लीबिया
लीबिया (Libya) आधिकारिक तौर पर उत्तरी अफ्रीका (North Africa) में माघरेब क्षेत्र का एक देश है. इसकी सीमा उत्तर में भूमध्य सागर, पूर्व में मिस्र, दक्षिण-पूर्व में सूडान, दक्षिण में चाड, दक्षिण-पश्चिम में नाइजर, पश्चिम में अल्जीरिया और उत्तर-पश्चिम में ट्यूनीशिया से लगती है. लीबिया तीन ऐतिहासिक क्षेत्रों से बना है- त्रिपोलिटानिया, फेजान और साइरेनिका (Libya Geographical Location).
लगभग 1.8 मिलियन वर्ग किमी के क्षेत्रफल के साथ (Libya Total Area), यह अफ्रीका और अरब दुनिया में चौथा सबसे बड़ा देश है और दुनिया में 16वां सबसे बड़ा देश है. लीबिया में दुनिया का 10वां सबसे बड़ा प्रमाणित तेल भंडार है (Libya, 10th Largest Oil Reserve). इसकी राजधानी त्रिपोली है जो सबसे बड़ा शहर भी है (Libya Capital). यह पश्चिमी लीबिया में स्थित है. लीबिया की जनसंख्या लगभग 7 मिलियन है (Libya Population).
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, लीबिया उत्तरी अफ्रीकी अभियान में युद्ध का एक क्षेत्र था. इतालवी आबादी तब गिरावट में चली गई. 1951 में लीबिया एक राज्य के रूप में स्वतंत्र हो गया. 1969 में एक रक्तहीन सैन्य तख्तापलट, कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के नेतृत्व में एक गठबंधन द्वारा शुरू किया गया, जिसने राजा इदरीस को उखाड़ फेंका और एक गणतंत्र बनाया. गद्दाफी को अक्सर आलोचकों ने एक तानाशाह के रूप में वर्णित किया था. वह दुनिया के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले गैर-शाही नेताओं में से एक था, जिसने 42 वर्षों तक शासन किया (Libya, WWII).
वह 2011 के लीबिया के गृहयुद्ध में मारे गए थे, जिसके बाद प्राधिकरण को राष्ट्रीय संक्रमणकालीन परिषद में स्थानांतरित कर दिया गया और फिर निर्वाचित जनरल नेशनल कांग्रेस में स्थानांतरित कर दिया गया. 2014 तक दो प्रतिद्वंद्वी अधिकारियों ने लीबिया पर शासन करने का दावा किया, जिसके कारण दूसरा गृह युद्ध हुआ. लीबिया के कुछ हिस्से टोब्रुक और त्रिपोली-आधारित सरकारों के साथ-साथ विभिन्न आदिवासी और इस्लामी मिलिशिया के बीच विभाजित हो गए. दो मुख्य युद्धरत पक्षों ने 2020 में एक स्थायी युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए और एक एकता सरकार ने लोकतांत्रिक चुनावों की योजना बनाने का अधिकार लिया, हालांकि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता इसमें देरी करते रहे (Libya History). यहां यूनिटरी सरकार है (Libya, Unitary Government) जिसमें मोहम्मद अल-मेनफी राष्ट्रपति परिषद के अध्यक्ष, मूसा अल-कोनीक राष्ट्रपति परिषद के उपाध्यक्ष, अगुइला सालेह इस्सा प्रतिनिधि सभा के स्पीकर और अब्दुल हमीद दबीबेह प्रधानमंत्री हैं (Libya Prime Minister).
लीबिया संयुक्त राष्ट्र (Libya Member of UN), गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Libya Member of NAM), अफ्रीकी संघ (Libya Member of African Union), अरब लीग (Libya Member of Arab League), ओआईसी और ओपेक का सदस्य है (Libya Member of OIC and OPEC). देश का आधिकारिक धर्म इस्लाम है (Libya Religion), जिसमें 96.6% लीबिया की आबादी सुन्नी मुसलमान (Sunni Muslman) है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, " लीबिया में भारतीय दूतावास ने बेनगाजी, लीबिया से 18 भारतीय नागरिकों की वापसी में मदद की है. उन्होंने बताया कि ये भारतीय नागरिक लीबिया में काम करने गए थे और कई हफ्तों से वहां फंसे हुए थे.
राजेश मणि ने बताया कि सभी युवक लगभग 1 साल पहले के गए हुए हैं. ये सभी अलग-अलग जिले के हैं लेकिन सभी का केस एक जैसा है क्योंकि सभी टूरिस्ट वीजा पर गए थे. किसी के पास भी वर्किंग वीजा नहीं था और सभी में यहां के स्थानीय एजेंट शामिल हैं.
बशर अल असद के देश छोड़ने के बाद सीरियाई प्रधानमंत्री ने विद्रोहियों को सत्ता सौंपने का प्रस्ताव दिया है. PM मोहम्मद गाजी अल जलाली ने एक वीडियो में कहा कि वो देश में ही रहेंगे और जिसे भी सीरिया के लोग चुनेंगे, उसके साथ मिलकर काम करेंगे.
Libya में मछली पकड़ने के लिए पानी में विस्फोट किया जाता है. इससे मछलियां मर जाती हैं. विस्फोट के लिए डायनामाइट, RDX या टीएनटी का इस्तेमाल किया जाता है. ये तीनों ही मिलिट्री ग्रेड के विस्फोटक है. इनके इस्तेमाल से समुद्री पर्यावरण को नुकसान हो रहा है.
अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि लीबिया के पास हुए नाव दुर्घटना में महिलाओं और बच्चों सहित 61 शरणार्थी डूब गए. ये सभी लोग नाइजीरिया, गाम्बिया और अन्य अफ्रीकी देशों से थे.
डर्ना शहर अब डरा रहा है. कोई पूरे परिवार में अकेला बचा है. तो किसी का पूरा मोहल्ला खत्म हो गया. आधे घंटे तक इस शहर की इमारतें दो मंजिले तक डूबी हुई थीं. अब बचा है तो सिर्फ कीचड़, टूटी इमारतें, मलबा, आधे-अधूरे सड़ते-गलते शव, अपनों के मिलने की कम होती उम्मीदें और आने वाली बीमारियों का डर.
लीबिया का डर्ना शहर. दो बांधों के टूटने से आई बाढ़. परमाणु बम जैसी तबाही. 11 हजार से ज्यादा लोगों के मरने की आशंका. 40 हजार से ज्यादा लोग अब भी लापता. हफ्ता भर हो चुका है, लाशें न जानें कहां-कहां मिल रही हैं. गाड़ियां घरों में घुस गई हैं. छतों पर चढ़ गई हैं. कई तो समंदर में बह गईं. नदी लापता हो चुकी है.
बांध टूटने से कितनी तबाही मच सकती है, इसका अंदाज़ा लीबिया के डर्ना शहर को देख कर हो जाता है. घरों में पानी और कीचड़ भर गया. मिट्टी और मलबे से शव निकलते जा रहे हैं.
लीबिया के डर्ना में तूफान डैनियल आया. इतना पानी बरसा की बांध टूट गया. सवा लाख की आबादी वाले डर्ना शहर से 40 हजार लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है. मरने वाले और ज्यादा भी हो सकते हैं. विदेशी मीडिया इसे नागासाकी में हुए परमाणु बम हमले जैसी घटना मान रहे हैं.
लीबिया के शहर डर्ना में भारी बारिश के कारण दो बांधों के टूटने के कारण आई भीषण बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 11,300 हो गई है. वहीं 10 हजार से अधिक लोग लापता हैं. इतने शवों के लिए लीबिया में बॉडी बैग्स की कमी पड़ गई है. इस बाढ़ ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. देखें वीडियो.
जहां बाढ़-तूफान कभी नहीं आया, वहां 5 हजार मौत- 10 हजार लोग लापता कैसे?
लीबिया में एक भयानक तूफान आया. उसकी वजह से जलजला. ऐसी तबाही इस देश ने पहले कभी नहीं देखी थी. न आशंका थी. 5300 लोगों के मारे जाने की खबर है. कहा जा रहा है कि 10 हजार लोग लापता है. ऐसा लगता है कि प्रकृति ने इंसानों के खिलाफ अपना रौद्र रूप दिखाया हो. देखिए तबाही की तस्वीरें...
लीबिया में भारी तूफान और सैलाब ने ने इस मुल्क को जैसे तबाह- बरबाद कर दिया है। शहर के शहर कुदरत के हमले की चपेट में आ गए हैं। लिबिया में प्रशासन का कहना है कि दो हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई है और हजारों लोग अब भी लापता है। डेरना शहर में सबसे ज्यादा कहर बरपा है।
इजरायल-लीबिया की गुप्त मीटिंग सार्वजनिक होने पर हंगामा.
इजरायल और लीबिया के संबंध बेहद खराब रहे हैं. दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की किसी भी कोशिश पर विवाद खड़ा होता रहा है. ऐसे में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की गुप्त बैठक के सार्वजनिक होने से हंगामा मच गया है. अमेरिका ने भी बैठक के सार्वजनिक होने पर कड़ा विरोध जताया है.
लीबिया में बंधक बनाए गए 17 भारतीय सोमवार को दिल्ली पहुंचे. 197 दिन बाद इन युवकों की घर वापसी हो पाई है. वतन वापसी के बाद इन भारतीयों ने आपबीती बताते हुए कहा कि उन्हें लीबिया की जेल में कैद किया गया था. वहां नर्क से भी बदतर जिंदगी थी. देखें वीडियो
अच्छी नौकरी की तलाश में लीबिया जाकर फंसे 17 भारतीयों की स्वदेश वापसी हो गई है. इन भारतीयों को ट्रैवल एजेंट ने इटली में नौकरी दिलाने का वादा किया था. लेकिन बाद में लीबिया ले जाकर छोड़ दिया. ये भारतीय वहां कैसे फंस गए? उनके साथ वहां क्या-क्या हुआ? और कैसे उन्हें वहां से छुड़ाया गया? जानते हैं...
हरियाणा में विदेश में अच्छी नौकरी के नाम पर लाखों रुपए की ठगी किए जाने का मामला सामने आया है. यहां एक ट्रैवल एजेंट ने एक दर्जन से ज्यादा लोगों के साथ ठगी की है. इन लोगों को लीबिया भेज दिया, जहां माफियाओं ने अगवा कर लिया. सभी को प्रताड़ित किया गया. इनमें एक युवक की मौत हो गई. लीबिया में करीब 17 लोग फंसे हैं और शरणार्थी शिविर में रुके हैं.
ये सभी नाविक कैमरून के माया -1 शिप पर चालक दल का हिस्सा थे. ये जहाज ग्रीक कंपनी मैसर्स रेडविंग्स शिपिंग एसए का था और लीबिया के जांजौर क्षेत्र के पास जमींदोज हो गया था. घटना के बाद, ज़ाविया शहर में अल माया पोर्ट के पास स्थित एक स्थानीय सशस्त्र समूह अज़ ज़ाविया ने चालक दल को हिरासत में ले लिया था.