लेक्स फ्रीडमैन (Lex Fridman) एक कंप्यूटर वैज्ञानिक, पॉडकास्ट होस्ट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) शोधकर्ता हैं. वे MIT (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में शोधकर्ता के रूप में काम कर चुके हैं. उनके मुख्य अनुसंधान क्षेत्र रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग और स्वायत्त वाहनों से जुड़े हैं.
लेक्स फ्रीडमैन का पॉडकास्ट The Lex Fridman Podcast दुनिया भर में प्रसिद्ध है. इसमें वे विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, दार्शनिकों, लेखकों और टेक्नोलॉजी लीडर्स का साक्षात्कार लेते हैं. उनके शो में एलन मस्क, जोर्डन पीटरसन, नोम चॉम्स्की, सैम हैरिस, जो रोगन और पीएम मोदी (PM Modi) जैसे कई प्रसिद्ध लोग शामिल हो चुके हैं.
उनके पॉडकास्ट की खासियत यह है कि वे गहरी और विस्तृत बातचीत करते हैं, जिसमें विज्ञान, तकनीक, दर्शन, मनोविज्ञान और मानवता के गहरे मुद्दों पर चर्चा होती है.
लेक्स फ्रीडमैन का जन्म 15 अगस्त 1986 को सोवियत संघ (अब रूस) में हुआ था. वे बाद में अमेरिका चले गए और पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में स्नातक और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. उनकी पढ़ाई और शोध का मुख्य फोकस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीप लर्निंग तकनीकों पर रहा है.
लेक्स ने MIT में Self-driving cars और रोबोटिक्स से संबंधित शोध किए. वे मानव-रोबोट इंटरेक्शन और AI एथिक्स पर भी कार्य कर चुके हैं. उनका शोध इस बात पर केंद्रित रहा है कि मशीनें इंसानों के साथ अधिक प्रभावी और नैतिक तरीके से कैसे बातचीत कर सकती हैं.
पाकिस्तान को लेकर मोदी का कहना है कि वो नहीं सुधरने वाला है, लेकिन चीन के साथ पुराना रिश्ता बहाल हो सकता है, और लगता है जैसे लेक्स फ्रीडमैन के पॉडकास्ट में पूछ रहे हों - ट्रंप जैसा कोई है क्या?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के मशहूर पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन (Lex Fridman) के साथ बातचीत की. पीएम मोदी ने AI (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) पर भी अपने विचार रखे. देखें VIDEO
लेक्स फ्रिडमैन से चर्चा की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि मेरी ताकत मोदी नहीं 140 करोड़ देशवासी, हजारों साल की महान संस्कृति मेरा सामर्थ्य है. मैं जहां भी जाता हूं, मोदी नहीं जाता है, हजारों साल की वेद से विवेकानंद की महान परंपरा को 140 करोड़ लोगों, उनके सपनों को लेकर, उनकी आकांक्षाओं को लेकर निकलता हूं. इसलिए मैं दुनिया के किसी नेता को हाथ मिलाता हूं तो मोदी हाथ नहीं मिलाता बल्कि 140 करोड़ लोगों का हाथ होता है. तो सामर्थ्य मोदी का नहीं भारत का है.