कालाष्टमी
कालाष्टमी (Kalashtami) यानी भैरव अष्टमी (Bhairav Ashtami), एक हिंदुओं के लिए पवित्र दिन है जिसमें भैरव की पूजा की जाती है. भैरव भगवान शिव का ही एक रूप है. यह कार्तिक महीने के अष्टमी को मनाया जाता है. भैरव अष्टमी नवंबर-दिसंबर-जनवरी में एक ही दिन आती है. भैरव को दंडपाणि भी कहा जाता है. वह एक कुत्ते की सवारी करते है जिसे स्वस्वा के नाम से भी जाना जाता है (Kalashtami Puja date).
यदि भैरव अष्टमी रविवार या मंगलवार को पड़ती है, तो उस दिन को पवित्र माना जाता है. सफलता, धन, स्वास्थ्य और बाधाओं को दूर करने के लिए भैरव की विशेष रूप से पूजा की जाती है. माना जाता है कि भैरव अष्टमी के पालन से एक भक्त पाप और मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है (Kalashtami Rituals).
भारत में कई स्थानों पर भैरव मंदिर है, जहां इस दिन खास पूजा अर्चना की जाती है (Kalashtami Bhairav Temple). कश्मीर में कालाष्टमी, वैष्णो देवी पहाड़ियों में भैरव प्रसाद मंदिर में मनाई जाती है. इस दिन, काल-भैरव की एक छवि सोने या चांदी में बनाई जाती है और पानी से भरे पीतल के धातु के बर्तन में विसर्जित की जाती है और सभी शास्त्रों की पूजा के साथ शिव की पूजा की जाती है. फिर, पूजा करने वाले पुजारियों को दान दिया जाता हैं (Kalashtami in Kahsmir). इसी तरह वाराणसी में, अष्ट भैरव को समर्पित आठ मंदिरों की आठ दिवसीय तीर्थयात्रा निकाली जाती है भव्य रूप से पूजा की जाती है (Kalashtami in Varanasi).
Kalashtami 2024: कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है. इस दिन काल भैरव की पूजा करने और व्रत रखने से जीवन से सारी परेशानियां दूर होती हैं, हर प्रकार के भय से छुटकारा मिलता है और सुख-साधनों में बढ़ोतरी होती है.
कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है. इस दिन काल भैरव की पूजा करने और व्रत रखने से जीवन से सारी परेशानियां दूर होती हैं, हर प्रकार के भय से छुटकारा मिलता है और सुख-साधनों में बढ़ोतरी होती है.
Kalashtami 2023: कालभैरव भगवान शिव के ही अवतार माने जाते हैं, इसलिए भगवान शिव के प्रिय सावन मास में इनके व्रत का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. कहा जाता है कि इस दिन जो भी भक्त कालभैरव की पूजा करता है वो नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है. इस बार कालाष्टमी का व्रत 5 दिसंबर यानी आज रखा जा रहा है.
Kalashtami 2023: 6 अक्टूबर यानी आज के दिन कालाष्टमी मनाई जा रही है. कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है. जो भी भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. कई जगहों पर आज के दिन मां दुर्गा की पूजा भी जाती है. काल भैरव को रक्षक क्षेत्रपाल के नाम से भी जाना जाता है.
Kalashtami 2023: कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति कालाष्टमी की पूजा करता है उसे भैरव बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन की पूजा में श्री भैरव चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए. अधिकमास की कालाष्टमी 8 अगस्त यानी आज मनाई जा रही है.
Kalashtami 2023: सावन के महीने में मनाया जाने वाला कालाष्टमी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो भगवान शिव के उग्र रूप भगवान काल भैरव को समर्पित है. रविवार या मंगलवार को मनाया जाने वाला यह दिन विशेष महत्व रखता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान काल भैरव समय के रक्षक और बुरी ऊर्जा और आत्माओं को दूर करने वाले हैं.
कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के भैरव स्वरूप की उपासना की जाती है. इस दिन काल भैरव की पूजा करने और व्रत रखने से जीवन से सारी परेशानियां दूर होती हैं, हर प्रकार के भय से छुटकारा मिलता है और सुख-साधनों में बढ़ोतरी होती है.
Kalashtami 2023 Date: कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के स्वरूप काल भैरव की पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन काल भैरव के साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती है. कालभैरव भगवान शिव के रौद्र रूप कहलाते हैं.
हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. इस दिन शिव शंकर के रुद्र स्वरूप भगवान काल भैरव की पूजा और उपवास करने का विधान है. भगवान काल भैरव की पूजा से भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय.
Kalashtami 2022: पौष माह की कालाष्टमी 16 दिसंबर 2022, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन काल भैरव की उपासना के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. कालाष्टमी की पूजा रात को की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति कालाष्टमी की पूजा करता है, उसे भैरव बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है.