लद्दाख (Ladakh) भारत के उत्तरी भाग में स्थित एक केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) है. यह पश्चिम में जम्मू-कश्मीर और दक्षिण में हिमाचल प्रदेश से घिरा है. इसकी पूर्वी और उत्तरी सीमाएं चीन और पाकिस्तान के साथ जुड़ा हुआ है.
लद्दाख 1947 से 2019 तक जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा था. 31 अक्टूबर 2019 को, जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के पारित होने के बाद इसे एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया.
यह क्षेत्र काराकोरम (Karakoram) रेंज में सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) से उत्तर और दक्षिण में हिमालय (Himalayas ) तक फैला हुआ है. लद्दाख दो जिलों में विभाजित (Disctricts of Ladakh) है - लेह (Leh) और कारगिल (Kargil). लद्दाख का एकमात्र हवाई अड्डा लेह में है जिसका नाम कुशोक बकुला रिम्पोची हवाई अड्डा है (Kushok Bakula Rimpochee Airport.) .
लद्दाख की जलवायु बहुत ठंडी और शुष्क है और यहां ठंड के मौसम में बर्फबारी होती है (Weather). लद्दाख में मुख्य रूप से दो भाषाए बोली जाती हैं - लेह जिले में बौती (एक तिब्बती भाषा) और कारगिल जिले में पुरखी. हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी भी बोली जाती हैं (Language of Ladakh).
लद्दाख के लिए, पर्यटन राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. लेह पैलेस लद्दाख के प्रमुख ऐतिहासिक आकर्षणों में से एक है. इस क्षेत्र में कई मठ, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल जो लोगों को आकर्षित करते हैं. इसके अलावा, इसमें गर्म खनिज झरने, पैंगोंग और जांस्कर (Pangong and Zanskar) जैसी झीलें, खारदुंग ला दर्रा (Khardung La pass) और कई अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थान हैं जो लद्दाख को खास बनाती है (Tourist Places of Ladakh).
जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में इस साल सामान्य से कम बर्फबारी हुई है, जिसकी वजह से विंटर स्पोर्ट्स और स्नो स्कीइंग पर बुरा असर पड़ा है. यही कारण है कि दुनिया के दूसरे ठंडे इलाके द्रास को विंटर गेम्स के लिए नई डेस्टिनेशन के तौर पर तैयार किया जा रहा है. देखें पूरी रिपोर्ट.
इतिहास में पहली बार जनवरी माह में श्रीनगर-कारगिल हाईवे खुला है. वहीं, जोजिला टनल के बनने से लद्दाख क्षेत्र में हर मौसम में कनेक्टिविटी मिलेगी. इससे आम लोगों को तो फायदा होगा ही साथ में चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात जवानों को भी सुविधा मिलेगी. देखें पूरी खबर.
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर 21 अक्टूबर 2024 को एक एग्रीमेंट हुआ था. यह एग्रीमेंट 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव को कम करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम था.
लद्दाख के हेडक्वार्टर लेह से लगभग दो सौ किलोमीटर दूर कई गांव हैं, जहां ब्रोकपा समुदाय के लोग रहते हैं. इनके बारे में माना जाता है कि ये दुनिया के आखिरी आर्य हैं. ये दावा जितना विवादित है, उससे भी ज्यादा चर्चा एक और बात पर है. कहा जा रहा है कि शुद्ध नस्ल की संतानों के लिए यहां यूरोपियन महिलाएं आ रही हैं.
पिछले कुछ महीनों में हुए घटनाक्रमों ने ये उम्मीद जताई थी कि अब शायद भारत-चीन के रिश्तों में हर मोर्चे पर सुधार आ सकता है. लेकिन चीन ने एक बार फिर इन उम्मीदों को झटका दिया है और फिर से दोनों देशों के रिश्ते आरोपों, बयानबाजियों और तल्खियों में उलझ रहे हैं.
भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने इस पहल का नेतृत्व किया और टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर इन दुर्गम क्षेत्रों में मोबाइल टॉवर स्थापित किए. शून्य से नीचे तापमान जैसे कठोर हालात का सामना करते हुए पिछले 5 महीनों में 42 एयरटेल 4G टॉवर सफलतापूर्वक स्थापित किए गए.
जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और गिलगित-बाल्टिस्तान-मुजफ्फराबाद में 31 दिसंबर तक ठंड का कड़ा प्रकोप जारी रहेगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी मध्य प्रदेश में 1 जनवरी तक शीतलहर के आसार हैं। राजधानी दिल्ली में घने कोहरे की संभावना बन रही है, जिससे दैनिक जीवन प्रभावित हो सकता है। इन इलाकों के लोगों को सावधानी बरतने और ठंड से बचाव के उपाय करने की सलाह दी गई है। अचानक बढ़ी ठंड से जनजीवन पर असर हो सकता है।
अब से कुछ दिन पहले यानी 26 दिसंबर को, 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग त्सो झील के किनारे श्री छत्रपति शिवाजी महाराज की एक भव्य प्रतिमा का पैंगॉन्ग में उद्घाटन किया गया. उनकी प्रतिमा का उद्घाटन फायर एंड फ्यूरी कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग और मराठा लाइट इन्फेंट्री के कर्नल, लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला की मौजूदगी में किया गया.
लद्दाख में पैंगोंग झील के किनारे 26 दिसंबर को भारतीय सेना ने 14,300 फीट की ऊंचाई पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया. यह प्रतिष्ठान मराठा योद्धा को श्रद्धांजलि और भारत की मजबूत सीमा-सुरक्षा का प्रतीक है. यह कदम भारत-चीन संबंधों के बीच बढ़ती सतर्कता और बुनियादी ढांचे के विकास को दर्शाता है.
इंडिया टुडे/आजतक की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम द्वारा हाई रेज्योलूशन सैटेलाइट तस्वीरों में सैनिकों की वापसी के संकेत साफ दिखाई देते हैं, लेकिन चीन की ओर से तनाव कम करने का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता है. चीन पैंगोंग लेक के उत्तरी तट के पास विवादित क्षेत्रों में अपने सैन्य और दोहरे इस्तेमाल के लिए बुनियादी ढांचे बना रहा है
सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर ने बताया कि लद्दाख में 12,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर कंपकंपा देने वाले तापमान में फायर एंड फ्यूरी सैपर्स प्लांट संचालकों के साथ कॉम्बैट इंजीनियरिंग ऑपरेशन पर एकीकृत ट्रेनिंग ले रहे हैं. हाई-एल्टीट्यूड पर प्रशिक्षण परिचालन तत्परता, विश्वसनीयता और आत्मविश्वास को प्रदर्शित करता है.
1971 की जंग में पाकिस्तान के हारने के बाद जनरल नियाजी के सरेंडर की आइकोनिक तस्वीर को नई जगह मिल गई है. इस तस्वीर को मानेकशॉ सेंटर में शिफ्ट किया गया है. उसकी जगह नई पेंटिंग आई है, जिसमें पैंगॉन्ग त्सो दिख रहा है. यानी अब भारत का स्ट्रैटेजिक फोकस उत्तर की तरफ है. यानी चीन के लिए तैयारी.
हिमालय पर जहां ऑक्सीजन कम होता है, वहां हमारे सैनिकों की इच्छाशक्ति चोटियों से भी ऊंची होती है. इंडियन आर्मी के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने LAC के करीब अपनी फायरपावर का प्रदर्शन किया. एक्सरसाइज हिमशक्ति में सेना ने दिखाया कि कैसे वो हिमालय के ऊपर बैठे दुश्मनों को दिन या रात में खत्म कर सकते हैं.
भारतीय सेना लद्दाख और सीमा से सटे ऊंचे इलाकों में पेट्रोलिंग और निगरानी के लिए ऑल टरेन व्हीकल्स (ATV) का इस्तेमाल कर रही है. ये गाड़ियां बेहद खास हैं. इनसे पेट्रोलिंग का एक खास वीडियो सेना के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने अपने X हैंडल पर शेयर किया है. आइए जानते हैं सेना की क्या तैयारी है?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को चीन के साथ सीमा विवाद पर बातचीत में हुई प्रगति को लेकर संसद में बयान दिया. विदेश मंत्री ने कहा कि चीन से बातचीत जारी है. एलएसी पर हालात सामान्य हैं लेकिन हमारी सेना मुस्तैद है.
4जी टावरों के लगाए जाने से न केवल स्थानीय निवासियों के लिए संचार व्यवस्था में क्रांति आएगी, बल्कि सामरिक संपर्क को भी मजबूत किया जाएगा. आपातकालीन सेवाओं और राहत कार्यों में भी यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
भारत और चीन ने अक्टूबर में संघर्ष वाले इलाकों से सैनिकों की वापसी पर सहमति बनने के बाद नवंबर की शुरुआत में क्षेत्र में पहली कोऑर्डिनेशन पेट्रोलिंग की. रक्षा सूत्रों के मुताबिक प्रत्येक क्षेत्र (डेमचोक और देपसांग) में एक बार भारतीय सैनिकों द्वारा और एक बार चीनी सैनिकों द्वारा गश्त की जाएगी.
चीन के साथ पेट्रोलिंग समझौते के बीच भारतीय सेना 17, 800 फीट की ऊंचाई पर एलएसी पर पांचवें साल भी भयंकर ठंड के बीच सरहद की सुरक्षा के लिए तैयार है. उनकी मुस्तैदी और चट्टानी इरादों का वीडियो फायर एंड फ्यूरी कोर ने जारी किया है. जिसमें जवान एयर डिफेंस गन ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. देखें रणभूमि.
लद्दाख स्थित भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 17,800 फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेना के हौंसले और जज्बे की तस्वीर आई हैं. जिसमें ये देखा जा सकता है कि कैसे भारतीय सेना ने 17,800 फीट की खड़ी चढा़ई पर तकरीबन 12000 kg की एंटीक्राफ्ट गन को महज रस्सों के जरिये खींचकर तैनात कर दिया. फायर एंड फ्यूरी कोर के माध्यम से इन तस्वीरों को जारी किया है.
भारतीय सेना ने सोमवार से देपसांग के मैदानों में गश्त फिर से शुरू कर दी है. सेना की गश्त के बारे में जानकारी देते हुए फायर एंड फ्यूरी कोर ने बताया कि देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी और गश्त फिर से शुरू करने के लिए भारतीय और चीनी पक्ष के बीच बनी सहमति के बाद, भारतीय सेना ने आज देपसांग में गश्त प्वाइंट में से एक पर गश्त सफलतापूर्वक आयोजित की.
भारत और चीन ने डेमचोक और देपसांग के इलाकों में गतिरोध को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. अब जानकारी आ रही है कि दोनों देशों के अधिकारियों के बीच पूर्वी लद्दाख में बफर जोन को लेकर वार्ता चल रही है. इस वार्ता का केंद्र महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बफर जोन समेत एलएसी पर टकराव वाले पॉइंट हैं.