भारतीय थल सेना
भारतीय थल सेना (Indian Army) भारतीय सशस्त्र बल का सबसे बड़ा अंग है (Largest Component of Indian Armed Forces). यह भारतीय सेना की भूमि-आधारित शाखा है (Land-Based Branch). भारत का राष्ट्रपति, थल सेना का सर्वोच्च कमांडर होता है ( President of India Supreme Commander of Indian Army), जबकि इसकी पेशेवर कमान भारतीय थल सेना अध्यक्ष के पास होती है (Chief of Army Staff). भारतीय थल सेना अध्यक्ष चार-सितारा जनरल होता है (Four-Star General). भारतीय सेना में अब तक दो अधिकारियों को फील्ड मार्शल का पद दिया गया है, जो एक औपचारिक पांच-सितारा रैंक होता है (Five-Star Rank of Field Marshal).
भारतीय सेना की उत्पत्ति ईस्ट इंडिया कंपनी की सेनाओं से हुई, जो समय के साथ ब्रिटिश भारतीय सेना बन गई, जिन्हें स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय सेना में बदल दिया गया. भारतीय सेना की इकाइयों और रेजिमेंटों ने दुनिया भर में कई लड़ाइयों और अभियानों में भाग लिया है, स्वतंत्रता से पहले और बाद में कई युद्ध और सम्मान अर्जित किए हैं (Indian Army History).
भारतीय सेना का सबसे बड़ा और पहला उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और उसकी एकता सुनिश्चित करना, राष्ट्र को बाहरी हमलों और आन्तरिक खतरों से बचाना, और देश की सीमाओं को सुरक्षित रखना है. भारतीय थल सेना प्राकृतिक आपदाओं और अन्य गड़बड़ियो के दौरान मानवीय बचाव अभियान भी चलाती है. यह भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना के साथ देश की ताकत का एक प्रमुख अंग है. भारतीय सेना अब तक पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चार युद्ध और चीन के साथ एक युद्ध लड़ चुकी है. सेना द्वारा किए गए अन्य प्रमुख अभियानों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस शामिल हैं. इसके अलावा, सेना ने शान्ति के समय ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स जैसे कई बड़े अभियानों, और शूरवीर जैसे युद्ध-अभ्यास का संचालन किया है. भारतीय सेना कई देशो में संयुक्त राष्ट्र के शान्ति मिशनों में एक सक्रिय प्रतिभागी भी रहा है (Indian Army Conflicts and Operations).
भारतीय सेना में रेजिमेंट सिस्टम है, जिसे संचालन और क्षेत्रों के मुताबिक सात कमानों में बांटा गया है. भारत के तमाम एक्टिव डिफेंस पर्सनल का 80 फीसदी हिस्सा भारतीय सेना से जुड़ा है (Indian Army Command and Structure).
भारतीय थल सेना में 12,00,255 सक्रिय सैनिक और 9,90,960 आरक्षित सैनिक है, जो इसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्थायी सेना बनाते हैं (Second Largest Standing Army in World).
भारतीय सेना ने सैनिकों के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसे Futuristic Infantry Soldier As a System के नाम से जाना जाता है. इसके साथ ही यह अपने बख्तरबन्द, तोपखाने और उड्डयन शाखाओं के लिए नए संसाधनों का संग्रह और उसमें सुधार भी कर रहा है (Indian Army Future Development).
भारत का Zorawar टैंक बहुत ऊंचाई वाले इलाकों में भी आसानी से चल सकता है. इसके ट्रायल्स सफल रहे हैं. इसकी तुलना चीन के Type-15 टैंक से की जा रही है. चीन के Type 15 लाइट टैंक के मुकाबले कितना दमदार है भारत का Zorawar टैंक?
भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार को LCA लड़ाकू विमान तेजस में पहली बार में उड़ान भरी. भारत के घरेलू लड़ाकू विमान में वायुसेना प्रमुख द्वारा ली गई सॉर्टी आत्मनिर्भर भारत की भावना को दिखाती है.
भारतीय नौसेना का थिएटर लेवल ऑपरेशनल एक्सरसाइज (TROPEX) 2025 भारतीय महासागर क्षेत्र में चल रहा है. इस युद्ध अभ्यास में कोर युद्ध कौशल का परीक्षण किया जा रहा है और राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा को यूनिफाइड रिस्पॉन्स सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया जा रहा है. इस अभ्यास में भारतीय सेना, वायु सेना और तटरक्षक बल शामिल है.
AK-203 प्रसिद्ध रूस की प्रसिद्ध कलाश्निकोव सिरीज का आधुनिक वर्जन है, जो बेहतर सटीकता, लाइट वेट कंस्ट्रक्शन और एडवांस ऑप्टिक्स व सहायक उपकरण के साथ संगतता प्रदान करता है. राइफल में 7.62×39 मिमी गोला-बारूद के लिए चैम्बर है, जो 5.56 मिमी इंसास राइफलों की तुलना में अधिक रोकने की शक्ति प्रदान करता है.
भारतीय सेना में पिनाका रॉकेट सिस्टम अपनी उपयोगिता साबित कर चुका है, खासकर उत्तरी सीमा पर चीन के साथ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात कुछ रेजिमेंट्स के जरिए. इसकी सटीक हमला करने की क्षमता इसे दुनिया के सबसे एडवांस्ड आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम में शामिल करती है.
सेना कमांडरों की वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस मुद्दे पर बात की. उन्होंने कहा कि भर्ती प्रक्रिया के ठहराव के बावजूद भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों और कुल ताकत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. उन्होंने कहा कि हमने नेपाल सरकार के समक्ष अपना प्रस्ताव रखा है और उनके जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं. उन्होंने नेपाल के संप्रभु निर्णयों का सम्मान करते हुए भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की भारत की इच्छा का जिक्र किया.
ट्रेनिंग सत्र में विभिन्न उच्च-तीव्रता वाली गतिविधियां शामिल थीं, जिनका उद्देश्य सैनिकों को ड्रोन और अन्य तकनीकी उन्नति सहित आधुनिक युद्ध उपकरणों को संभालने में उन्नत कौशल से लैस करना था. सैनिकों को युद्ध के मैदान की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए स्मोक स्क्रीन और उच्च तकनीक निगरानी प्रणालियों का उपयोग करते हुए नकली युद्ध स्थितियों के तहत युद्धाभ्यास करते देखा गया.
डिफेंस मिनिस्ट्री ने इंडियन आर्मी के लिए 155 मिमी/52 कैलिबर वाले के9 वज्र टी सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टलरी गन खरीदने के लिए लार्सन एंड टुब्रो के साथ समझौता किया है. ये डील 7628 करोड़ रुपए की है. जानिए इस टैंक की खासियत...
नॉर्थ-ईस्ट में भारतीय सेना और असम राइफल्स ने हाल ही में घुसपैठियों के अड्डे से एलन मस्क का स्टारलिंक इंटरनेट डिवाइस खोजा. यानी खतरे की घंटी बज गई है. अब मणिपुर और उसके आसपास के इलाकों में घुसपैठ करने वाले सैटेलाइट इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके अलावा खतरनाक एडवांस हथियार भी मिले हैं.
1971 की जंग में पाकिस्तान के हारने के बाद जनरल नियाजी के सरेंडर की आइकोनिक तस्वीर को नई जगह मिल गई है. इस तस्वीर को मानेकशॉ सेंटर में शिफ्ट किया गया है. उसकी जगह नई पेंटिंग आई है, जिसमें पैंगॉन्ग त्सो दिख रहा है. यानी अब भारत का स्ट्रैटेजिक फोकस उत्तर की तरफ है. यानी चीन के लिए तैयारी.
हिमालय पर जहां ऑक्सीजन कम होता है, वहां हमारे सैनिकों की इच्छाशक्ति चोटियों से भी ऊंची होती है. इंडियन आर्मी के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने LAC के करीब अपनी फायरपावर का प्रदर्शन किया. एक्सरसाइज हिमशक्ति में सेना ने दिखाया कि कैसे वो हिमालय के ऊपर बैठे दुश्मनों को दिन या रात में खत्म कर सकते हैं.
1 अक्टूबर, 2024 को लिखे गए इस पत्र में पिछले एक साल में 17 कोर के भीतर महिला सीओ के नेतृत्व वाली इकाइयों में देखी गई चुनौतियों का विश्लेषण किया गया है. इस पत्र ने सेना के भीतर और रक्षा विश्लेषकों के बीच महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में एकीकृत करने के सेना के प्रयासों के बारे में चर्चाओं को जन्म दिया है.
लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि महिला अफसरों में उनको मिली सुविधाओं का गलत इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति भी दिखाई दी. एक महिला सीओ ने ये निर्देश दिए कि जब भी वो यूनिट पहुंचे तो उनकी गाड़ी का गेट सूबेदार मेजर खोलें.
चीन के साथ पेट्रोलिंग समझौते के बीच भारतीय सेना 17, 800 फीट की ऊंचाई पर एलएसी पर पांचवें साल भी भयंकर ठंड के बीच सरहद की सुरक्षा के लिए तैयार है. उनकी मुस्तैदी और चट्टानी इरादों का वीडियो फायर एंड फ्यूरी कोर ने जारी किया है. जिसमें जवान एयर डिफेंस गन ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. देखें रणभूमि.
ट्रंप की नई सरकार से कई तरह की डिफेंस डील होने की संभावना है. कई पेंडिंग डील पूरी हो सकती हैं. फिलहाल अमेरिका की नजर भारत के 114 फाइटर जेट डील पर है. अगर ये सौदा होता है तो अमेरिकी हथियारों का ग्लोबल लेवल पर एक बार फिर जलवा कायम होगा.
Indian Army ने क्लोज रेंज कॉम्बैट के लिए 550 स्वदेशी मशीन पिस्टल ASMI खरीदने की अनुमति दे दी है. इससे पहले भी इतनी ही मात्रा में ये गन खरीदी गई थी. ये गन नजदीकी लड़ाई के लिए शानदार है. इसे सेना के उत्तरी कमांड के जवानों को दिया जाएगा. ताकि चीन-PAK सीमा पर सेना की शक्ति बढ़े.
टेंडरिंग प्रक्रिया में भारत फोर्ज लोवेस्ट बिडर रहा और इस कॉन्ट्रैक्ट को हासिल करने में कामयाब रहा. अब भारतीय सेना के लिए जिन 307 हॉवित्जर तोपों का निर्माण होना है, उनमें से 60 प्रतिशत यही कंपनी बनाएगी.
इस हवाई पट्टी की ऊंचाई और इसका एलएसी के करीब होना, इसे रणनीतिक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण बनाती है. इसकी मदद से भारत अब अपनी उत्तरी सीमाओं पर पहले से कहीं अधिक तेजी से संसाधनों को तैनात करने में सक्षम होगा.
सुरक्षाबलों ने जम्मू के अखनूर में दहशतगर्दों को घेरने के लिए बीएमपी कॉम्बैट व्हीकल्स उतार डाले. बीएमपी कॉम्बैट व्हीकल्स आमतौर पर जंग के मैदान में देखे जाते हैं. यह लड़ाकू वाहन ऊंचे-नीचे पहाड़ी रास्तों और कच्चे रास्तों पर भी आसानी से दौड़ सकता है, इसलिए भी अखनूर में इसका इस्तेमाल किया गया.
भारत ने 21 अक्टूबर, 2024 को घोषणा की थी कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग को लेकर चार साल से अधिक समय से बने सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए चीन के साथ एक समझौते पर सहमति बनी है. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर गतिरोध अप्रैल 2020 में तब शुरू हुआ, जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एकतरफा यथास्थिति (Status-Quo) में बदलाव की कोशिश की.
Ganderbal Terror Attack: गांदरबल में हमला करने वाले आतंकियों के हाथ में अमेरिकी असॉल्ट राइफल M4 Carbine दिखी. इससे पहले कठुआ के आतंकियों के पास से भी यह राइफल बरामद हुई थी. जिस गन का इस्तेमाल नाटो करती है, आखिरकार वो आतंकियों के पास कैसे पहुंची? यानी दुनियाभर में सिक्योरिटी को लेकर कहीं न कहीं चूक हो रही है.