भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act 2023) में भारतीय न्यायालयों में साक्ष्य की स्वीकार्यता को नियंत्रित करने वाले नियम है. इसे 1872 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किए गए अधिनियम के स्थान पर पेश किया गया है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 1 जुलाई 2024 को लागू होगा. इस एक्ट को तीन भागों में बांटा गया है जिसके तहत कुल 11 अध्याय हैं और 167 धाराएं है.
अब देश में ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) ने ले ली है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को बताया कि नए आपराधिक न्याय कानूनों के तहत पहला मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आधी रात को करीब 12 बजकर 10 मिनट पर दर्ज किया गया है. जो कि एक बाइक चोरी का मामला है. गृह मंत्री ने यह भी कहा कि मैं सबसे पहले देश के लोगों को बधाई देना चाहता हूं कि आजादी के करीब 77 साल बाद हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी हो गई है.
लगातार तीसरी बार केंद्र में आई मोदी सरकार अब अपराधियों पर नकेल कसने जा रही है. मोदी सरकार ने 2,250 करोड़ रुपये की एक ऐसी योजना को मंजूरी दी है, जिससे देशभर में फॉरेंसिक जांच के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया जाएगा.
कौन सा कृत्य अपराध है और उसके लिए क्या सजा होगी? आईपीसी में इसका प्रावधान है. अब 1 जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता लागू हो जाएगी. इसमें कई सारी नई धाराएं जोड़ी गई हैं और कई सजाओं को सख्त किया गया है. जानते हैं कि महिलाओं के लिए बीएनएस में क्या-क्या है?