लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी (Lakshmi Narayan Tripathi) भारत की एक प्रमुख ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वह लेखक और डांसर भी हैं. वह देश की पहली ट्रांसजेंडर व्यक्ति हैं जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए लंबा संघर्ष किया है और समाज में उनके लिए सम्मानजनक स्थान बनाने के लिए काम किया है.
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का जन्म 13 दिसंबर 1978 को महाराष्ट्र के ठाणे में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. जन्म से पुरुष शरीर में पैदा होने के बावजूद, उन्होंने अपने आपको हमेशा स्त्री के रूप में महसूस किया. बचपन से ही उन्हें समाज की अनेक प्रकार की रूढ़ियों और भेदभाव का सामना करना पड़ा. उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से भरतनाट्यम में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की और एक पेशेवर नर्तकी भी बनीं.
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी भारत में LGBTQ+ समुदाय की एक प्रमुख नेता रही हैं. उन्होंने "एशिया पैसिफिक ट्रांसजेंडर नेटवर्क" और "सालसा" (South Asian Lesbian and Gay Association) जैसी कई संस्थाओं के साथ मिलकर ट्रांसजेंडर अधिकारों की वकालत की.
2014 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने "नालसा बनाम भारत सरकार" मामले में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को कानूनी रूप से "थर्ड जेंडर" का दर्जा दिया, जो कि LGBTQ+ अधिकारों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय था.
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने राजनीति में भी कदम रखा और 2017 में उन्होंने किन्नर अखाड़ा की स्थापना की, जो भारत का पहला ट्रांसजेंडर अखाड़ा है. यह ट्रांसजेंडर समुदाय को आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास करता है. 2019 के कुंभ मेले में, उन्होंने अखाड़े का नेतृत्व किया और देशभर में पहचान बनाई.
लक्ष्मी ने अपनी आत्मकथा "Me Hijra, Me Laxmi" लिखी, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों और उपलब्धियों का वर्णन किया है. इसके अलावा, उन्होंने कई टीवी शो, समाचार चैनलों और टेड टॉक्स में भी भाग लिया, जिससे उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद की.
उन्होंने 'बिग बॉस' जैसे लोकप्रिय रियलिटी शो में भी भाग लिया, जिससे वे भारत के हर घर में पहचानी जाने लगीं.