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जमीयत उलेमा-ए-हिंद

जमीयत उलेमा-ए-हिंद

जमीयत उलेमा-ए-हिंद

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) भारत का एक प्रमुख इस्लामी संगठन है, जिसकी स्थापना 1919 में की गई थी. यह संगठन मुख्य रूप से भारतीय उलेमाओं (इस्लामी विद्वानों) का एक समूह है, जो सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिक और राजनीतिक मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाता है.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ब्रिटिश शासन के दौरान अस्तीत्व में आया. इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना और इस्लामी समाज की बेहतरी के लिए कार्य करना था. यह संगठन मुख्य रूप से देवबंदी विचारधारा से प्रभावित था और महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन करता था.

स्वतंत्रता संग्राम में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विभाजन (1947) के दौरान इस संगठन ने मुस्लिम लीग के द्विराष्ट्र सिद्धांत का विरोध किया और भारत में रहने वाले मुसलमानों को यहीं रहने के लिए प्रेरित किया. संगठन ने समय-समय पर सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई और शांति बनाए रखने में भी योगदान दिया.

 

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