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कोणार्क मंदिर

कोणार्क मंदिर

कोणार्क मंदिर

कोणार्क सूर्य मंदिर

कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple), पुरी (Puri) शहर से लगभग 35 किलोमीटर उत्तर पूर्व में भारत के ओडिशा जिले (Odisha, India) के समुद्र तट पर स्थित है. इस  इस मंदिर का श्रेय लगभग 1250 ईस्वी पूर्व गंगा वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम को दिया जाता है (King Narasimhadeva I).

यह मंदिर एक 100 फीट ऊंचे रथ सा प्रतीत होता है, जिसमें विशाल पहिये और घोड़े उकेरे हुए हैं. यह मंदिर जटिल कलाकृति, प्रतिमा और विषयों के लिए प्रसिद्ध हैं. इसे सूर्य देवालय भी कहा जाता है, यह ओडिशा शैली की वास्तुकला और कलिंग वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है (Konark Sun Temple Structure). 

1676 में यूरोपीय नाविकों के खातों में इस मंदिर को "ब्लैक पैगोडा" कहा जाता था क्योंकि यह एक बड़े टीयर टॉवर की तरह दिखता था जो काला दिखाई देता है. इसी तरह, पुरी में जगन्नाथ मंदिर को "श्वेत शिवालय" कहा जाता था. दोनों मंदिरों ने बंगाल की खाड़ी में नाविकों के लिए महत्वपूर्ण स्थलों के रूप में कार्य किया (Konark Sun Temple History). कोणार्क सूर्य मंदिर को 1984 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया (Konark Sun Temple UNESCO world heritage). यह हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. यहां हर साल फरवरी के महीने में चंद्रभागा मेला का आयोजन होता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं (Konark Sun Temple pilgrimage).

भारतीय सांस्कृतिक विरासत के लिए इस मंदिर के महत्व को दर्शाने के लिए भारतीय 10 रुपये के नोट के पीछे कोणार्क सूर्य मंदिर को दर्शाया गया है (Konark Sun Temple is depicted on 10 rupee Indian Note).
 

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