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लंपी वायरस

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लंपी वायरस (Lumpy Virus) यानी गांठदार त्वचा रोग (Lumpy skin disease) (LSD) मवेशियों में होने वाला एक संक्रामक रोग है. यह पॉक्सविरिडे फैमिली के एक वायरस के कारण होता है. इसे नीथलिंग वायरस भी कहा जाता है. यह रोग त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली पर बुखार, लिम्फ नोड्स और कई नोड्यूल के रूप में हो सकता है (Lumpy Virus Symptoms).

संक्रमित मवेशी भी अपने अंगों में सूजन विकसित हो सकता है. साथ ही उनको चलने में परेशानी हो सकती है. यानी उनमें लंगड़ापन आ सकता है. वायरस के से प्रभावित जानवरों की त्वचा को स्थायी नुकसान होता है. इस रोग के कारण मवेशियों में दुर्बलता, कम दूध उत्पादन, खराब विकास, बांझपन, गर्भपात और कभी-कभी मृत्यु का कारण भी हो सकता है (Lumpy Virus Cause).

इसमें बुखार की शुरुआत वायरस से संक्रमण के लगभग एक सप्ताह बाद होती है. यह प्रारंभिक बुखार 41 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है और एक सप्ताह तक बना रह सकता है. इस समय, सभी सतही लिम्फ नोड्स बढ़े हुए रहते हैं. नोड्यूल्स, वायरस के टीकाकरण के सात से उन्नीस दिनों के बाद दिखाई देते हैं. नोड्यूल्स की उपस्थिति के साथ, आंखों और नाक से स्राव म्यूकोप्यूरुलेंट हो जाता है (LSD).

अधिकांश मवेशी संक्रमण से उबरने के बाद इम्यूनिटी विकसित करते हैं. इसके अतिरिक्त, गायों के बछड़े उनसे एंटीबॉडी प्राप्त करते हैं और लगभग 6 महीने की उम्र तक नैदानिक ​​रोग के लिए प्रतिरोधी होते हैं, उन्हें बाहर से टीका नहीं लगाया जाना चाहिए. दूसरी ओर, अतिसंवेदनशील गायों से पैदा हुए बछड़े भी अतिसंवेदनशील होते हैं और उन्हें टीका लगाया जाना चाहिए (Lumpy Virus Immunity).

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