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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट

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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) मध्य प्रदेश राज्य का उच्च न्यायालय है जो जबलपुर में स्थित है (Madhya Pradesh High Court Principal Bench). इसकी स्थापना 2 जनवरी 1936 को भारत सरकार अधिनियम, 1935 की धारा 108 के तहत जारी पत्र पेटेंट से की गई थी (Madhya Pradesh High Court Establishment). यह पत्र पेटेंट 26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान को अपनाने के बाद भी लागू रहा. 

न्यायालय के पास अपीलीय के अलावा मूल क्षेत्राधिकार है. इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों की अपील केवल भारत के सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है. इस अदालत में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 53 है (Madhya Pradesh High Court Sanctioned Strength).

मध्य प्रदेश का मौजूदा राज्य, मूल रूप से 19वीं शताब्दी में बतौर न्यायिक आयोग क्षेत्र मध्य प्रांत के रूप में बनाया गया था जिसे न्यायिक आयुक्त प्रशासित करता था. किंग जॉर्ज पंचम ने भारत सरकार अधिनियम, 1915 की धारा 108 के तहत जारी किए गए लेटर्स पेटेंट 2 जनवरी 1936 के आधार पर, केंद्रीय प्रांतों और बरार के लिए नागपुर उच्च न्यायालय की स्थापना की थी. 1 नवंबर 1956 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत मध्य प्रदेश के नए राज्य का गठन किया गया था. इसके बाद, नागपुर उच्च न्यायालय को समाप्त किए बगैर जबलपुर में अपनी सीट के साथ मध्य प्रदेश राज्य को अपना नया हाई कोर्ट मिला. 1 नवंबर 1956 को हाई कोर्ट ने इंदौर और ग्वालियर में अस्थायी बेंचों का गठन किया, जिसे 28 नवंबर 1968 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 51 की उप-धारा (2) के तहत स्थायी बेंच में बदल दिया गया (Madhya Pradesh High Court History). 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इमारत का निर्माण 1899 में राजा गोकुल दास ने कराया था. इस इमारत को 1886 में हेनरी इरविन ने डिजाइन किया था (Madhya Pradesh High Court Building and Premises).
 

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