जापानी स्पेस एजेंसी
जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) जापान का राष्ट्रीय एयरोस्पेस और अंतरिक्ष एजेंसी है (Japan Aerospace Exploration Agency). तीन पूर्व स्वतंत्र संगठनों के विलय के बाद, 1 अक्टूबर 2003 को JAXA का गठन किया गया था. JAXA अनुसंधान, प्रौद्योगिकी विकास और उपग्रहों को कक्षा में लॉन्च करने के लिए जिम्मेदार है (Formation of JAXA). इसके अलावा यह कई और उन्नत मिशनों में शामिल है जैसे कि क्षुद्रग्रह अन्वेषण और चंद्रमा पर संभावित मानव अन्वेषण (Japanese Space Agency Mission). इसका आदर्श वाक्य वन जाक्सा है (Japanese Space Agency Motto) और इसका कॉर्पोरेट नारा एक्सप्लोर टू रियलाइज है (Japanese Space Agency Corporate Slogan).
1 अक्टूबर 2003 जापान का अंतरिक्ष और अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान (ISAS), जापान की राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (NAL), और जापान की राष्ट्रीय अंतरिक्ष विकास एजेंसी (NASDA) को मिलाकर नया JAXA बनाया गया. JAXA का गठन शिक्षा, संस्कृति, खेल, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEXT) और आंतरिक मामलों और संचार मंत्रालय (MIC) के तहत एक स्वतंत्र प्रशासनिक संस्थान के रूप में किया गया था.
विलय से पहले, ISAS अंतरिक्ष और ग्रह अनुसंधान के लिए जिम्मेदार था, जबकि NAL विमानन अनुसंधान पर केंद्रित था. NASDA ने रॉकेट, उपग्रह विकसित किए थे और जापानी प्रयोग मॉड्यूल भी बनाया था. , इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 1969 हुई थी. NASDA का मुख्यालय, क्यूशू से 115 किलोमीटर दक्षिण में तनेगाशिमा द्वीप पर, तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र की मौजूदा साइट पर स्थित था. NASDA ने जापानी अंतरिक्ष यात्रियों को भी प्रशिक्षित किया, जिन्होंने अमेरिकी अंतरिक्ष यान के साथ उड़ान भरी थी (Japanese Space Agency History).
जापान का मूल अंतरिक्ष कानून 2008 में पारित किया गया था, और JAXA का अधिकार क्षेत्र प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कैबिनेट में MEXT से Strategic Headquarters for Space Development (SHSD) में स्थानांतरित हो गया (Japanese Space Agency Administration).
जापानी स्पेस एजेंसी के इंटरप्लेनेटरी रिसर्च मिशन की योजना बनाने में लगने वाले सात सालों के समय के कारण JAXA ने 2010 के बाद से छोटे, तेज मिशनों का उपयोग करने की योजना बनाई. 2012 में, नए कानून ने JAXA के काम को शांतिपूर्ण उद्देश्यों से केवल कुछ सैन्य अंतरिक्ष विकास, जैसे मिसाइल प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली शामिल करने के लिए विस्तारित किया (Japanese Space Agency Lunar and Interplanetary Mission).
Japan की निजी स्पेस कंपनी Space One का कायरोस रॉकेट 9 महीने में दूसरी बार लॉन्च के बाद फट गया. तीन मिनट की उड़ान के बाद हवा में ही सेल्फ डिस्ट्रक्ट हो गया. इससे जापानी स्पेस इंडस्ट्री को तगड़ा झटका लगा है.इस रॉकेट पर पांच छोटे सैटेलाइट तैनात थे. जिन्हें ताइवान की स्पेस एजेंसी ने बनाया था.
Japan की निजी स्पेस कंपनी Space One का कायरोस रॉकेट 9 महीने में दूसरी बार लॉन्च के बाद फट गया. तीन मिनट की उड़ान के बाद हवा में ही सेल्फ डिस्ट्रक्ट हो गया. इससे जापानी स्पेस इंडस्ट्री को तगड़ा झटका लगा है.
जापान के एपीसिलॉन एस रॉकेट के इंजन टेस्ट में धमाका होने से मिशन फिर से टल गया. हादसे में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन अंतरिक्ष कार्यक्रम को देरी का सामना करना पड़ेगा.
अमेरिका के फ्लोरिडा में एक घर पर अंतरिक्ष से एक रहस्यमयी वस्तु गिरी. माना जा रहा है कि यह वस्तु स्पेस स्टेशन पर लगी बैटरी का टुकड़ा है. फिलहाल इसकी जांच चल रही है. लेकिन इस वस्तु ने घर के दो फ्लोर पर छेद कर दिया.
Japan के SLIM मून प्रोब ने वो काम कर दिखाया जो ISRO का Chandrayaan-3 भी नहीं कर पाया था. स्लिम मून प्रोब ने चांद की भयानक सर्दी वाली लंबी रात को सर्वाइव कर लिया है. इसके बाद उसने पृथ्वी से संपर्क भी किया है. जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा ने इस बात की पुष्टि की है.
चांद पर मौजूद Japan का स्लिम मून लैंडर जाग गया है. उसकी लैंडिंग तो सही हुई थी. लेकिन सोलर पैनल्स सूरज की रोशनी की दिशा में नहीं थे. इसलिए वह एनर्जी हासिल कर नहीं पा रहा था. अब सूरज की रोशनी की दिशा बदली तो वह फिर से चार्ज होने लगा है. उसे अब काफी ऊर्जा मिल रही है. लैंडर से संपर्क स्थापित हो चुका है.
Japan को अपने मून लैंडर SLIM की चांद की सतह से पहली तस्वीर मिल गई है. यह एक ऐतिहासिक फोटो है. तस्वीर लेने वाला कोई और नहीं. स्लिम के साथ गए L E V Two रोवर ने ली है.
Japan के पहले मून लैंडर SLIM की चांद की सतह पर पड़े हुए कि पहली फोटो आ गई है. यह फोटो ली है LEV-2 रोबोट रोवर ने. जो इस लैंडर के साथ गया था. ये एक ऐतिहासिक तस्वीर है. ये इमेज 24 जनवरी 2024 की रात में ली गई है.
Japan को उम्मीद है कि चांद पर मौजूद उनके SLIM मून लैंडर में अब भी जान बाकी है. 19 जनवरी 2024 को जापान ने चांद पर सफल लैंडिंग कराई. लेकिन उसके सोलर पैनल पावर देने में फेल हो गए. यानी वो खुले ही नहीं. वो बिजली पैदा कर ही नहीं पा रहे हैं. अब जापान फिर से इस लैंडर को जिंदा करने का प्रयास कर रही है.
Japan का SLIM मून मिशन सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतर चुका है. इसके साथ ही जापान ये सफलता हासिल करने वाला दुनिया पांचवां देश बन गया है. जापान के अंतरिक्षयान ने धरती से चांद तक पहुंचने के लिए 5 महीने की यात्रा की.
जापान ने 6 सितंबर 2023 को अपने मून मिशन SLIM को चांद की ओर भेजा था. पांच महीने बाद 19 जनवरी, 2024 की रात 8 बजकर 50 मिनट के आसपास यह सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. अगर जापान को सफलता मिलती है, तो जापान चांद की सतह पर उतरने वाला पांचवा देश बन जाएगा.
Japan का SLIM मून मिशन आज रात करीब 8:50 बजे के आसपास चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा. सफलता मिली तो सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला 5वां देश बन जाएगा. इसी के साथ स्लिम स्पेसक्राफ्ट की पांच महीने की यात्रा पूरी हो जाएगी. जानिए कहां देख सकते हैं आप इसे Live...
1 जनवरी 2024 को आए भूकंप से Japan की जमीन कई जगहों पर ऊपर उठ गई है. कई स्थानों पर तो 13 फीट की ऊंचाई हासिल कर ली है. जिसकी वजह से तट 800 फीट पीछे खिसक गया है. पहले जहां समंदर का पानी पहुंचता था, अब उससे बहुत पीछे चला गया है. पहली बार इसका ड्रोन फुटेज सामने आया है.
1 जनवरी 2024 को आए भूकंप से Japan का तट 800 फीट से ज्यादा खिसक गया है. ये घटना हुई है नोटो प्रायद्वीप में आए भयानक भूकंप की वजह से. ये खुलासा सैटेलाइट तस्वीरों के सामने आने के बाद हुआ है. इससे पहले भी 2011 में जापान की जमीन भूकंप के बाद खिसक गई थी.
जापान एक बार फिर भीषण भूकंप से दहल गया है. हालात इतने खराब हो गए हैं कि भूकंप प्रभावित प्रांत में समुद्र का जलस्तर डेंजर लेवल पर पहुंच गया है और लोगों से घर खाली करने का अनुरोध तक कर दिया गया है. बता दें कि जापान में इस बार 7.4 तीव्रता का भूकंप आया है.
6 सितंबर 2023 को Japan ने अपने मून मिशन SLIM को चांद की ओर भेजा था. ये अब जाकर चांद की ऑर्बिट में पहुंचा है. 19 जनवरी 2024 को संभव है कि ये चांद की सतह पर लैंड करे. अगर ऐसा होता है तो जापान चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पांचवा देश बन जाएगा. ये जानकारी जापानी स्पेस एजेंसी JAXA ने दी है.
भारत का चंद्रयान-3 मिशन चल रहा है. उधर, Chandrayaan-4 की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. इस मिशन में भारत के साथ जापानी स्पेस एजेंसी भी काम करेगी. फिलहाल बेहद शुरुआती स्तर पर बातचीत चल रही है. जापानी वैज्ञानिक इस साल इसरो दौरे पर भी आए थे. आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में...
Japan ने अपना मून मिशन लॉन्च कर दिया है. अगर इसका SLIM लैंडर चांद पर उतरता है, तो जापान चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पांचवां देश हो जाएगा. लॉन्चिंग दक्षिणी जापान के तांगेशिमा स्पेस सेंटर से की गई. स्लिम मिशन को जापानी स्पेस एजेंसी के H-2A रॉकेट से लॉन्च किया गया.
भारत के Chandrayaan-3 मिशन के बाद अचानक से नई रेस शुरू हो गई है. पहले रूस ने अपना लूना-25 मिशन भेजा. अब जापान भेजने वाला है. इस साल अमेरिका के भी दो लूनर मिशन लॉन्च होने वाले हैं. अब जापान 26 अगस्त 2023 को अपना मून मिशन भेजने वाला है. आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में...
भारत ने Chandrayaan-3 भेजा. रूस ने Luna-25. इस साल दो मून मिशन जा चुके हैं. इसी साल दो और मून मिशन जाएंगे. इसके बाद अगले चार सालों में आठ मून मिशन भेजे जाने वाले हैं. जिसमें इजरायल, अमेरिका, भारत, चीन और जापान शामिल हैं. आइए जानते हैं कि इन 10 मून मिशन में क्या-क्या होने वाला है.
पहली बार चंद्रमा पर कोई व्यावसायिक लैंडर उतरना था. यह किसी देश का नहीं बल्कि निजी कंपनी का यान था. यह यान जापानी स्टार्टअप कंपनी आईस्पेस इंक का था. मिशन का नाम हाकुतो-आर मिशन 1 (M1) रखा गया था.