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काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी

काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है. यह भारत में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) के विश्वनाथ गली में स्थित है. यह मंदिर पवित्र गंगा नदी (Holy River Ganga) के पश्चिमी तट पर स्थित है, और बारह ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlingas) में से एक है. यहां श्री विश्वनाथ की पूजा होती है, जिसका शाब्दिक अर्थ ब्रह्मांड का भगवान है. प्राचीन काल में वाराणसी को काशी कहा जाता था, और इसलिए मंदिर को लोकप्रिय रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है. 13 दिसंबर 2021 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा भव्य श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर (Shri Kashi Vishwanath Dham Corridor) का उद्घाटन किया गया. 1983 से, मंदिर का प्रबंधन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है.

मंदिर परिसर में छोटे मंदिरों की एक श्रृंखला है. मंदिर में विश्वनाथ भगवान के रूप में 60 सेंटीमीटर लंबा एक गहरे भूरे रंग का ज्योतिर्लिंग 90 सेंटीमीटर परिधि में एक चांदी की वेदी पर स्थापित है. मुख्य मंदिर चतुर्भुज है और अन्य देवताओं के मंदिरों से घिरा हुआ है. परिसर में काल भैरव, कार्तिकेय, अविमुक्तेश्वर, विष्णु, गणेश, शनि, शिव और पार्वती ( Kala Bhairava, Kartikeya, Avimukteshwara,  Vishnu, Ganesha, Shani, Shiva and Parvati) के भी मंदिर हैं. 

मंदिर में एक छोटा कुआं है जिसे ज्ञान वापी (Jnana Vapi also spelled as Gyan Vapi The Wisdom Well) कहा जाता है. यह मुख्य मंदिर के उत्तर में स्थित है और मुगलों द्वारा आक्रमण के दौरान ज्योतिर्लिंग को आक्रमण के समय इसकी रक्षा के लिए इसी कुएं में छिपा दिया गया था.

काशी विश्वनाथ मंदिर में हर दिन लगभग 3,000 श्रद्धालु आते हैं. कुछ अवसरों पर यह संख्या 1,00,000 या उससे अधिक तक पहुंच जाती है. मंदिर का 15.5 मीटर ऊंचा सोने का शिखर है जो 1835 में महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) द्वारा दान किए गए शुद्ध सोने से बने हैं.

काशी विश्वनाथ मंदिर के पास गंगा के तट पर मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) को शक्ति पीठ के रूप में माना जाता है, जो शक्तिवाद संप्रदाय के लिए पूजनीय स्थान है. 

आदि शंकराचार्य (Adi Sankaracharya), रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna Paramhansa), स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda), गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas), स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayananda Saraswati), सत्य साईं बाबा (Sathya Sai Baba), योगीजी महाराज (Yogiji Maharaj) और गुरुनानक (Gurunanak) सहित कई प्रमुख संतों ने यहां का दौरा किया है. मंदिर की यात्रा और गंगा नदी में स्नान को मोक्ष दिलाने वाला माना गया है. लिहाजा, दुनिया भर के हिंदू अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस जगह की यात्रा करने की कोशिश करते हैं.
 

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