कच्चातिवु द्वीप (Kachchatheevu Island) श्रीलंका और भारत के बीच स्थित है. इस द्वीप को साल 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाक जलडमरूमध्य में समुद्री सीमाओं को हल करने के लिए 'भारत-श्रीलंकाई समुद्री समझौते' के तहत श्रीलंका को सौंप दिया था. इस समझौते के चलते तमिलनाडु में कई आंदोलन भी हुए हैं. पारंपरिक रूप से श्रीलंकाई तमिल और तमिलनाडु दोनों मछुआरें इसका उपयोग किया करते थे लेकिन 1976 के एक अन्य समझौते ने दोनों देशों के मछुआरों को दूसरे के विशेष आर्थिक क्षेत्रों में मछली पकड़ने से प्रतिबंधित कर दिया. इस द्वीप को को सौंपने
1 अप्रैल 2024 को विदेश मंत्री जयशंकर ने दावा किया भारतीय मछुआरों के अधिकारों की अनदेखी करते हुए कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को दे दिया था. दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में चुनावी रैली के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कच्चातिवु द्वीप को लेकर हुए श्रीलंका के साथ इस समझौते के लिए कांग्रेस की पूर्व की सरकार की आलोचना की.
भारत द्वारा श्रीलंका को दिए गए कच्चातिवु द्वीप को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की बेतुकी टिप्पणी चर्चा में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय ने पूछा कि क्या उस द्वीप पर कोई रहता भी है? देखें वीडियो.
Kachchatheevu island Row: PM मोदी के बयान पर दी गई प्रतिक्रिया में राजगढ़ से कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने कहा, "क्या उस द्वीप पर कोई रहता है? मैं पूछना चाहता हूं..."
कच्चातिवु द्वीप को लेकर भारत में छिड़ी सियासी जंग को लेकर श्रीलंका के मत्सयपालन मंत्री डगलस देवानंद ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. श्रीलंकाई मंत्री ने जाफना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि'कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका से वापस लेने के भारत के बयानों का कोई आधार नहीं है.
कच्चातिवु का मुद्दे पर एमडीएमके के संस्थापक वाइको की राय INDI अलायंस अलग नजर आ रही है. उन्होंने कच्चातिवु के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि उस वक्त कांग्रेस ने हर मोर्चे पर तमिलनाडु को धोखा दिया था.
श्रीलंका के मंत्री डगलस देवानंद ने कहा है कि कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका के कब्जे से वापस लेने के बयानों का कोई आधार नहीं है. श्रीलंकाई मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कच्चातिवु द्वीप को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस और डीएमके पर निशाना साधा है.
विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर प्रसाद के बाद गुरुवार को एमईए प्रवक्ता ने कच्चातिवु द्वीप से जुड़े सवाल पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. उन्होंने कई सवालों का जवाब देते हुए कहा कि इस विषय पर विदेश मंत्री ने दिल्ली में और गुजरात में भी प्रेस से बात की है. उन्होंने इस विषय को स्पष्ट किया है. मैं कहूंगा कि आप कृपया उनकी प्रेस वार्ताओं पर नजर डालें.
"कांग्रेस ने जानबूझकर कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया था." पीएम मोदी के इस पोस्ट के बाद सियासत तेज हो गई. इस वीडियो में हम आपको बता रहे हैं क्या है पूरा विवाद और इसका इतिहास. देखें वीडियो.
श्रीलंका में भारत के राजदूत रहे अशोक कांथा का कहना है कि कोई भी समझौता एकतरफा नहीं होता है. आपको सब कुछ नहीं मिलेगा. समझौते के तहत कुछ देना होता है और कुछ लेना होता है. इस संधि की मदद से श्रीलंका के साथ समुद्री सीमा विवाद के साथ-साथ अन्य विवादों को भी सुलझाया गया.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन का ये बयान पीएम मोदी के कच्चातिवु को लेकर दिए उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने इस द्वीप को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि नए तथ्यों से पता चला है कि कांग्रेस की इंदिरा गांधी सरकार ने जानबूझकर कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को दे दिया था.
कच्चातिवु द्वीप मुद्दे को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कांग्रेस और डीएमके पर निशाना साधा है. भारत के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री की टिप्पणी के बावजूद श्रीलंकाई सरकार ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है. लेकिन वहां की मीडिया ने इस मामले पर आलोचनात्मक रुख अपनाते हुए भारत पर निशाना साधा है.
कच्चातिवु द्वीप को लेकर भारत में राजनीतिक विवाद छिड़ा हुआ है. इसी बीच श्रीलंका के कैबिनेट मंत्री ने एक बड़ा बयान दिया है. देखिए क्या कहा...