जनता दल (यूनाइटेड)
जनता दल (यूनाइटेड) (Janata Dal United) का गठन 30 अक्टूबर 2003 को जनता दल, लोक शक्ति पार्टी और समता पार्टी के शरद यादव (Sharad Yadav) गुट के विलय के साथ हुआ था. जनता दल (यूनाइटेड) के तत्कालीन पार्टी संरक्षक जॉर्ज फर्नांडीस (George Fernandes) थे. जद (यू) जून 2013 से अगस्त 2017 को छोड़कर अपने गठन के बाद से भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा रहा है. इस पार्टी का चुनाव चिन्ह तीर है (Party Symbol of JDU).
जनता दल (यूनाइटेड) पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत का मुख्य राजनीतिक दल है. जद (यू) को बिहार और अरुणाचल प्रदेश राज्यों में एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त है और बिहार में सरकार का एक हिस्सा है (Part of government in Bihar). जद (यू) बिहार में सरकार का नेतृत्व करता है और अरुणाचल प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई है. जद (यू) ने 2019 के भारतीय आम चुनाव में 16 सीटें जीतीं, जिससे वह लोकसभा में सातवीं सबसे बड़ी पार्टी बन गई. यह पार्टी समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और मानवतावाद की विचारधाराओं पर काम करती है (Ideologies of JDU).
जनता दल (Janata Dal) की उत्पत्ति 1999 के आम चुनाव से पहले की है. कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री जेएच पटेल के नेतृत्व वाले एक गुट ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को समर्थन दिया, जिसके विरोध में जनता दल में विभाजन हो गया, नतीजतन एचडी देवेगौड़ा (H D Deve Gowda) के नेतृत्व में जनता दल (सेक्युलर) (Janata Dal Secular) का गठन हुआ और शरद यादव के नेतृत्व में जनता दल को जनता दल (यूनाइटेड) कहा जाने लगा (Formation of Janata Dal United).
एनडीए एक बार फिर जंगल राज को मुद्दा बनाकर जनता के डर को कैश कराने की फिराक में है. पर क्या 20 साल बाद भी आम लोग लालू यादव के कार्यकाल की गलतियों को आधार बनाकर वोटिंग करेंगे? क्या 2025 में भी यह विषय चुनावी मुद्दा बनने के लायक है?
नीतीश कुमार के लिए कोई मजबूरी नहीं थी कि वो सात नए मंत्री केवल बीजेपी के ही बनायें. हो सकता है कि सरकार बनते समय दोनों ही पार्टियों के बीच कुछ समझौता हुआ हो कि विधायक की संख्या के हिसाब मंत्री बनाए जाएंगे. पर अब तक यदि नीतीश कुमार बीजेपी विधायकों को मंत्री नहीं बना रहे थे अचानक कैसे तैयार हो गए? जाहिर है कि सवाल तो उठेंगे ही.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने 7 नए मंत्री बनाए हैं. इस बार के कैबिनेट विस्तार में भी जाति के चुनावी गणित का ख्याल ज्यादा रखा गया है. आज शपथ लेने वाले 7 मंत्रियों में पिछड़ा वर्ग के 3, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 2 और सामान्य वर्ग के 2 मंत्री शामिल हैं. ऐसे में सवाल कि क्या इस बार भी बिहार के चुनाव में जाति का ही दांव चलेगा. क्या जंगलराज और भ्रष्टाचार के सियासी तीर का मुकाबला इस बार इंडिया गठबंधन जाति गणना और आरक्षण संविधान के मुद्दे के साथ करने वाली है? देखें दंगल.
बिहार में आज नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल विस्तार कर दिया. जिसमें 7 मंत्रियों में सभी बीजेपी के ही विधायक हैं. माना जा रहा है कि, नीतीश ये संदेश देना चा रहे रहे हैं कि, हमने मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी को पर्याप्त सम्मान दे दिया. अब बीजेपी की बारी है कि, वो खुला ऐलान करे कि, बिहार में नीतीश ही उसके चेहरा होंगे. क्या है नीतीश कुमार का प्लान? देखिए हल्ला बोल.
नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में सबके लाडले मुख्यमंत्री हैं. उल्टा सीधा दोनों तरफ से नीतीश एक समान सीएम बनते आ रहे हैं. इसी लाडला सियासत में आज जब नीतीश सरकार में बीजेपी के कोटे से सात नए मंत्री शामिल हुए तो सबकुछ शांति से बीता. लेकिन क्या नीतीश कुमार की लाडला बनकर की जाने वाली शांत सियासत कोई बड़ा तूफान पैदा कर सकती है?
बिहार में नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद बीजेपी और जेडीयू के बीच नया समीकरण सामने आया है. बीजेपी के मंत्रियों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है, जबकि जेडीयू के पास सिर्फ 13 मंत्री पद हैं. इस बदलाव से सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार में बीजेपी 'बड़े भाई' की भूमिका में आ गई है? देखिए VIDEO
बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सियासी समीकरण बदल गए हैं. नीतीश कुमार की कैबिनेट में अब बीजेपी के 21 मंत्री हो गए हैं, जबकि जेडीयू के 13 मंत्री हैं. इस विस्तार में जेडीयू को कोई नया मंत्री पद नहीं मिला. बीजेपी ने जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है. लेकिन नीतीश कुमार के सीएम फेस की घोषणा को लेकर अभी भी असमंजस बना हुआ है. मंत्रिमंडल विस्तार पूरी इनसाइड स्टोरी जानिए.
बिहार में नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है. भारतीय जनता पार्टी के 7 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है. इनमें संजय सरावगी, जीवेश मिश्र, राजू सिंह, सुनील कुमार, मोतीलाल प्रसाद, कृष्ण कुमार मंटू और विजय कुमार मंडल शामिल हैं. इस विस्तार के साथ मंत्रिमंडल में बीजेपी का प्रभाव बढ़ गया है. सभी 7 नए मंत्री BJP के हैं, JDU संग ये सहमति कैसे बनी? देखिए स्पेशल शो.
Bihar Cabinet Expansion: बिहार में नीतीश कुमार मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा है. शाम 4 बजे बीजेपी के 7 विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे. इस विस्तार में जाति समीकरण का असर साफ दिख रहा है. 7 में से 3 पिछड़ी, 2 अति पिछड़ी और 2 सवर्ण जाति के हैं. क्षेत्रीय संतुलन भी साधा गया है. देखिए न्यूजरूम.
बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार काफी समय से टलता आ रहा था. एक साल से इससे पर अटकलें चलती आ रही थीं. अभी हाल ही में चर्चा हुई कि अब मंत्रिमंडल विस्तार खरमास के बाद होगा. अब खरमास बीते भी डेढ़ महीने हो गए हैं. अब बजट सत्र भी आ गया है. ये मौजूदा सरकार के लिए सबसे बड़ा सत्र होगा. इसके बाद सरकार के लिए ऐसा सत्र कोई होगा नहीं, क्योंकि अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने की संभावना है.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने बड़ा दांव चल दिया है. उनके बेटे निशांत कुमार ने सीएम फेस के तौर पर नीतीश के नाम की मांग की है. इससे बीजेपी पर दबाव बढ़ गया है. नीतीश कुमार ने संकेत दिए हैं कि अगर उन्हें सीएम फेस नहीं बनाया गया तो वे एनडीए छोड़ सकते हैं. लालू यादव ने भी नीतीश को महागठबंधन में वापस आने का न्योता दिया है. नीतीश कुमार की राजनीतिक चालों से बिहार की सियासत में हलचल मच गई है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले ही एनडीए से अपने नाम का आधिकारिक ऐलान चाहते हैं. इसके पीछे महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे जैसी स्थिति से बचने की मंशा है. बीजेपी नेताओं के बयानों से नीतीश असहज हैं. वे चाहते हैं कि चुनाव परिणाम आने के बाद सीएम पद को लेकर कोई उलझन न रहे. नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के अनुभवी खिलाड़ी हैं और अपनी सियासी ताकत से वाकिफ हैं.
बिहार में चुनावी माहौल गरमाया, नीतीश कुमार के बेटे निशांत ने बीजेपी से की बड़ी मांग. पीएम मोदी के 'लाडले मुख्यमंत्री' वाले बयान के बाद निशांत ने कहा - सिर्फ लाडला कहने से काम नहीं चलेगा, बीजेपी को चुनाव से पहले नीतीश को सीएम फेस घोषित करना होगा. महाराष्ट्र का फॉर्मूला बिहार में नहीं चलेगा, ज्यादा सीटें जीतने पर भी सीएम नीतीश ही होंगे. बीजेपी और जेडीयू में सीएम फेस को लेकर तनाव, नीतीश के इरादों पर सवाल.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे को लेकर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है. राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री आज बिहार में हैं, इसलिए बिहार में झूठ और जुमलों की बरसात करेंगे. उनके इस बयान पर अब JDU ने पलटवार किया है. देखिए जेडीयू ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोड शो के दौरान अपनी गाड़ी में सिर्फ नीतीश कुमार को ही साथ रख कर बीजेपी के स्थानीय नेताओं सहित एनडीए के घटक दलों को संकेत दे दिया कि आगामी चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. बीजेपी ने अचानक बड़ा भाई बनने की तैयारी ड्रॉप क्यों कर दी?
JDU साल 2003 में अस्तित्व में आई और समाजवादी विचारधारा और चोला पहनकर पिछले 22 सालों से नीतीश कुमार की छत्रछाया में ही फलती-फूलती रही. कभी PK, कभी RCP, कभी ललन सिंह, तो कभी उपेंद्र कुशवाहा का उभार इस पार्टी में हुआ, लेकिन उत्तराधिकारी के नाम पर नीतीश ने कभी मुहर नहीं लगाई. अब निशांत की राजनीतिक डेब्यू की चर्चा सुर्खियां बटोर रही हैं.
दिल्ली की जीत के बाद BJP ने अश्वमेध का घोड़ा बिहार की तरफ दौड़ा दिया है. दिल्ली के रामलीला मैदान में अपने सहयोगियों के साथ शक्ति प्रदर्शन करने के बाद BJP बिहार विजय की गाथा लिखने में जुट गई है. सवाल है कि क्या BJP दिल्ली में शानदार जीत का परचम बिहार में भी लहराएगी? देखें हल्ला बोल.
निशांत कुमार ने राजनीति में एंट्री करने को लेकर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं और इस सवाल पर चुप्पी साध जाते हैं. मगर जनता दल यूनाइटेड से लेकर बीजेपी तक कई नेताओं ने नीतीश कुमार के बेटे की राजनीति में एंट्री की वकालत की है. पिछले कुछ दिनों से बिहार की राजनीति में निशांत के राजनीति में आने को लेकर चर्चाएं भी खूब हो रही हैं और ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वह होली के बाद राजनीति में आ सकते हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे की राजनीति में संभावित एंट्री की अटकलों पर बयानबाजी तेज हो गई है. जब उनसे राजनीति में आने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने न तो हां कहा और ना ही नकारा. अब बिहार के सियासी गलियारों में इसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं. देखें निशांत कुमार का रिएक्शन.
जनता दल यूनाइटेड में नए नेतृत्व की मांग उठी है. इस बीच, निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को पार्टी की कमान सौंपने की वकालत की है. उनका मानना है कि नीतीश कुमार के बेटे का नेतृत्व पार्टी को मजबूत करेगा और विभीषण लोगों से बचाएगा.
बिहार के राजनीतिक गलियारों में तेजस्वी यादव और JDU नेताओं के बीच शब्दों की जंग छिड़ गई है. तेजस्वी की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर की गई टिप्पणी के बाद, JDU नेता नीरज कुमार ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी, लालू यादव के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दें.