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कल्कि जयंती

कल्कि जयंती

कल्कि जयंती

कल्कि जयंती एक हिंदू त्यौहार है. माना जाता है कि कल्कि भगवान विष्णु के अंतिम अवतार होंगे. वे कलियुग के अंत में बुराइयों को मिटाने, असुरों का वध करने और धर्म को बहाल करने के लिए पैदा होंगे. और फिर सत्य युग की शरुआत होगी. कल्कि का जन्म समारोह पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह चंद्रमा के बढ़ते चरण का बारहवां दिन होता है. इस साल कल्कि जयंति 10 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा (Kalki Jayanti 2024).

इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठते हैं और सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं. पूजा और उपासना बीजमंत्र से शुरू होता है. जाप के बाद, कल्कि को आसन अर्पित किया जाता है. फिर मूर्ति को फूल, दीया और धूप के साथ अभिषेक के रूप में पंचामृत से धोया जाता है. इस दौरान हरि स्तोत्र, विष्णु सहस्रनाम, ओम नमो भगवते वासुदेवाय और अन्य मंत्रों का 108 बार पाठ किया जाता है. इसके बाद उपासक दान करते हैं.

पुराणों में कहा गया है कि कल्कि का जन्म शम्बाला गांव में एक ब्राह्मण परिवार में होगा, जिनके माता-पिता का नाम विष्णुयशा और सुमति होगा. यह घटना कलियुग के अंत के करीब शुरू होगी है. जिसमें वर्णित है कि जब कल्कि बड़े हो जाएंगे और एक प्रशिक्षित योद्धा बन जाएंगे, तो वह एक धधकती तलवार के साथ देवदत्त नामक एक दिव्य सफेद घोड़े पर सवार होंगे. उनके साथ एक बोलने वाला तोता शुक होगा. तोता भूत, वर्तमान और भविष्य सब कुछ जानता होगा. फिर वह दुनिया भर में दुष्टों से लड़ने के लिए जाता है. जो एक राक्षस है जिसके पास प्राणियों को नियंत्रित करने और उन्हें अधर्म करने के लिए एक योगी की शक्तियां हैं. फिर वह धर्म को बहाल करता है और अपने राज्य में लौटता है और अंत में वैकुंठ लौटता है (Kalki in Future).

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