भारतीय दंड संहिता (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) भारत की आधिकारिक आपराधिक संहिता है. यह एक व्यापक कोड है जिसका उद्देश्य आपराधिक कानून के सभी मूल पहलुओं को शामिल करना है. कोड का मसौदा 1834 में थॉमस बबिंगटन मैकाले की अध्यक्षता में 1833 के चार्टर अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था (Formation of IPC). यह भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिशों पर तैयार किया गया था.
यह 1862 में प्रारंभिक ब्रिटिश राज काल के दौरान ब्रिटिश भारत में लागू हुआ. हालांकि, यह उन रियासतों में स्वचालित रूप से लागू नहीं हुआ, जिनकी 1940 के दशक तक अपनी अदालतें और कानूनी प्रणालियां थीं. तब से संहिता में कई बार संशोधन किया गया है और अब यह अन्य आपराधिक प्रावधानों द्वारा पूरक है.
ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के विभाजन के बाद, भारतीय दंड संहिता भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) को विरासत में मिली, जहां यह स्वतंत्र रूप से पाकिस्तान दंड संहिता के रूप में जारी है. बांग्लादेश (Bangladesh) के पाकिस्तान से अलग होने के बाद भी वहां कोड लागू रहा. कोड को औपनिवेशिक बर्मा (Barma), सीलोन (आधुनिक श्रीलंका), जलडमरूमध्य बस्तियों (अब मलेशिया का हिस्सा), सिंगापुर और ब्रुनेई में ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा अपनाया गया था, और उन देशों में आपराधिक कोड का आधार बना हुआ है (History of IPC).
1 जुलाई से इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह, भारतीय न्याय संहिता (BNS) ने ले ली है. 164 साल पुराने IPC के जाने से कई यादगार फिल्मों का जायका भी डिस्टर्ब हो गया है. कैसे? आइए बताते हैं...