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जयप्रकाश नारायण

जयप्रकाश नारायण

जयप्रकाश नारायण

जयप्रकाश नारायण श्रीवास्तव (Jayaprakash Narayan) एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे. वे जेपी और लोक नायक के रूप में प्रसिद्ध हैं. वे भारत के महान राजनीतिज्ञों ओर सिद्धांतकारों में से एक थे. 1999 में, नारायण को उनकी सामाजिक सेवा के सम्मान में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उनके अन्य पुरस्कारों में 1965 में सार्वजनिक सेवा के लिए मैग्सेसे पुरस्कार शामिल है. 

1975 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी को चुनावी कानूनों का उल्लंघन करने का दोषी पाया था. जेपी ने गांधी और मुख्यमंत्रियों से इस्तीफा देने और सेना और पुलिस से असंवैधानिक और अनैतिक आदेशों की अवहेलना करने का आह्वान किया था. उन्होंने संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया. इसके तुरंत बाद, इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की. देसाई, विपक्षी नेताओं और गांधी की अपनी ही पार्टी के कुछ सदस्यों को उस दिन गिरफ्तार कर लिया गया था.

जयप्रकाश नारायण ने रामलीला मैदान में लगभग 10 लाख लोगों की भीड़ जुटाई और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता 'सिंहासन खाली करो के जनता आती है' गाया. इस आंदोलन के लिए जेपी को आज भी याद किया जाता है.

जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को उत्तर प्रदेश के सारण जिला के सिताबदियारा गांव में हुआ था. उनके गांव में हर साल बरसात में नदी में पानी बढ़ जाता था जिसके कारण उनके घर को नुकसान पहुंचता था. जिससे उनके परिवार को कुछ किलोमीटर दूर एक बस्ती में जाना पड़ता था. इस बस्ती का नाम अब जयप्रकाश नगर है.

17 साल की उम्र में, जयप्रकाश की शादी अक्टूबर 1919 में वकील और राष्ट्रवादी बृज किशोर प्रसाद की बेटी प्रभावती देवी से हुई. प्रभावती बहुत स्वतंत्र थीं और गांधी के निमंत्रण पर, उनके आश्रम में रहने चली गईं, जबकि जयप्रकाश नारायण ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद 15 अप्रैल 1973 को प्रभावती देवी की मृत्यु हो गई.

मधुमेह और हृदय रोग के कारण जयप्रकाश नारायण की मृत्यु 8 अक्टूबर 1979 को बिहार की राजधानी पटना में हुई थी. 

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