखिरी भाषण में कहा था कि लेबनान में हुए धमाके इजरायल की ओर से युद्ध की घोषणा हैं. 

हालांकि, नसरल्लाह का यह छिपा हुआ जीवन इजरायल का सबसे बड़ा दुश्मन होने के डर से जीता था. दशकों से हिज्बुल्लाह के कई बड़े नेता मारे गए, लेकिन नसरल्लाह अब तक मौत को चकमा देता रहा.  

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